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    Himachal Pradesh News: हिमाचल में आर्थिक संकट, राजस्‍व घाटा अनुदान का स्‍तर गिरा; इस बार कुल मिले इतने करोड़

    Updated: Mon, 15 Apr 2024 02:11 PM (IST)

    Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट आ गया है। अप्रैल में सरकार के खजाने में 521 करोड़ की धनराशि पहुंच गई। गत वर्ष वित्त विभाग को मासिक 671 करोड़ मिलते थे। ये माना जा सकता है कि मौजूदा वित्त वर्ष से लेकर अगले तीन साल प्रदेश सरकार के लिए अधिक संकट भरे होंगे। सरकार के लिए ऋण भी पूरी तरह से सहारा नहीं दे पाएगा।

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    हिमाचल में आर्थिक संकट, राजस्‍व घाटा अनुदान का स्‍तर गिरा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। राजस्व घाटा अनुदान के तहत मिलने वाली धनराशि हिमाचल सरकार के लिए ऑक्‍सीजन का काम करती है। इसी तरह से वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में सरकार के खजाने में 521 करोड़ की धनराशि पहुंच गई। गत वर्ष वित्त विभाग को मासिक 671 करोड़ मिलते थे।

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    आर्थिक संकट से जूझ रहे प्रदेश के लिए वित्तायोग से मिलने वाली ऑक्सीजन लगातार घट रही है और 15वें वित्तायोग की अवधि 2026 में समाप्त होने वाली है और तब तक राजस्व घाटा अनुदान की धनराशि सिकुड़कर तीन हजार करोड़ रह जाएगी।

    अगले तीन साल प्रदेश सरकार के लिए होंगे संकट भरे

    ये माना जा सकता है कि मौजूदा वित्त वर्ष से लेकर अगले तीन साल प्रदेश सरकार के लिए अधिक संकट भरे होंगे। सरकार के लिए ऋण भी पूरी तरह से सहारा नहीं दे पाएगा। कोरोना काल के दौरान प्रदेश सरकार को केंद्र से करीब पंद्रह हजार करोड़ की धनराशि प्राप्त होने से स्थिति बहुत अच्छी थी।

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    फॉर्मूले के अनुसार घटती जा रही अनुदान धनराशि

    कर्मचारियों के वेतन का खर्च राजस्व घाटा अनुदान से निकलता था। उसके बाद अनुदान में मिलने वाली धनराशि फॉर्मूले के अनुसार घटती जा रही है और इस माह से सवा पांच सौ करोड़ की मिले हैं। जबकि सरकार को इस माह से कर्मचारियों के वेतन और पेंशनरों की पेंशन के लिए मासिक पच्चीस हजार करोड़ खर्च करने पड़े हैं। सरकार के खर्चें लगातार बढ़ते जा रहे हैं और आय के साधन घटते जा रहे हैं।

    हर वित्तायोग में हिमाचल को मिलने वाली राशि घटती रही

    केंद्र सरकार ने कोरोनाकाल के दौरान प्रदेश को वर्ष 2020-21के दौरान राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 11431 करोड़ रुपये की धनराशि का निर्धारण किया था। उसके बाद पांच साल के लिए राजस्व घाटा अनुदान के तहत 37199 करोड़ का प्रविधान हुआ। यदि इससे पहले चौदहवें वित्तायोग की बात की जाए तो 42 हजार करोड़ और तेरहवें वित्तायोग से 48 हजार करोड़ मिले थे।

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