हिमाचल के प्राइवेट स्कूलों में 25 % गरीब बच्चों को देना होगा प्रवेश, सरकार देगी हर माह 3924 रुपये, जिलास्तर पर कमेटी गठित
हिमाचल प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित की हैं। सरकार इन बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाएगी और स्कूलों को प्रति छात्र 3924 रुपये मासिक सहायता देगी। इस योजना को लागू करने के लिए जिला स्तर पर कमेटियां गठित की गई हैं, जिससे गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

हिमाचल प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को प्रवेश देना होगा। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत निजी स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर (इकनामिक विकर सेक्शन) वर्ग के बच्चों को दाखिले के लिए इन्कार नहीं कर सकते। निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें इनके लिए आरक्षित हैं। उनकी निजी स्कूलों में निश्शुल्क पढ़ाई होगी। इसका जितना भी खर्च आएगा उसे राज्य सरकार वहन करेगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसको लेकर सख्त कदम उठाया है।
हर जिले में बनेगी कमेटी
प्रदेश के हर जिला में कमेटी बनेगी। इसमें वरिष्ठ उपनिदेशक (संबंधित जिला) अध्यक्ष होगा। उपनिदेशक सदस्य व खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (बीईईओ) सदस्य सचिव होगा।
कमेटी आरक्षण के तहत पात्र बच्चों के दाखिलों की निगरानी करेगी
इसके अलावा स्थानीय पंचायत, नगर निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधि, पड़ोस के स्कूल की एसएमसी का प्रधान, संबंधित निजी स्कूल का प्रतिनिधि व आवश्यकता पड़ने पर निदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से नामित कोई अन्य सदस्य इसका सदस्य होगा। यह कमेटी आरक्षण के तहत पात्र बच्चों के दाखिलों की निगरानी करेगी।
फीस प्रतिपूर्ति के दावों की जांच होगी
निजी स्कूलों की ओर से फीस प्रतिपूर्ति के दावों की जांच की जाएगी। प्रक्रिया में आ रही शिकायतों व समस्याओं का समाधान किया जाएगा। बीईईओ सहित सभी संबंधित अधिकारियों और हितधारकों को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।
तत्काल कार्रवाई का निर्देश
शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करें और जानकारी निदेशालय को भेजें, ताकि योजना का लाभ राज्य के अधिक से अधिक पात्र बच्चों तक पहुंच सकें।
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प्रति माह 3,924 रुपये दिए जाएंगे
हिमाचल में 2010 में इस एक्ट को लागू किया गया। नियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को सरकार की तरफ से प्रति माह 3,924 रुपये दिए जाएंगे। इसके लिए स्कूल की तरफ से ही आवेदन करना होगा। विभाग को बताना होगा कि स्कूल में किस कक्षा में कितने बच्चे इस श्रेणी के हैं। इससे ज्यादा यदि किसी स्कूल की फीस है तो वह अभिभावकों को खुद वहन करनी होगी।

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