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    शिमला के वाइल्ड फ्लावर होटल का ईस्ट इंडिया कंपनी करेगी संचालन, ब्रिटिशकाल स्थापित हॉल के एक कमरे का किराया लाखों में

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 12:34 PM (IST)

    Shimla Wild Flower Hotel हिमाचल सरकार ने शिमला के मशोबरा स्थित ऐतिहासिक वाइल्ड फ्लावर हाल होटल का संचालन फिर से ओबेराय समूह की ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया है। वैश्विक निविदा प्रक्रिया पूरी न होने के कारण यह निर्णय लिया गया है। कंपनी सरकार को हर महीने 1.78 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। यह व्यवस्था छह महीने के लिए बढ़ाई गई है जिससे होटल का संचालन जारी रहेगा।

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    शिमला के मशोबरा में स्थित वाइल्ड फ्लावर होटल।

    प्रकाश भारद्वाज, शिमला। Shimla Wild Flower Hotel, वैश्विक निविदा प्रक्रिया नहीं होने के कारण हिमाचल सरकार ने शिमला जिले के मशोबरा स्थित ऐतिहासिक वाइल्ड फ्लावर हाल होटल के संचालन का दायित्व फिर ओबेराय समूह के स्वामित्व वाली ईस्ट इंडिया कंपनी को छह माह के लिए सौंप दिया है। अनुबंध के तहत कंपनी सरकार को प्रति माह 1.78 करोड़ रुपये का भुगतान करती रहेगी।

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    फिलहाल इस व्यवस्था को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, ताकि वैश्विक निविदा प्रक्रिया पूरी होने तक होटल का संचालन जारी रहे। ऐसे में ईस्ट इंडिया कंपनी के पास होटल का संचालन फरवरी, 2026 तक रहेगा।

    सरकार ने हाई कोर्ट के निर्णय पर कब्जे में लिया था होटल

    हिमाचल सरकार होटल के दीर्घकालिक संचालन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों को आकर्षित करना चाहती है। राज्य सरकार ने तीन अप्रैल, 2025 को हिमाचल हाई कोर्ट के निर्णय पर इसे कब्जे में लिया था। सात अप्रैल, 2025 को यह होटल ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस (ओएंडएम) आधार पर इसी कंपनी को सौंपा था।

    मशोबरा की पहाड़ियों में स्थित है ब्रिटिशकालीन हाॅल

    होटल शिमला से लगभग 13 किलोमीटर दूर, मशोबरा की पहाड़ियों में स्थित है। समुद्र तल से लगभग आठ हजार फीट की ऊंचाई पर बना होटल ब्रिटिशकालीन स्थापत्य और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। मूल रूप से यह भवन लार्ड किचनर का निवास था, जिसे बाद में होटल में परिवर्तित किया गया।

    85 कमरे, अधिकतम किराया 2.60 लाख रुपये 

    होटल वाइल्ड फ्लावर हाल में 85 कमरे हैं, जिनमें न्यूनतम किराया 30,400 रुपये है और अधिकतम 2.60 लाख रुपये है। जो धनराशि सरकार को दी जानी है, वह कमरों की औसत बुकिंग के आधार पर निकाली गई है।

    यह है मामला

    • वर्ष 1993 में होटल में आग लगी थी। इसे फिर से फाइव स्टार होटल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल्स के साथ करार किया था। कंपनी को चार साल में होटल बनाना था। ऐसा न करने पर कंपनी को दो करोड़ रुपये जुर्माना प्रति वर्ष सरकार को अदा करना था। सरकार ने 1996 में कंपनी के नाम जमीन ट्रांसफर कर दी। छह वर्ष में कंपनी होटल का काम पूरा नहीं कर पाई। सरकार ने वर्ष 2002 में करार रद कर दिया। कंपनी ला बोर्ड ने ईस्ट इंडिया होटल्स के पक्ष में निर्णय सुनाया। सरकार यह मामला न्यायालय में लेकर गई। इस बीच ओबेराय समूह की ओर से 18 प्रतिशत की दर से 125 करोड़ रुपये न्यायालय में जमा करवाया है, लेकिन अभी तक पिछली बकाया राशि तय नहीं हो पाई है।
    • पांच जनवरी, 2024 को उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकार के पक्ष में निर्णय दिया। 
    • मार्च, 2025 से प्रदेश सरकार के अधिकारियों व ओबेराय समूह प्रबंधन के बीच मध्यस्थता वार्ता चल रही थी। होटल की दैनिक, मासिक आय का आकलन करने के बाद निष्कर्ष निकला कि ओबेराय समूह को हर महीने 1.78 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार को करना पड़ेगा। ये भुगतान तब तक चलता रहेगा, जबतक की सरकार की ओर से वैश्विक निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।  
    • सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेशानुसार होटल वाइल्ड फ्लावर हाल को तीन अप्रैल, 2025 को नियंत्रण में ले लिया और पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक अनिल तनेजा को पांच अधिकारियों की टीम के साथ होटल में बिठा दिया। अधिकारियों की ओर से दैनिक बिलिंग की जानकारी रखने का काम शुरू किया गया।

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