Himachal Weather: हिमाचल में बारिश-बर्फबारी से फिर बिगड़ेगा मौसम, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
Himachal Pradesh Weather Update Today हिमाचल में इन दिनों कई इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मची हुई है। सोमवार (3 मार्च) से प्रदेश में एक बार फिर से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है जिससे बारिश-बर्फबारी होने की संभावना है। हिमाचल में अभी भी 4 नेशनल हाईवे के अलावा 480 सड़कें बंद हैं। कई जगहों पर बिजली आपूर्ति भी बाधित है।
राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Weather News प्रदेश में तीन मार्च से फिर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। ऐसे में सोमवार को हल्की वर्षा व हिमपात की संभावना मौसम विभाग ने जताई है। चार व पांच मार्च को भारी हिमपात व वर्षा की चेतावनी दी गई है। तीन दिन से हो रही वर्षा व हिमपात के बाद शनिवार को धूप खिली। वहीं मंडी जिले के सराज में ओलावृष्टि व मंडी शहर व शिमला में हल्की बूंदाबांदी हुई।
480 सड़कें अभी भी बंद
प्रदेश में चार राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा 480 सड़कें अभी तक बंद हैं। 2001 ट्रांसफार्मरों के खराब होने के कारण बिजली आपूर्ति बाधित है। प्रदेश में धूप और बादलों व एक-दो स्थानों पर बूंदाबांदी के बीच अधिकतम तापमान में आठ से 13 डिग्री तक वृद्धि हुई है। सबसे अधिक वृद्धि भुंतर में 13.4, मंडी में 9.9 जबकि बाकी स्थानों पर पांच से आठ डिग्री की वृद्धि हुई है।
मोबाइल नेटवर्क सेवाएं बाधित
किन्नौर जिला में हिमपात के बाद भूस्खलन व ग्लेशियर गिरने के कारण अधिकांश संपर्क मार्ग व मोबाइल नेटवर्क सेवाएं बाधित हैं। निगुलसरी के पास पुराने स्लाइडिंग प्वाइंट और टापरी के निकट पहाड़ी से पत्थर गिरने से राष्ट्रीय राजमार्ग पांच शिमला-रिकांगपिओ शनिवार को बाधित रहा।
पोवारी से पूह तक अवरुद्ध राष्ट्रीय राजमार्ग स्पीलो तक बहाल किया गया। जिला चंबा के पांगी में नायब तहसीलदार के आवास सहित 12 मकान हिमपात से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
1901 से लेकर अब तक 31वीं सबसे अधिक वर्षा
प्रदेश में वर्ष 1901 से लेकर अब तक फरवरी में 31वीं सबसे अधिक 124.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। जो सामान्य से 22 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 1954 में सबसे अधिक 271.8 मिलीमीटर वर्षा फरवरी में हुई थी। फरवरी में ही 2019 में 180 मिलीमीटर के बाद सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
जनवरी व फरवरी में 1901 से 2025 तक हुई वर्षा में 42वीं सबसे कम वर्षा 138 मिलीमीटर दर्ज की गई जो सामान्य वर्षा 187.1 मिलीमीटर की अपेक्षा 26 प्रतिशत कम है। जबकि 1902 में जनवरी-फरवरी में सबसे कम 33.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।
सेब के चिलिंग आवर्स होंगे पूरे, बेहतर उत्पादन की उम्मीद
वर्षा और हिमपात से कृषि व बागबानी को संजीवनी मिली है। जल स्रोतों में जो 30 प्रतिशत तक कमी आ गई थी, उसकी भरपाई हुई है। नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने से बिजली उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान है।
चिलिंग आवर्स पूरे होने से साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की सेब की आर्थिकी पर मंडराए संकट के बादल छंटे हैं और बेहतर उत्पादन होने का अनुमान है।
हिमस्खलन से बढ़ी चिंता
लाहुल व मनाली घाटी 27 फरवरी की रात से अंधेरे में है। भारी हिमपात से मनाली के नेहरूकुंड व सोलंगनाला से धुंधी के बीच जबकि लाहुल की समस्त घाटी में हिमस्खलन की आशंका बनी हुई है।
कुछ जगह हिमस्खलन भी हुए हैं। कुछ जगह थोड़ी देर के लिए भागा सहित चंद्रभागा नदी का बहाव भी रुका, लेकिन कुछ देर बाद हालात सामान्य हो गए।
प्रमुख स्थानों का तापमान
स्थान | न्यूनतम | अधिकतम |
शिमला | 3.6 | 14.0 |
सुंदरनगर | 7.0 | 22.4 |
भुंतर | 4.3 | 21.0 |
कल्पा | -2.0 | 10.0 |
धर्मशाला | 4.2 | 18.0 |
ऊना | 7.2 | 26.0 |
नाहन | 10.1 | 20.8 |
केलंग | -6.9 | 4.0 |
सोलन | 6.0 | 20.0 |
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