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    Himachal Weather: हिमाचल में मानसून की वर्षा और नुकसान ने तोड़े रिकाॅर्ड, चार राज्यों से हुई विदाई, कब मिलेगी राहत?

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 06:42 PM (IST)

    Himachal Pradesh Weather हिमाचल प्रदेश में मानसून की भारी वर्षा ने तबाही मचाई है जिससे सामान्य से 46% अधिक 1011 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। 20 जून को शुरू हुआ मानसून अभी तक जारी है जिससे कृषि भूमि और आवास को भारी नुकसान हुआ है। 4504 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है और 400 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

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    हिमाचल प्रदेश के धर्मपुर में मंगलवार को हुई तबाही। जागरण

    यादवेन्द्र शर्मा, शिमला। Himachal Pradesh Weather, हिमाचल प्रदेश में बीते तीन वर्षों से मानसून की वर्षा बहुत ज्यादा नुकसान कर रही है। इस बार तो यह हालात हैं कि लगातार भारी वर्षा का दौर चल रहा है और मानसून के प्रवेश के साथ शुरू हुआ विनाश का दौर अभी भी चल रहा है। वर्षा के सारे पुराने रिकार्ड ध्वस्त हो रहे हैं।

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    प्रदेश में बीते वर्षों के मानसून के डाटा का आकलन किया जाए तो इस वर्ष मानसून सीजन के दौरान सबसे अधिक 1011 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। जो सामान्य से 46 प्रतिशत अधिक है।

    प्रदेश से मानसून सामान्य तौर पर 24 सितंबर के बाद लौटाना शुरू होता है। 16 सितंबर को देश के चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान से मानसून लौटना शुरू हो गया है। हिमाचल में 19 सितंबर के बाद कमजोर पड़ने के बाद 22 तक स्थिति साफ हो सकती है।

    2019 में रही है सबसे लंबी मानसून अवधि

    प्रदेश में आज तक सबसे लंबी मानसून की अवधि 2019 में रही है, जिसमें 140 दिनों तक मानसून रहा है, लेकिन 687 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जो सामान्य से 10 प्रतिशत कम रही। मानसून औसत 78 से 95 दिन में लौटता है। इस बार हिमाचल प्रदेश में मानसून ने 20 जून को प्रवेश किया और अभी तक उसे 89 दिन हो चुके हैं और लगातार वर्षा का सिलसिला जारी है।

    इस कारण कृषि फसलों और फलों के साथ बहुत अधिक जमीन बह गई। हजारों लोग बेघर होने के साथ खतरे की जद में हैं।

    आकलन के बाद बहुत ज्यादा निकलेगा नुकसान

    अभी तो राहत और पुनर्वास पर सारा ध्यान दिया जा रहा है। इस मानसून के दौरान बहुत अधिक नुकसान जान माल का हुआ है। सारा आकलन होने पर नुकसान बहुत अधिक होगा। मानसून के प्रवेश करने से लेकर अभी तक लगातार भारी वर्षा के कारण नुकसान हो रहा है।

    -डीसी राणा, विशेष सचिव, आपदा प्रबंधन।

    अधिक नुकसान का एक नहीं कई कारण

    • नदियों और नालों के मुहाने पर घरों को बनाने के साथ पहाड़़ के नीचे घरों को बनाना
    • जल निकासी का प्रबंध न होना
    • तेज वर्षा होने के कारण छतों से बहने वाले पानी ने नालों और खड्डों का रूप लेना
    • अवैज्ञानिक तरीके से खोदाई के कारण बहुत तबाही हुई
    • अवैध खनन ने पानी की दिशा बदली
    • अवैध डपिंग के कारण भूस्खलन

    इस बरसात के दौरान अभी तक 4504 करोड़ का नुकसान

    प्रदेश में 20 जून से लेकर अभी तक 4504 करोड़ के नुकसान का आकलन किया जा चुका है। अभी तक 400 से ज्यादा लोगों की बादल फटने, भूस्खलन व अन्य कारणों से मौत हो चुकी है। भूस्खलन के कारण 48, अचानक बाढ़ के कारण 11, बादल फटने के कारण 17 लोगों की मौत मंडी में हुई है। प्रदेश में 1478 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जबकि 6298 मकानों 490 दुकानों और 6147 गौशालाओं को नुकसान हुआ है।

    19 सितंबर के बाद वर्षा के कम आसार

    देश के चार राज्यों से 16 सितंबर को मानसून लौट गया है। हिमाचल प्रदेश में आगामी दो दिनों तक हल्की से मध्यम वर्षा और उसके बाद कमी आएगी। 19 सितंबर के बाद से वर्षा बहुत कम है। नमी की मात्रा और वर्षा के आधार पर मानसून के लौटने का निर्णय लिया जाता है। इस बार मानसून के दौरान बहुत अधिक और लंबी अवधि तक वर्षा दर्ज की गई है।

    -संदीप कुमार, वरिष्ठ विज्ञानी, मौसम विज्ञान केंद्र, शिमला।

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    प्रदेश में 2017 से लेकर मानसून के दौरान की स्थिति

    • वर्ष, मानसून आया, मानसून लौटा, कितने दिन, वर्षा मिलीमीटर, बादल फटे, नुकसान करोड़ों में
    • 2017 01 जुलाई 30 सितंबर 92 717 -- 7500
    • 2018 27 जून 01 अक्टूबर 97 927 21 1217.29
    • 2019 02 जुलाई 19 नवंबर 140 687 16
    • 2020 24 जून 30 सितंबर 99 567 03
    • 2021 13 जून 10 अक्टूबर 120 688 30 1151
    • 2022 29 जून 03 अक्टूबर 97 716 14 939
    • 2023 24 जून 06 अक्टूबर 105 884.8 27 12000
    • 2024 27 जून 02 अक्टूबर 98 601 12 8000
    • 2025 20 जून आज तक दिन 89 1011 46 4504 आंका गया

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