हिमाचल प्रदेश में सूखे जैसे हालात, ढाई महीने से वर्षा न होने से मिट्टी में नमी खत्म; तो 10 दिन बाद बिगड़ेंगे हालात?
हिमाचल प्रदेश में लगभग ढाई महीने से वर्षा न होने के कारण सूखे जैसे हालात बन गए हैं, जिससे बागबानों की चिंता बढ़ गई है। शिमला, मंडी, किन्नौर, चंबा, कुल ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश में पर्याप्त बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है। मनाली के पहाड़ों पर नाममात्र बर्फ। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगभग ढाई माह से वर्षा न होने से सूखे जैसे हालात बन रहे हैं। गत दिनों ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बूंदाबांदी व हल्का हिमपात हुआ, लेकिन नाममात्र ही रहा। अब फिर से एक सप्ताह तक मौसम साफ रहने का अनुमान है।
लगातार शुष्क मौसम ने बागबानों की चिंता बढ़ा दी है। शिमला, मंडी, किन्नौर, चंबा, कुल्लू और सिरमौर जिले के सेब बागबान वर्षा का इंतजार कर रहे हैं। बागबानों का कहना है कि यदि 10 दिन के अंदर वर्षा नहीं हुई तो पिछले वर्ष लगाए सेब सहित अन्य फलदार पौधे सूखने की कगार पर पहुंच सकते हैं।
मिट्टी में नमी हुई समाप्त
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है, जहां मिट्टी में नमी समाप्त हो चुकी है। सूखे जैसे हालात का सबसे ज्यादा असर सर्दियों के बागबानी कार्यों पर पड़ा है।
बगीचों में कार्य हो रहे प्रभावित
आमतौर पर इस समय बागबान बगीचों में तौलिया बनाने, पौधों की कटाई-छंटाई, नए पौधे लगाने और खाद डालने जैसे जरूरी काम करते हैं। लेकिन वर्षा न होने के कारण तौलिया न बनने से पौधों की जड़ों तक नमी नहीं पहुंच पा रही है। इसका असर उनकी वृद्धि पर पड़ रहा है। इसके अलावा नए पौधों के लिए जमीन तैयार करने का काम भी ठप पड़ा हुआ है।
नर्सरियों में पौधे बुक करवा दिए, लगाएं कैसे
सूखी जमीन में न तो खोदाई ठीक से हो पा रही है और न ही गड्ढे तैयार किए जा सके हैं। कई बागबानों ने पौधे नर्सरियों से बुक तो करवा रखे हैं, लेकिन खेतों की तैयारी न होने के कारण उन्हें लगाने में दिक्कत आ रही है। यदि जल्द वर्षा न हुई तो पौधे लगाने का सही समय निकल जाने की आशंका भी जताई जा रही है। बागबानों का कहना है कि कुछ वर्षों से मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। कभी समय पर हिमपात नहीं होता तो कभी सर्दियों में लंबा सूखा पड़ जाता है
क्या कहते हैं बागवान
शिमला के बागबान संजय ठाकुर, विनीत चौहान और पीयूष ठाकुर का कहना है कि जिले के निचले क्षेत्र में वर्षा न होने के कारण नमी लगभग न के बराबर है। इससे दो वर्ष में लगाए पौधे सूखने की कगार पर पहुंच रहे हैं। अगर जल्द वर्षा न हुई तो ये पौधे सूख जाएंगे।

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