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    100 साल का हुआ हिमाचल विधानसभा का काउंसिल चैंबर, कभी चलता था पंजाब सरकार का सचिवालय, 8.5 लाख में बने भवन के रोचक किस्से

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 06:50 PM (IST)

    Himachal Pradesh Vidhan Sabha शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विधानसभा का काउंसिल चैंबर 100 साल का हो गया है। 1925 में वायसराय लॉर्ड रीडिंग ने इसका लोकार्पण किया था। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसे ऐतिहासिक वास्तुशिल्प का अजूबा बताया। कभी यहां केंद्रीय विधानसभा थी और मोतीलाल नेहरू जैसे नेताओं ने संबोधित किया था। स्वतंत्रता के बाद यहां पंजाब और हिमाचल सरकार के सचिवालय भी रहे।

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    हिमाचल प्रदेश विधानसभा के काउंसिल चैंबर में बैठे अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh Vidhan Sabha, हिमाचल प्रदेश विधानसभा का काउंसिल चैंबर 100 वर्ष का हो गया है। 20 अगस्त, 1925 को भारत के वायसराय लॉर्ड रीडिंग ने इस भवन का लोकार्पण किया था। यह भव्य भवन कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है जो अविस्मरणीय और अतुलनीय हैं।

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    विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रश्नकाल शुरू होने से पहले सभी सदस्यों को इसके लिए बधाई दी। सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी के लिए प्रसन्नता का विषय हैं। पठानिया ने कहा कि ऐतिहासिक काउंसिल चैंबर ब्रिटिश शासन के दौरान निर्मित अंतिम वास्तुशिल्पीय अजूबों में से एक है।

    तत्कालीन सरकार द्वारा इस चैंबर के निर्माण का संकल्प लेने से पहले, तत्कालीन लोक निर्माण सदस्य सर क्लॉड हिल ने भवन की प्रकृति और चरित्र के बारे में विधायकों के विचार जानने के लिए असाधारण सावधानी बरती। उन्होंने देश भर में 15 विधायकों की एक समिति नियुक्त की, जिन्होंने हर पहलू पर गहन विचार विमर्श किया। नतीजतन यह भव्य भवन था, जिसका निर्माण वर्ष 1925 से 8.5 लाख की लागत से हुआ था।

    मोतीलाल नेहरू ने किया था संबोधन

    उन्होंने कहा कि 100 साल पहले यह भवन अस्तित्व में आया था। तब से यह काउंसिल चैंबर विधायी इतिहास के निर्णायक क्षणों का साक्षी रहा है। कभी इसमें केंद्रीय विधानसभा हुआ करती थी और इसकी दीवारों के भीतर महान हस्तियों की आवाज गूंजती थी। इसने वायसराय की भव्यता और विठ्ठलभाई पटेल व मोती लाल नेहरू जैसी महान हस्तियों की गरिमा और गौरव को देखा है।

    पंजाब और हिमाचल के सचिवालय चलते थे भवन में

    विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद इस भवन ने कई उद्देश्य की पूर्ति की। अलग-अलग समय पर इसमें पंजाब सरकार और हिमाचल सरकार के सचिवालय के महत्वपूर्ण कार्यालय स्थित रहे। कुछ समय के लिए आकाशवाणी के स्टूडियो भी इसी भवन के एक भाग में स्थित थे।

    1963 में हुआ था पहला विधानसभा सत्र

    पहली अक्टूबर 1963 को हिमाचल प्रदेश विधान सभा का पहला सत्र यहां आयोजित होने पर इतिहास रचा गया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन बर्मा सरकार द्वारा केंद्रीय विधान सभा को उपहार में दी गई ऐतिहासिक अध्यक्ष पीठ भी उतनी ही अमूल्य है और यह हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष पीठ के रूप में अपने महान उद्देश्य की पूर्ति कर रही है। यह हमारी संसदीय विरासत का एक जीवंत अवशेष है, जो हमारे अतीत की भव्यता और हमारे लोकतांत्रिक वर्तमान के बीच एक सेतु है।

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