हिमाचल विश्वविद्यालय परिसर में फिर हिंसा, अब पुलिस से उलझे छात्र; विधायक का किया घेराव
Himachal Pradesh University Dispute हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एसएफआई इकाई ने मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जिसमें पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई। छात्रों ने लाठीचार्ज का आरोप लगाया और छात्र संघ चुनाव बहाल करने और हॉस्टल की कमी दूर करने की मांग की। उन्होंने गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती में देरी का भी विरोध किया।

जागरण संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh University Dispute, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एसएफआई इकाई ने मांगों को लेकर कार्यकारी परिषद के उम्मीदवारों को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान ईसी सदस्य और शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा का घेराव किया। इस दौरान पुलिस ओर छात्रों के बीच झड़प हो गई।
आरोप है कि झड़प में कुछ छात्रों को लाठी से भी मारा गया। इसमें तीन छात्र जख्मी हुए हैं। इसके बाद छात्रों ने छात्र मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। धरने में परिसर सह सचिव आशीष ने बताया कि 2013 के बाद से हिमाचल प्रदेश के अंदर छात्र संघ चुनाव बंद हैं। इस वजह से छात्र राजनीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
छात्रों को उनका प्रतिनिधित्व न मिल पाने के कारण छात्र अपनी मांगे सही तरीके से प्रशासन के सम्मुख नहीं रख पाते हैं। इस कारण वर्तमान में छात्र राजनीति का स्वरूप लगातार बदलता जा रहा है।
4000 विद्यार्थी 1200 के लिए ही हॉस्टल सुविधा
एसएफआई जिला शिमला अध्यक्ष विवेक नेहरा ने विश्वविद्यालय में लगभग 4000 के करीब छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। वर्तमान में हम देखते हैं कि प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर तकरीबन 1200 छात्र छात्राओं को ही हॉस्टल की सुविधा मिल पाती है। प्रदेश का एकमात्र प्रमुख सरकारी विश्वविद्यालय होने के बावजूद यहां पर छात्रों को रहने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
विज्ञापन निकाला पर नहीं हुई भर्ती
परिसर अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में 2019 के अंदर गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती की सीटों का विज्ञापन निकाला गया था। प्रशासन ने अभी तक इन पदों पर भर्ती नहीं करवाई गई । उसके बाद 2021 के अंदर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती का दोबारा विज्ञापन निकाला जाता है।
फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उस भर्ती को करवाने में नाकामयाब होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रों को प्राथमिकी के बाद के छात्रावास न देने का भी विरोध किया।
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