हिमाचल में आउटसोर्स कर्मचारियों पर एकमत नहीं दिखे सत्ता पक्ष और विपक्ष, उपमुख्यमंत्री ने नीति बनाने का किया एलान
हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के लगभग 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक नीति तैयार करने जा रही है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में कहा कि इस नीति में कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा ताकि उनका शोषण न हो। सरकार द्वारा गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। बीजेपी विधायकों का सुझाव था कि सरकार को हरियाणा की तर्ज पर नीति बनानी चाहिए।

राज्य ब्यूरो, शिमला। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि प्रदेश के लगभग 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाई जाएगी।
इस नीति में उनके हित को ध्यान में रखा जाएगा, ताकि उनका शोषण न हो। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री आउटसोर्स को लेकर विधायक सुखराम चौधरी द्वारा हरियाणा की तर्ज पर नीति बनाने को लेकर लाए संकल्प का जवाब दे रहे थे।
मुकेश ने सदन में कहा, वेतन, ईपीएफ आदि की सुविधा इन कर्मियों को मिलनी चाहिए। सरकार द्वारा गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति सभी पहलुओं पर विचार कर रही है।
आउटसोर्स की भर्ती ठेकेदार के माध्यम से होती है। कोष से ठेकेदार के पास कितना पैसा गया तथा कितनी रकम काट कर आउटसोर्स कर्मियों को भुगतान किया गया, इन तमाम पहलुओं को देखा जा रहा है। 2009 में प्रदेश में आउटसोर्स की शुरुआत हुई।
दिसंबर 2021 में इन कर्मियों को लेकर माडल टेंडर डाक्यूमेंट भी बनाया गया। जिसमें इन्हें मातृत्व अवकाश के साथ आकस्मिक अवकाश व टीए आदि देने का बात कही गई। मुकेश के जवाब से संतुष्ट सुखराम चौधरी ने संकल्प वापस ले लिया।
यह भी पढ़ें- HRTC Bus में भिंडरावाला के बाद पंजाब की बसों में लगाए भारत माता की जय के पोस्टर, खालिस्तानी समर्थकों को सख्त संदेश
आउटसोर्स कर्मचारियों पर एकमत नहीं दिखे सत्ता पक्ष व विपक्ष
विधानसभा में आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण रोकने पर सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष एकमत नहीं दिखे। सत्ता पक्ष के विधायकों ने पूर्व भाजपा सरकार को कोसने का काम किया,वहीं भाजपा विधायकों का सुझाव था कि सरकार को हरियाणा की तर्ज पर नीति बनानी चाहिए।
विधानसभा में शनिवार को गैर सरकारी सदस्य कार्य दिवस के दौरान भाजपा विधायक सुखराम चौधरी की तरफ से आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए हरियाणा की तर्ज पर नीति बनाने के संकल्प पर चर्चा हुई। इसमें भोजनावकाश से पहले सुखराम चौधरी और सतपाल सिंह सत्ती ने आउटसोर्स कर्मचारियों की पैरवी कर शोषण वाली व्यवस्था को बंद करने की मांग की।
सुखराम चौधरी ने कहा, कर्मचारियों के हित के संरक्षण के लिए हरियाणा की तर्ज पर नीति बननी चाहिए। विधायक किशोरी लाल ने कहा, सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए हरियाणा नहीं बल्कि हिमाचल की तर्ज पर नीति बनाएगी। विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन समय पर न देने पर आपत्ति जताई।
कर्मचारियों की मृत्यु पर उनके स्वजन को उचित बीमा राशि उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। डॉ. हंसराज ने कहा, यदि युवा बेरोजगारों के हित का ध्यान नहीं रखा गया तो वे नशे की तरफ बढ़ सकते हैं। कोरोना काल में जान जोखिम पर डालने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को बाहर करना सही नहीं है।
10 हजार कमाने वालों की शादी तक नहीं हो रही: सत्ती
विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने कहा, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार भले ही तेलंगाना या कर्नाटक की नीति बनाए, लेकिन शोषण रोकने के लिए कोई निर्णय लेना आवश्यक है। आउटसोर्स पर उच्च शिक्षा प्राप्त युवा बेहतर सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उनको कई बार तीन माह तक वेतन नहीं मिल रहा। इस विषय को राजनीति से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए। 10 हजार रुपये के वेतन पर काम करने वाले युवाओं की शादी तक नहीं हो पा रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।