भारत पर्व के लिए हुआ हिमाचल प्रदेश की झांकी का चयन
गणतंत्र दिवस अवसर पर हिमाचल प्रदेश की झांकी का चयन भारत पर्व के लिए हुआ है। इस बार की झांकी की विशेषता थी कि इसमें निकोलिस रोरिक के 150वें जन्म दिन के उपलक्ष्य में भारत और रूस के सांस्कृतिक संबंधों की विरासत को दर्शाने का प्रयास किया गया था। इस बार झांकी में कुल्लू में बड़े पैमाने पर हो रहे सड़कों के निर्माण और प्रगति को भी दर्शाया गया है।
जागरण संवाददाता, शिमला। गणतंत्र दिवस अवसर पर प्रदर्शित की गई हिमाचल प्रदेश की झांकी का चयन भारत पर्व के लिए हुआ है। इस वर्ष की झांकी में निकोलिस रोरिक के 150वें जन्म दिन के उपलक्ष्य में भारत और रूस के सांस्कृतिक संबंधों की विरासत को दर्शाने का व निकोलिस रोरिक के कला साहित्य और दर्शन में उनके द्वारा किए गए कार्यों के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया गया है।
झांकी में निकोलस रोरिक के घर और कुल्लू में पूज्य देवता गुग्गा चौहान को दर्शाया गया है
भारत पर्व में प्रस्तुत की जा रही झांकी में निकोलिस रोरिक को नग्गर स्थित उनके घर जो अब अंतरराष्ट्रीय रोरिक मैमोरियल ट्रस्ट के नाम से जाना जाता है, उसमें चित्रकारी करते हुए दिखाया गया है और उनके कुछ विश्वविख्यात चित्र भी झांकी में देखे जा सकते हैं। झांकी में कुल्लू में पूज्य देवता गुग्गा चौहान को भी दर्शाया गया है।
झांकी में कुल्लू में हुए विकास को दर्शाया गया है
इसके साथ ही झांकी में कुल्लू में हुए बड़े पैमाने पर सड़कों के निर्माण, सुंदर आनंददायक चार लेन सड़कें, फ्लाई ओवर और घाटी की स्थलाकृति के साथ मेल खाती सुंरगों को दर्शाया गया है जोकि परंपरा और विकास के मिलन का सजीव चित्रण प्रस्तुत करती है।
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विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने जानकारी देते हुए बताया कि निकोलिस रोरिक हिमालय के प्रति विशेष अनुराग रखते थे और इसी कारण जब वे अपने एशियाई अभियान के दौरान विभिन्न दरों को पार करते हुए कुल्लू पहुंचे तो यहां की प्राकृतिक सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कुल्लू के नग्गर में सदा के लिए बसने का निर्णय लेकर इसे अपनी कर्म स्थली बनाया।
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इस साल भारत को गणतंत्र बने 75 साल पूरे हो गए हैं। जिसे खास थीम- ‘स्वर्णिम भारत: विकास और विरासत’ से मनाया गया है। इसी थीम के मुताबिक परेड में 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और 15 केंद्रिय मंत्रालयों की झांकियां प्रदर्शित की गई। परेड में ये झांकियां भारत को एकता के सूत्र में बांधती नजर आईं। अलग-अलग राज्यों की संस्कृति और उनकी उपलब्धियों को झांकियों में दर्शाया गया था।
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