Snow Leopard: हिमाचल में बढ़े हिम तेंदुए, 26 हजार वर्ग KM क्षेत्र में पाया गया विचरण, सर्वेक्षण में रोचक तथ्य आए सामने
Snow Leopard in Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुओं की आबादी में वृद्धि दर्ज की गई है जो राज्य वन्य प्राणी विंग के सर्वेक्षण में सामने आया। प्रदेश में 83 हिम तेंदुए पाए गए हैं जो 2021 के पहले सर्वेक्षण से अधिक हैं। यह अध्ययन 26000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया गया और इसमें स्थानीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Snow Leopard in Himachal Pradesh, हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुए (स्नो लैपर्ड) की आबादी बढ़ने लगी है। प्रदेश में 83 हिम तेंदुए पाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश वन विभाग के राज्य प्राणी विंग की ओर से करवाए गए अध्ययन में इनकी आबादी का पता चला है। प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य प्राणी प्रभाग) अमिताभ गौतम ने वीरवार को 74वें वन्य प्राणी सप्ताह के मौके पर स्टेटस ऑफ स्नो लेपर्ड इन हिमाचल प्रदेश-2025 पुस्तिका का विमोचन किया।
अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार राज्य में हिम तेंदुए की अनुमानित आबादी 83 (67-103) पाई गई। जो वर्ष 2021 के पहले सर्वेक्षण 51 (44-73) के मुकाबले अधिक है। राज्य में दूसरी बार हिम तेंदुओं की गणना का कार्य किया गया है। वन्य प्राणी प्रभाग हिमाचल ने नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन बेंगलुरू के साथ मिलकर हिम तेंदुओं पर अध्ययन किया है।
अध्ययन के अनुसार हिमाचल में हिम तेंदुए 26 हजार 112 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं। किब्बर वन्य जीव अभयारण्य, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, सेचू तुआन नाला और आसारंग वन्यजीव अभयारण्य में तो हिम तेंदुए देखे गए हैं। अधिकांश रिकॉर्डिंग संरक्षित क्षेत्रों के बाहर भी हुई है।
यह तथ्य बताता है कि हिम तेंदुए के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका बेहद अहम है। हिमाचल प्रदेश का यह सर्वेक्षण न केवल तेज़ और किफायती साबित हुआ है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी हिम तेंदुए की आबादी पर नज़र रखने के लिए एक सफल मॉडल बन सकता है।
6 स्थानों पर की थी कैमरा ट्रैपिंग
अध्ययन के लिए टीम ने राज्य के 26,000 वर्ग किलोमीटर हिम तेंदुए के आवास वाले क्षेत्रों में छह प्रमुख स्थलों पर कैमरा ट्रैपिंग की। उच्च और निम्न घनत्व वाले क्षेत्रों में किए गए इस सर्वेक्षण में 44 अलग-अलग हिम तेंदुए की पहचान हुई, जिन्हें 262 बार कैमरों में दर्ज किया गया। हिम तेंदुए की घनत्व दर 0.16 से 0.53 प्रति 100 वर्ग किलोमीटर आंकी गई। जिला लाहुल स्पीति के स्पीति और पिन घाटी और किन्नौर जिला के ऊपरी किन्नौर और ताबो क्षेत्र में सर्वाधिक घनत्व पाया गया। यह सर्वेक्षण पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के स्नो लेपर्ड पापुलेशन असेसमेंट इन इंडिया (एसपीएआई) प्रोटोकॉल के तहत किया गया।
पहले सर्वेक्षण में लगे थे तीन साल
पहली बार जब ये सर्वेक्षण किया गया था तो इसमें तीन साल लगे थे। दूसरे सर्वेक्षण को मात्र एक वर्ष में पूरा कर लिया गया। इससे हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने दूसरे दौर का हिम तेंदुए का राज्यव्यापी आंकलन पूरा किया है। वन विभाग के अनुसार आबादी में यह वृद्धि केवल संख्या बढ़ने का संकेत नहीं है। इस बार हिम तेंदुए अपेक्षाकृत कम दूरी तक विचरण करते दिखे, जो बेहतर आवास और शिकार प्रजातियों की बढ़ी उपलब्धता के कारण हो सकता है।
अध्ययन में हिम तेंदुए के शिकार प्रजातियों जैसे नीली भेड़ (ब्लू शीप), हिमालयी आइबेक्स और कस्तूरी हिरण की प्रवास क्षेत्र का भी मूल्यांकन किया गया। इसके अलावा हिमालयी भेड़िया, भूरा भालू, तेंदुआ, लाल लोमड़ी, स्टोन मार्टन, माउंटेन वीजल और येलो-थ्रोटेड मार्टन जैसी प्रजातियों के प्रवास क्षेत्र का भी आकलन किया गया।
यह भी पढ़ें- Himachal News: चेकिंग के लिए रोका तो पुलिस जवान को भी टिप्पर में ले गया खनन माफिया, सड़क पर फेंक दिया मैटेरियल
दो नई वन्य प्रजातियों का चला पता
इस अध्ययन में हिमाचल में पहली बार दो नई वन्य प्रजातियों का पता चला है। लाहुल स्पीति में वूल्ली फ्लाइंग सुकेर्ल यानी उड़ने वाली गिलहरी का पता चला है। जबकि किन्नौर में पहली बार पल्लास बिल्ली (पल्लास कैट) पाई गई है। सर्वेक्षण में स्पीति के किब्बर गांव के आठ स्थानीय युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्पीति वन्य प्रभाग के 20 फील्ड अधिकारी और 15 स्थानीय समुदाय के सदस्य इस अध्ययन कार्य में शामिल रहे। यह पहला ऐसा वैश्विक सर्वेक्षण रहा जिसमें किब्बर की स्थानीय महिलाओं की टीम ने अध्ययन के विश्लेषण में सहयोग किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।