हिमाचल के स्कूलों में नए साल से बड़ा बदलाव, मोबाइल फोन व स्मार्ट वॉच सहित 6 उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक; उल्लंघन पड़ेगा भारी
Himachal School News, हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में नए साल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। छात्रों द्वारा मोबाइल फोन और स्मार्ट वाच सहित 6 उपकरणों के इस् ...और पढ़ें

हिमाचल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में मोबाइल बैन कर दिया है। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है, जो नए साल से लागू होगा। राज्य सरकार ने स्कूल परिसर में मोबाइल फोन के साथ स्मार्टवॉच, हेडफोन, टैबलेट/आईपैड, म्यूजिक प्लेयर, हैंड-हेल्ड गेमिंग डिवाइस और रिकार्डिंग के अलावा सूचना प्रसारण में सक्षम किसी भी तरह के उपकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
सचिव शिक्षा विभाग राकेश कंवर की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। विभाग ने इसको लेकर एक एसओपी जारी की है। 1 जनवरी से स्कूलों में ये नए नियम लागू होंगे।
शिक्षण संस्थानों में अनुशासन, पढ़ाई के माहौल और छात्रों के मानसिक-सामाजिक विकास को मजबूत करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। शिक्षकों के लिए भी मोबाइल उपयोग को लेकर नए नियम लागू किए गए हैं।
वीएसके व यू डाइस प्लस पोर्टल पर किया एकीकृत
शिक्षा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) ने शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव कर इसे नई दिशा देने का काम किया है। पढ़ाने-सीखने की प्रक्रिया में तकनीक की भूमिका लगातार बढ़ रही है। इसी उद्देश्य से विभाग ने अधिकांश डिजिटल एप्लीकेशन और पोर्टल को विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके) और यू-डाइस प्लस (यू डाइस प्लस) जैसे प्लेटफॉर्म पर एकीकृत किया है। अत्यधिक और अनियंत्रित तकनीकी के उपयोग से छात्रों की एकाग्रता, अनुशासन और शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
मोबाइल फोन की लत और बढ़ती चिंताएं
सचिव शिक्षा राकेश कंवर की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि मोबाइल फोन मौजूदा समय में एक आवश्यक उपकरण बना है। बच्चों में इसकी बढ़ती लत गंभीर समस्या का रूप ले रही है। कई देशों में शैक्षणिक परिसरों में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध या कड़े नियंत्रण लागू हैं। अध्ययनों से यह भी सामने आया है कि मोबाइल फोन कक्षा में ध्यान भटकाने, पढ़ाई से दूरी बढ़ाने और उत्पादकता घटाने का बड़ा कारण बनते हैं।
इसके अलावा, छात्रों द्वारा मोबाइल के जरिए साइबर बुलिंग, सेक्सटिंग, बिना अनुमति फोटो/वीडियो रिकॉर्डिंग और डाटा प्राइवेसी उल्लंघन जैसी घटनाओं में वृद्धि भी सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
एसएमसी की भूमिका भी तय
नए निर्देशों के तहत छात्रों के लिए स्कूल परिसर में मोबाइल फोन के साथ-साथ स्मार्ट वाच, हेडफोन, गैर-शैक्षणिक टैबलेट/आईपैड, म्यूजिक प्लेयर, हैंड-हेल्ड गेमिंग डिवाइस और रिकॉर्डिंग या सूचना प्रसारण में सक्षम किसी भी उपकरण पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) की भूमिका भी तय की है। बैठकों में अभिभावकों को स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि उनके बच्चे स्कूल में मोबाइल या अन्य व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं लाएंगे। यदि कोई छात्र मोबाइल या अन्य उपकरण के साथ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। बार बार नियम तोड़ने पर निष्कासन तक की कार्रवाई की जा सकती है। स्कूल चाहें तो एसएमसी से परामर्श कर आर्थिक दंड का प्रावधान भी लागू कर सकते हैं।
ऐसे मिलेगी छूट
विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गंभीर स्वास्थ्य या सुरक्षा से जुड़ी विशेष परिस्थितियों में अभिभावक के लिखित अनुरोध पर प्रधानाचार्य की अनुमति से छात्र को मोबाइल लाने की छूट दी जा सकेगी। ऐसी स्थिति में भी मोबाइल को स्कूल में निर्धारित स्थान पर जमा करना होगा और छात्र को केवल अवकाश के समय वहीं से कॉल करने की अनुमति होगी।
शिक्षकों के लिए ये होंगे नियम
निर्देशों में शिक्षकों द्वारा मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग पर भी चिंता जताई गई है। शिक्षक कक्षा, प्रयोगशाला, परीक्षा या किसी भी शैक्षणिक गतिविधि के दौरान मोबाइल का उपयोग नहीं करेंगे, सिवाय शैक्षणिक या आपात स्थिति के। मोबाइल का उपयोग केवल डिजिटल शिक्षण सामग्री, उपस्थिति, लर्निंग एप्स और आधिकारिक स्कूल कार्यों के लिए ही किया जा सकेगा।
स्कूल समय में मोबाइल फोन साइलेंट मोड पर रखना अनिवार्य होगा। इंटरनेट मीडिया, गेमिंग या मनोरंजन से जुड़े कंटेंट का उपयोग बिना अनुमति प्रतिबंधित रहेगा। छात्रों की फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग भी बिना अनुमति नहीं की जा सकेगी। नियमों के उल्लंघन पर संबंधित शिक्षक के खिलाफ सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी
इन सभी निर्देशों के प्रभावी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रधानाचार्य व मुख्य अध्यापक की होगी। यदि किसी स्कूल में नियमों का पालन नहीं होता है और समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती, तो संबंधित प्रधानाचार्य के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि ये सभी प्रावधान 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा संहिता के पैरा 2.32 (बी) के तहत पहले से लागू नियमों का स्थान लेंगे।

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