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    हिमाचल में कानूनगो-तहसीलदारों के लिए बदलेंगे नियम, प्रमोशन व भर्ती को लेकर राजस्व विभाग ने कैबिनेट में भेजा प्रस्ताव

    Updated: Thu, 27 Feb 2025 06:39 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में पटवारी-कानूनगो की हड़ताल जारी है। सरकार ने अभी तक उनकी मांगों का समाधान नहीं किया है। पटवारी-कानूनगो राज्य स्तरीय काडर को यथावत रखने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने केवल भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में राहत देने का प्रस्ताव दिया है। पटवारी-कानूनगो इस प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार ने स्टेट काडर बनाने का फैसला विश्वासघात है।

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    हिमाचल प्रदेश में राजस्व विभाग की वेबसाइट प्रमुख पेज (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश सरकार पटवारी-कानूनगो राज्य स्तरीय काडर को यथावत रखेगी। केवल भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में राहत मिलेगी। कानूनगो, नायब तहसीलदार व तहसीलदार नए नियमों के तहत शीघ्रता से बनेंगे।

    इस संबंधी प्रस्ताव राजस्व विभाग की ओर से मंत्रिमंडल बैठक के लिए भेजा है। मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद कानूनगो, नायब तहसीलदार व तहसीलदारों के पदोन्नति नियम निर्धारित होंगे। जबकि स्टेट काडर को खत्म करने पर अड़े पटवारी-कानूनगो ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।

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    स्टेट काडर का विरोध कर रहे पटवारी-कानूनगो चाहते थे कि सरकार स्टेट काडर की अधिसूचना को रद करे। इससे पहले पटवारी व कानूनगो 2 दिन की सामूहिक अवकाश पर थे, जिस कारण राजस्व सेवाएं पहले ही प्रभावित हो रही थी।

    रिटायर्ड पटवारी और कानूनगो की सेवाएं लेने का निर्णय

    इस बीच स्थिति को भांपते हुए सरकार ने सेवानिवृत पटवारी एवं कानूनगो की सेवाएं लेने का निर्णय लिया है। लेकिन सेवानिवृत पटवारियों व कानूनगो की संख्या कम होने के कारण व्यवस्था सामान्य नहीं हो सकी। इसके चलते ऑनलाइन कार्य जैसे हिमाचली प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, कृषक प्रमाण पत्र और ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्रों के अलावा रजिस्ट्रियों, इंतकाल, ऋण और ई-केवाईसी प्रक्रिया ठप पड़ी है।

    इस बीच हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के राज्य प्रधान सतीश चौधरी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश स्तरीय बैठक में आंदोलन को जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इसमें सभी जिला के प्रधान एवं अन्य पदाधिकारी शामिल हुए।

    स्टेट काडर की अधिसूचना जारी करने को बताया विश्वासघात

    बैठक के बाद महासंघ के नेताओं ने सरकार पर स्टेट काडर की अधिसूचना को जारी करने के निर्णय को विश्वासघात बताया। उनको आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाए बिना बहुत साारे काम थोपे गए हैं तथा पदोन्नति प्रक्रिया भी आगे नहीं बढ़ रही है।

    उन्होंने कहा कि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने उनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए समिति का गठन किया था, लेकिन उसके बाद भी समस्याओं का निपटारा नहीं हुआ।

    ऐसे में यदि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करना चाहती है, तो कर लें। उन्होंने कहा कि अप्रैल में 250 पद पटवारियों के और खाली होने हैं और इतने ही पटवारी-कानूनगो पदोन्नत होने है।

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    हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के राज्य प्रधान सतीश चौधरी ने संपर्क करने पर बताया कि बैठक में सभी पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि उनको स्टेट काडर का निर्णय स्वीकार्य नहीं है।

    इसके बावजूद वह सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार है। सरकार को उनकी जायज मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो उनके पास आंदोलन पर जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।

    पटवारी-कानूनगो के समर्थन की मांग

    हिमाचल प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ ने पटवारी-कानूनगो की मांगों का समर्थन किया है। संघ के अध्यक्ष नारायण सिंह वर्मा एवं महासचिव विपिन वर्मा ने सरकार से उनकी मांगों का शीघ्र निवारण करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि पटवारी-कानूनगो को स्टेट काडर बनाने संबंधी निर्णय भर्ती एवं पदोन्नति नियम बनाने के बाद लेना चाहिए था।

    उन्होंने कहा कि शेरशाह सूरी के समय से करीब 500 वर्ष से चल रहा राजस्व विभाग सरकार की रीढ़ है, जिसकी भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव, सीमांकन, राजस्व संग्रह और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

    उन्होंने कहा कि पटवारी-कानूनगो के ऊपर वर्तमान समय में काम का अत्यधिक बोझ होने के बावजूद उसके अनुरुप सुविधाएं नहीं मिल रही है। सरकार को पहले समिति की सिफारिशों को शीघ्र लागू करना चाहिए।

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