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    हिमाचल में नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला, आरक्षण रोस्टर रोकने की मांग नकारी

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 05:30 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने शहरी निकाय चुनाव समय पर कराने का आदेश दिया है ओबीसी सर्वे के कारण चुनाव टालने की मांग अस्वीकार कर दी गई है। आयोग ने 40 शहरी निकायों के चुनाव जनवरी से पहले कराने के निर्देश दिए हैं। आरक्षण रोस्टर 2011 की जनगणना के आधार पर जारी होगा और जिन जातियों की जनसंख्या 5% से कम है उनके लिए सीटें आरक्षित नहीं होंगी।

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    निर्वाचन आयोग ने शहरी निकाय में आरक्षण रोस्टर रोकने की मांग नकार दी है। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने शहरी निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने शहरी विकास विभाग के ओबीसी सर्वे के कारण चुनाव टालने की मांग को अस्वीकार कर दिया है।

    हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं कि प्रदेश के 40 शहरी निकायों के चुनाव जनवरी से पूर्व होने हैं, उन्हें समय पर करवाना आवश्यक है। ऐसे में ओबीसी सर्वे जिसमें लंबा समय लगेगा, उस कारण चुनाव प्रक्रिया को नहीं टाला जा सकता है।

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    प्रदेश मंत्रिमंडल ने ओबीसी आयोग के गठन को मंजूरी दे दी थी और ओबीसी आयोग के गठन के बाद बाकी प्रक्रिया के तहत सर्वे होना है। हालांकि इस बार जो जनगणना हो रही है, वह जाति आधार पर हो रही है।

    चार नगर निगम व 40 नगर परिषद व नगर पंचायतों में होंगे चुनाव

    प्रदेश के आठ नगर निगमों में शिमला को छोड़ धर्मशाला, सोलन, मंडी, पालमपुर में अप्रैल से पूर्व चुनाव होने हैं, इसके अलावा तीन नए नगर निगम ऊना, हमीरपुर और बद्दी में अभी चुनाव नहीं होंगे। जबकि 40 नगर परिषद और नगर पंचायत ऐसे हैं, जिनके चुनाव जनवरी से पूर्व होने हैं। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी संबंधित जिला उपायुक्तों को इनमें आरक्षण रोस्टर जारी करन के निर्देश दिए हैं।

    आरक्षण रोस्टर 2011 की जनगणना के आधार पर होना है जारी

    प्रदेश में शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण रोस्टर 2011 की जनगणना के आधार पर नए सिरे से जारी होना है। इसके लिए स्पष्ट निर्देश पहले ही जारी किए गए हैं। जिस जाति की जनसंख्या संबंधित निकायों में पांच प्रतिशत से कम होगी, उसके लिए सीटें आरक्षित नहीं होगी।

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