हिमाचल हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, जिला मुख्यालयों में कूड़ा प्रबंधन संयंत्र क्यों नहीं, ...हलफनामा दायर करें
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला मुख्यालयों में अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों की कमी पर सरकार से जवाब मांगा है। हमीरपुर में संयंत्र न होने पर कोर्ट ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के सचिव से हलफनामा मांगा है। याचिकाकर्ता ने संयंत्र स्थल के पास घर होने और कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। कोर्ट ने निरीक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है

विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कुछ जिला मुख्यालयों में अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र न होने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि प्रत्येक जिला मुख्यालयों में अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र क्यों नहीं लगाए गए हैं। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ को बताया गया कि जिला मुख्यालय हमीरपुर में भी कोई अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र नहीं है।
इस पर कोर्ट ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के सचिव को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि जिला मुख्यालय में कोई अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र क्यों नहीं है और ऐसा संयंत्र जिला मुख्यालय पर क्यों उपलब्ध नहीं है, जो संबंधित स्थल से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर बताया गया है और कचरा 60 किलोमीटर दूर ऊना ले जाया जा रहा है।
याचिका में बताया गया है कि विवाद 1917-80 वर्ग मीटर भूमि के उपयोग के संबंध में है जो ग्राम नगरदा मौजा कोहला तहसील नादौन जिला हमीरपुर में स्थित है। इसे उपायुक्त द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र की स्थापना,निर्माण के लिए हस्तांतरित किया गया था और 5 जनवरी 2019 को इस प्रयोजन के लिए आवंटित किया गया था।
60 मीटर की दूरी पर है याचिकाकर्ता का घर
याचिकाकर्ता का आवासीय घर स्पष्टत उक्त स्थल से 60 मीटर की दूरी पर है, जिसमें पानी के कुएं भी शामिल हैं। दुर्गंध और नगर पंचायत नादौन द्वारा आवंटित हिस्से के कुप्रबंधन के आरोप को लेकर याचिका दायर की गई है। प्रार्थी ने विभिन्न तस्वीरें रिकॉर्ड में रखी हैं, जिनमें कूड़े के बड़े-बड़े ढेर बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं और मवेशी उनमें खाने की खोज कर रहे हैं।
निरीक्षण कर रिपोर्ट देने का निर्देश
कोर्ट ने सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हमीरपुर को नगर पंचायत नादौन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की उपस्थिति में विवादित स्थल का निरीक्षण करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने जलशक्ति विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति को भी सुनिश्चित करने को कहा है, क्योंकि आसपास के कुओं के प्रदूषण का मुद्दा भी मौके पर उठ सकता है।
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