हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने दिव्यांग को 87.60 लाख रुपये मुआवजा देने का दिया आदेश, 2012 का सड़क दुर्घटना का है मामला
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने टाटा एआइजी इंश्योरेंस कंपनी को एक सड़क दुर्घटना में 100% दिव्यांग हुए पीड़ित को 87 लाख 60 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। अभिजीत सिंह ठाकुर नामक पीड़ित 2012 में एक मोटर वाहन दुर्घटना में अपने पिता की लापरवाही के कारण पूरी तरह से दिव्यांग हो गया था।

विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने टाटा एआइजी इंश्योरेंस कंपनी को सौ प्रतिशत दिव्यांग को 87 लाख 60 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। पीड़ित अभिजीत सिंह ठाकुर पिता की लापरवाही से मोटर वाहन दुर्घटना के दौरान 100 प्रतिशत दिव्यांग हो गया था। मोटर दुर्घटना मुआवजा प्राधिकरण ने 67,88,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कोर्ट अपीलीय स्तर पर भी कानून के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उचित, निष्पक्ष और पर्याप्त मुआवजा दे सकते हैं। मामले के अनुसार मोटर वाहन से जुड़ी एक दुर्घटना में लगी चोटों और दिव्यांगता के लिए मुआवजे के लिए दावेदार अभिजीत ने अधिनियम की धारा 166 के तहत दावा याचिका दायर की थी।
दुर्घटना 14 नवंबर 2012 को सुबह 7.30 बजे नेरवा से लालपानी रोड पर कलारा में हुई थी। वाहन को दावेदार का पिता चला रहा था। वाहन सड़क से उतरकर खाई में गिर गया, जिससे दावेदार को गंभीर चोटें आईं। इससे वह 100 फीसद दिव्यांग हो गया।
दावेदार लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जालंधर (पंजाब) में सिविल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का तृतीय वर्ष का छात्र था। दिव्यांगता के बाद दावेदार अपनी शैक्षिक पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर सका और पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो गया।
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मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण ने इंश्योरेंस कंपनी को 7.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सहित 67,88,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस राशि को बढ़ाते हुए कहा कि पीड़ित जो 14 नवंबर 2012 तक मेधावी छात्र था, पैराप्लेजिया के कारण सौ प्रतिशत दिव्यांग हो गया।
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यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसी स्थिति में दावेदार को अपना शेष जीवन बिस्तर पर लेटकर या कुर्सी पर बैठकर बिताना होगा। उसके शानदार करियर, विवाह और जीवन के अन्य सभी आनंद के अवसर छीन लिए गए हैं। हालांकि कोई भी धनराशि इस तरह के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपरोक्त नुकसान के लिए उचित और पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए।
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