Himachal High Court: जज की माफी स्वीकारते हिमाचल हाई कोर्ट ने कहा- धैर्य को कमजोरी न समझें
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अवमानना के आरोपित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नालागढ़ अभय मंडयाल की क्षमा को स्वीकार कर लिया है। न्यायाधीश बीसी नेगी ने कहा कि उक्त जज की क्षमा याचना को पहले अस्वीकार करने के बाद ही आरोपित का विवेक जागृत हुआ है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि भविष्य में न्यायालय के आदेशों की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई होगी।
विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अवमानना के आरोपित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नालागढ़ अभय मंडयाल की क्षमा को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने क्षमा स्वीकारते हुए कहा कि न्यायपालिका के धैर्य को कभी भी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
न्यायाधीश बीसी नेगी ने कहा कि उक्त जज की क्षमा याचना को पहले अस्वीकार करने के बाद ही आरोपित का विवेक जागृत हुआ है। कोर्ट ने उक्त जज को चेतावनी दी कि भविष्य में न्यायालय के आदेशों की किसी भी प्रकार की अवहेलना, चाहे वह मामूली रूप से ही क्यों न हो, तो शीघ्र और दृढ़ कार्रवाई होगी।
कोर्ट ने कहा कि अवमाननाकर्ता एक वरिष्ठ, अनुभवी न्यायिक अधिकारी हैं और यह माना जाना चाहिए कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत इस देश में न्यायालय के आदेशों का पालन किया जाना चाहिए। इस मामले में किसी भी न्यायालय के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी सकती। न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करने का प्रयास न्यायालय की गरिमा और न्याय प्रशासन के लिए अपमानजनक है।
क्या है मामला
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता राम लाल ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, नालागढ़ की ओर से 24 मई 2025 को पारित आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उक्त न्यायालय ने उसकी शिकायत में संशोधन करने तथा अमरो (मृतक) और जोगिंद्रा सहकारी बैंक लिमिटेड का नाम हटाने के लिए दायर आवेदन को खारिज कर दिया गया था। मामला 30 मई 2025 को उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था तथा हाई कोर्ट की ओर से प्रथम अपीलीय न्यायालय के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी। जब उपरोक्त जज ने हाई कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया और अपील का निपटारा 30 मई को ही कर दिया तो प्रार्थी ने प्रथम अपीलीय न्यायालय के समक्ष घटित हुए आगामी घटनाक्रमों को रिकार्ड में रखने के लिए एक आवेदन हाई कोर्ट में दायर किया गया।
दलीलें सुने बिना निर्णय पारित किया
कोर्ट को बताया गया कि 30 मई को प्रारंभ में पूर्वाह्न में उक्त जज को हाई कोर्ट की ओर से दिए गए अंतरिम आदेश के बारे में मौखिक रूप से सूचित किया गया था। यह आरोप लगाया गया कि प्रथम अपीलीय अदालत ने प्रार्थी के आवेदन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। हाई कोर्ट के समक्ष दायर आवेदन में यह आरोप लगाया गया था कि हाई कोर्ट द्वारा पारित स्थगन आदेशों पर विचार किए बिना और दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें सुने बिना, अपील में 44 पृष्ठों का विस्तृत निर्णय पारित किया गया।
आदेश की अवहेलना कर न्यायालय की घोर अवमानना की
कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया इन तथ्यों से, यह स्पष्ट है कि अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, नालागढ़ ने पहले ही एक निर्णय तैयार कर लिया था। कोर्ट ने कहा कि था प्रथम दृष्टया अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, नालागढ़ ने हाई कोर्ट द्वारा पारित 30 मई 2025 के आदेश की अवहेलना करके न्यायालय की घोर अवमानना की है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।