हिमाचल में अब ठेकेदार बनने के लिए चाहिए पांच से 50 लाख रुपये अचल संपत्ति, सरकार ने बदल दिए नियम, आफलाइन होंगे टेंडर
Himachal Pradesh Govt News हिमाचल प्रदेश सरकार ने जलशक्ति विभाग में ठेकेदारों के पंजीकरण नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के अनुसार ठेकेदार बनने के लिए पांच से 50 लाख रुपये की अचल संपत्ति की आवश्यकता होगी। क्लास ए से डी तक के ठेकेदारों के लिए पंजीकरण शुल्क भी निर्धारित किया गया है

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh Govt News, हिमाचल प्रदेश सरकार ने जलशक्ति विभाग में ठेकेदारों को पंजीकृत करने के लिए नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत ठेकेदार बनने के लिए पांच से 50 लाख रुपये अचल संपत्ति चाहिए। क्लास ए से डी तक के ठेकेदारों के लिए यह नियम तय किया गया है। इस संबंध में शनिवार को जलशक्ति विभाग की ओर से अधिसूचना जारी की गई। हालांकि यह संशोधन काफी समय पहले कर दिया गया था।
राजपत्र में अब इसे प्रकाशित किया गया है। क्लास-ए ठेकेदार को पंजीकरण करने के लिए 25 हजार फीस निर्धारित की गई है। फीस के अलावा 500 रुपये प्रोसेसिंग चार्जेज निर्धारित हैं। इसके लिए आवेदन फार्म 1000 रुपये का होगा। क्लास बी के लिए यह फीस 15 हजार निर्धारित की है। प्रोसेसिंग फीस 500 रुपये व फार्म की फीस 1000 रुपये ही है।
क्लास सी व डी के लिए यह रहेगा पंजीकरण शुल्क
क्लास-सी के लिए 7500 रुपये पंजीकरण फीस है। प्रोसेसिंग फीस 500 व फार्म 1000 रुपये ही होगी। इसी तरह क्लास-डी के लिए 2500 रुपये फीस है। प्रोसेसिंग फीस पांच सौ व फार्म की फीस एक हजार ही होगी। इन्हें नवीकरण के लिए कुल तय फीस की 50 प्रतिशत की राशि देनी होगी।
क्लास ए ठेकेदार की अचल संपत्ति 50 लाख रुपये होनी चाहिए
ठेकेदारों के लिए अचल संपत्ति की शर्त भी तय की है। क्लास-ए ठेकेदार या फर्म की अचल संपत्ति 50 लाख की होनी चाहिए। उसके पास 25 लाख तक साल्वेंसी प्रमाण पत्र होना चाहिए। बी-क्लास के पास 30 लाख की अचल संपत्ति और पांच लाख का साल्वेंसी प्रमाण पत्र होना चाहिए। क्लास-सी के लिए 10 लाख की अचल संपत्ति और 2.5 लाख की साल्वेंसी प्रमाणपत्र होना चाहिए। क्लास-डी के लिए पांच लाख की अचल संपत्ति और एक लाख का सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट होना चाहिए।
आपात स्थिति के मद्देनजर पांच लाख तक होंगे आफलाइन टेंडर
शिमला। आपात स्थिति को देखते हुए जलशक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग में पांच लाख रुपये तक के टेंडर आफलाइन होंगे। राज्य सरकार ने इस संबंध में शनिवार को अधिसूचना जारी की है। मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया था। दोनों विभागों के अधिकारी खासकर उन इलाकों में जहां पर आपदा आती है वहां पर तुरंत राहत कार्य करने के लिए इस तरह से टेंडर कर सकते हैं। इस निर्णय से राहत कार्य में देरी नहीं होगी। इसकी शक्तियां फील्ड अधिकारियों को दी गई हैं। इससे पहले एक लाख तक के टेंडर यह लोग कर सकते थे, मगर अब पांच लाख तक का काम तुरंत करवाने के लिए यह नई प्रक्रिया को अपना सकते हैं। लोक निर्माण विभाग में पांच लाख तक की लिमिट तो जल शक्ति विभाग में चार लाख 99 हजार तक के टेंडर आफ लाइन करने को कहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जब आपदा ग्रस्त इलाकों का दौरा करके शिमला लौटे थे तो उन्होंने इसकी घोषणा की थी।
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