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    सूखे के चक्रव्यूह में घिरा हिमाचल, पांच महीनों से गंभीर हालात; अब फसल के लिए पानी खरीद रहे किसान

    Updated: Wed, 12 Feb 2025 03:03 PM (IST)

    Himachal Pradesh Drought News हिमाचल प्रदेश में सूखे की स्थिति कोई नई नहीं है। हर साल प्रदेश में सूखे जैसे हालात देखे जाते हैं जिससे किसानों को नुकसान पहुंचता है। इस समय सूखे के कारण किसानों की गेहूं सहित रबी की फसलें बर्बाद हो गई हैं। सेब के बागवान भी संकट में हैं। पेयजल परियोजनाओं में पानी का स्तर घट रहा है।

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    एक बार फिर सूखे की चपेट में हिमाचल प्रदेश (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश सूखे के चक्रव्यूह में घिरता जा रहा है, उसका परिणाम ये है कि गेहूं सहित रबी की फसल सिंचित क्षेत्रों को छोड़कर बर्बाद हो चुकी है। सेब बहुल क्षेत्रों में बागवानों के सामने सेब के पौधों को सूखने से बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है।

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    ब सहित अन्य फलदार पौधों को बचाने के लिए खरीदकर पानी बगीचों में पहुंचाया जा रहा है। सेब के पाैधों के नीचे पानी डालने का काम किया जा रहा है। सचिवालय में साप्ताहिक समीक्षा बैठक में पेयजल स्थिति पर आधिकारिक स्तर पर चर्चा होती है।

    जल शक्ति विभाग की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में अवगत करवा दिया गया है कि पेयजल परियोजनाओं में पानी का स्तर घटता जा रहा है। प्रदेश के एकमात्र कुल्लू जिला में वर्षा के जल स्तर की बात की जाए तो गिरावट -16 प्रतिशत है। जोकि प्रदेश के अन्य ग्यारह जिलों में सबसे कम प्रतिशतता है।

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    बर्फबारी के कारण बने सूखे जैसे हालात

    कुल्लू जिला को छोड़ दें तो अन्य जिले तेजी से सूखाग्रस्त होने की स्थिति की ओर भाग रहे हैं। मौसम विभाग की ओर से ये कहा जा रहा है कि प्रदेश में सामान्य से कम वर्षा और हिमपात होने के कारण सूखे जैसे हालात बनते जा रहे हैं।

    इसके पीछे प्रमाण दिया गया है कि मानसून के बाद के पांच महीनों में कहीं पर भी पर्याप्त वर्षा नहीं हुई। सचिवालय में साप्ताहिक समीक्षा बैठक में पेयजल परियोजनाओं में घटता जलस्तर बेचैनी पैदा कर रहा है।

    मानसून के बाद पांच महीने सूखे निकले

    मानसून के बाद पांच महीनों के दौरान प्रदेश में पर्याप्त वर्षा और हिमपात नहीं हुआ है। प्रदेश में वर्षा सामान्य से बहुत कम हो रही है। अक्टूबर में -97 प्रतिशत, नवंबर में -99 प्रतिशत, दिसंबर में -23 प्रतिशत, जनवरी में 98 प्रतिशत और फरवरी में -56 प्रतिशत कमी चल रही है।

    हर कोई आसमान की तरफ निहार रहा है कि कब बादल आएं और सूखी धरती और पहाड़ बर्फ से लकदक हों। हालात यह हैं कि एक-एक दिन कर तीन माह का समय व्यतीत हो चुका है और वर्षा के आसार नहीं हैं। इसका व्यापक स्तर पर असर हो रहा है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भी सूखे से राहत न मिलने का अनुमान लगाया है और मौसम के साफ रहने की संभावना जताई है।

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