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    हिमाचल में सूखे की मार, फिर बनने लगे 19 साल पहले जैसे हालात; किसान-बागवान सब परेशान

    Updated: Sun, 15 Dec 2024 08:37 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश इन दिनों सूखे की मार झेल रहा है। 2005 यानी 19 साल के बाद फिर एक बार ऐसे ही हालात होने लगा है। हिमाचल में इस साल मात्र 2.3 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। सूखे से किसानों बागवानों और कारोबारियों की हालात खराब है। सबकी नजर आसमान की तरफ है। वहीं मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में इससे राहत न मिलने की संभावना व्यक्त की है।

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    पर्यटक हिमाचल पहुंच रहे है लेकिन बर्फ दूर ही दिख रही है (फोटो- जागरण)

    यादवेन्द्र शर्मा, शिमला। देवभूमि हिमाचल में वर्ष 2005 यानी 19 वर्ष के बाद सूखे के ऐसे हालात हैं, जो सभी पर भारी पड़ रहे हैं। वर्ष 2005 में तीन माह अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में प्रदेश में सामान्य से 99 प्रतिशत कम वर्षा यानी केवल एक मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी, जबकि इस बार सामान्य से 96 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। 2.3 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।

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    हर कोई आसमान की तरफ निहार रहा है कि कब बादल आएं और सूखी धरती और पहाड़ बर्फ से लकदक हों। हालात यह हैं कि एक-एक दिन कर तीन माह का समय व्यतीत हो चुका है और वर्षा के आसार नहीं हैं। इसका व्यापक स्तर पर असर हो रहा है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भी सूखे से राहत न मिलने का अनुमान लगाया है और मौसम के साफ रहने की संभावना जताई है।

    58 प्रतिशत हिस्से में नहीं हो सकी रबी फसलों की बिजाई

    प्रदेश में 58 प्रतिशत क्षेत्र में रबी की फसलों की बिजाई ही नहीं हो सकी है। ऐसे में कृषकों के हालात खराब हैं। यही नहीं जिन्होंने नकदी फसलें लगा रखी हैं, जिसमें मटर, फूलगोभी, बंदगोभी, सरसों आदि को नुकसान हुआ है।

    दिन में तेज धूप, सुबह-शाम तापमान जमाव बिंदु से नीचे

    लगातार सूखे और दिन में तेज धूप के कारण गर्मी जैसा मौसम है, जबकि सुबह और शाम उतनी ही ज्यादा ठंड पड़ रही है। दिन का तापमान अधिक है और सुबह और शाम जमाव बिंदु से नीचे जा रहा है। ऐसे में शुष्क ठंड के कारण बुखार, जुकाम और गले में खराश आदि के मामले अस्पतालों में ज्यादा तादाद में आ रहे हैं।

    चार जिलों में एक मिलीमीटर से कम वर्षा

    प्रदेश के चार जिलों में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में अभी तक एक मिलीमीटर से कम वर्षा दर्ज की गई है। चंबा और सिरमौर जिलों में वर्षा ही नहीं हुई और जीरो मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।

    बिलासपुर और कुल्लू में एक मिलीमीटर से कर्म वर्षा हुई है। ऊना जिला में 8.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। दिसंबर में हल्का हिमपात हुआ है, जिससे इतने समय के सूखे पर कोई विशेष असर नहीं हुआ है।

    पर्यटन कारोबार व बिजली उत्पादन प्रभावित

    सूखे और बर्फ न पड़ने के कारण पर्यटन कारोबार भी प्रभावित है, वहीं नदियों के जलस्तर में कमी से बिजली उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। पर्यटकों की संख्या जो सामान्य दिनों में अधिक रहती थी, बहुत कम है। केवल वीकेंड पर ही ज्यादा पर्यटक देखने को मिल रहे हैं। पर्यटकों की आमद में पहले की अपेक्षा कुछ कमी है। ऐसे में अन्य कारोबार पर भी असर हुआ है।

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    पेयजल योजनाएं भी प्रभावित

    प्रदेश में लगातार पड़ रहे सूखे के कारण करीब तीन हजार पेयजल योजनाओं में 20 प्रतिशत प्रभावित हुई हैं। इनमें से 314 पेयजल योजनाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। धर्मशाला, चंबा व शिमला में ज्यादा असर है। आने वाले दिनों में भी यही स्थित रहती है तो और ज्यादा असर होगा।

    बागवानी के लिए सूखे की स्थिति ज्यादा खतरनाक है। इस कारण सभी प्रकार के नए पौधों को ज्यादा नुकसान है। ऐसे पौधों की ज्यादा देखभाल जरूरी है। सूखे के ऐसे हालात में कोहरा ज्यादा पड़ता है। इसके लिए शाम के समय सिंचाई और पौधों को ढक कर रखें, जिससे कोहरे का असर न हो। बीमारियां भी ज्यादा लगती हैं। इसलिए नमी का होना आवश्यक है। मल्चिंग से भी कुछ राहत मिल सकती है। सूखे के कारण सर्दियों में होने वाले खाद-पानी और अन्य बीमारियों के लिए उपचार संबंधी कार्य प्रभावित हुए हैं।

    -डॉ. एसके भारद्वाज, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन।

    अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में अब तक हुई वर्षा व सामान्य वर्षा

    जिला वर्षा हुई सामान्य वर्षा अंतर
    बिलासपुर 0.4 32.4 -99
    चंबा 0 82.9 -100
    हमीरपुर 3.1 40.2 -92
    कांगड़ा 1.5 56.1 -97
    किन्नौर 3.3 48.1 -93
    कुल्लू 0.2 68.3 -99

    लाहुल स्पीति

    3.9 65.4 -94

    मंडी

    3.7 42.5 -91

    शिमला

    2.1 46.6 -96

    सिरमौर

    0 44.4 -99

    सोलन

    1.2 44.7 -97

    ऊना

    8.7 38.1 -77

    प्रदेश में

    2.3 57.7 -96

    वर्ष 2005 में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर माह में वर्षा की स्थिति

    कांगड़ा में 2005 में तीन माह अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर माह में सामान्य से 99 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी। इस दौरान कांगड़ा में केवल सात मिलीमीटर वर्षा हुई थी, जबकि बाकी जिलों में एक व दो मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी।

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