बिहार-केरल व ओडिशा के 11 जिलों पर मंडरा रहा बाढ़ और सूखे का दोहरा संकट, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी गुवाहाटी और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीइपी) बेंगलुरु ने देश के विभिन्न राज्यों का जिला-स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन कर बाढ़ और सूखे के जोखिमों की मानचित्रण रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट से केंद्र व राज्य सरकारों को आपदा तैयारी और नीति निर्माण करने में मदद मिलेगी। हालांकि इस रिपोर्ट से चिंता की लकीरें पड़ गई हैं।

जागरण संवाददाता, मंडी। देश के कई राज्यों के 143 जिलों में बाढ़ और 317 में सूखे का उच्चतम खतरा है। बाढ़ की दृष्टि से असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर अति संवेदनशील हैं। बिहार, असम, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र में सूखे का उच्चतम खतरा है।
बिहार, केरल और ओडिशा के 11 जिलों पर बाढ़ सूखे का दोहरा संकट मंडरा रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी, गुवाहाटी और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीइपी) बेंगलुरु ने देश के विभिन्न राज्यों का जिला-स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन कर बाढ़ और सूखे के जोखिमों की मानचित्रण रिपोर्ट जारी की है। इससे केंद्र व राज्य सरकारों को आपदा तैयारी और नीति निर्माण करने में मदद मिलेगी।
बाढ़ का जोखिम
देश के 51 जिले बहुत उच्च बाढ़ के जोखिम का सामना कर रहे हैं, जबकि 118 और जिलों को उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। संवेदनशील क्षेत्रों में असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, गुजरात, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।
सूखे का जोखिम
91 जिलों की पहचान बहुत उच्च सूखे के जोखिम के साथ हुई है। 188 जिलों को उच्च सूखे के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। इसमें मुख्य रूप से बिहार, असम, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र के जिले शामिल हैं।
दोहरे जोखिम वाले क्षेत्र
चिंताजनक रूप से बिहार का पटना, केरल का अलपुझा और केंद्रपाड़ा, ओडिशा के 11 जिले बाढ़ और सूखे दोनों का उच्चतम खतरा है। इनमें तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। “जलवायु परिवर्तन वर्तमान समय की सबसे गंभीर चुनौती है।
यह रिपोर्ट जोखिमों का आकलन कर नीतिगत सुधार की दिशा में मार्गदर्शन करेगी। हमारे पास अब एक ऐसा रोडमैप है, जो क्षेत्रीय स्तर पर बाढ़ और सूखे जैसे खतरों से निपटने में सहायक होगा। डॉ. अनीता गुप्ता, डीएसटी की विज्ञानी प्रभाग प्रमुख
हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए जलवायु अनुकूलन को आर्थिक विकास में एकीकृत करना बेहद आवश्यक है। इस रिपोर्ट के जरिए भारत के पास जलवायु चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करने का मौका है। -पियरे-यवेस पिटेलौड, एसडीसी के वरिष्ठ क्षेत्रीय सलाहकार
यह रिपोर्ट जलवायु जोखिम को समझने और स्थानीय अनुकूलन रणनीतियों को तैयार करने में मदद करेगी। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहयोग मिलेगा। -प्रो. देवेंद्र जलिहाल, निदेशक आईआईटी गुवाहाटी
दोहरे जोखिम वाले जिलों में आपदा तैयारी और संसाधनों के आवंटन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यह रिपोर्ट साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए एक आधार प्रदान करेगी। -डॉ. इंदु के मूर्ति, शोधार्थी सीएसटीईपी बेंगलुरु
इस शोध ने बाढ़ और सूखे के जोखिम से संबंधित अखिल भारतीय जिला स्तरीय मानचित्र विकसित करने और जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों की पहचान करने में मदद की है। राज्यों ने भी अपने-अपने स्तर पर जोखिम आकलन तैयार किए हैं। -डा. श्यामाश्री दासगुप्ता, आइआइटी मंडी
देश के लिए एक नई दिशा यह रिपोर्ट जलवायु अनुकूलन और शमन में देश के प्रयासों को मजबूत करने के साथ-साथ 2047 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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