हिमाचल में कर्मचारियों को DA देने के बाद अब जेसीसी बैठक करवाने की तैयारी में सरकार, लंबित मांगों पर बनेगी बात?
हिमाचल प्रदेश सरकार कर्मचारियों को डीए देने के बाद अब जेसीसी की बैठक बुलाने की तैयारी में है। इस बैठक में कर्मचारियों की लंबित मांगों पर विचार किया जाएगा। कर्मचारी संघों को उम्मीद है कि सरकार वेतन विसंगतियों और पुरानी पेंशन योजना जैसी उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाएगी। यह बैठक सरकार और कर्मचारियों के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव
हिमाचल में कर्मचारियों को DA देने के बाद अब जेसीसी बैठक करवाने की तैयारी, लंबित मांगों पर बनेगी बात
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार कर्मचारियों के साथ संबंधों को सुधारने के उद्देश्य से जेसीसी बैठक बुलाने की योजना बना रही है। हाल ही में कर्मचारियों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) मिलने के बाद सरकार और कर्मचारियों के बीच का माहौल बेहतर हुआ है।
इस स्थिति में कर्मचारियों की सबसे बड़ी संस्था की बैठक होने की संभावना बढ़ गई है। वर्तमान में प्रदेश सरकार के निकट प्रदीप ठाकुर हैं और कर्मचारी राजनीति का केंद्र बन गए हैं।
कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन प्रमुख संगठनों ने सरकार से अनुरोध किया है कि शीघ्र ही जेसीसी की बैठक आयोजित की जाए, ताकि कर्मचारियों के हितों पर चर्चा की जा सके। प्रदेश सरकार के सत्ता में तीन वर्ष पूरे होने को हैं, लेकिन अभी तक जेसीसी का गठन नहीं हो पाया है।
पूर्व सरकार में हुई थी बैठक
यदि पिछली भाजपा सरकार की बात करें, तो अश्विनी ठाकुर की अध्यक्षता में जयराम सरकार ने जेसीसी को मान्यता दी थी और उस समय बैठक भी आयोजित की गई थी। सत्ता परिवर्तन के बाद, कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष मिलते रहे हैं, लेकिन जेसीसी की बैठक का आयोजन नहीं हो सका है।
लंबित मांगों पर हो सकेगी चर्चा
हमारी शुरू से मांग रही है कि जेसीसी की बैठक बुलाई जाए। डीए की बात की जाए तो चार प्रतिशत डीए मिलना चाहिए था, जबकि सरकार ने तीन प्रतिशत ही दिया है। जेसीसी होने पर सरकार के 85 विभागों व स्वाययत संस्थानों के कर्मचारी लंबित पड़ी मांगों पर सरकार के आमने-सामने बैठकर चर्चा करते हैं।
-त्रिलोक ठाकुर, अध्यक्ष, राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ। (त्रिलोक गुट)
जेसीसी होने से सीधा संवाद होगा
वर्तमान प्रदेश सरकार कर्मचारी हितैषी है। सबसे पहले कर्मचारियों की पेंशन की मांग को पूरा करते हुए ओपीएस लाया गया। राज्य की खराब वित्तीय हालत के बावजूद सरकार ने दो बार कर्मचारियों व पेंशनरों को महंगाई भत्ते की किश्त जारी की है। जेसीसी होने से कर्मचारियों का सरकार से सीधा संवाद होगा।
-प्रदीप ठाकुर, अध्यक्ष राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ। (प्रदीप गुट)
समाप्त हो गई है प्रासंगिकता
इस समय जेसीसी की प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है। राज्य सरकार को जो कर्मचारी पसंद होता है, उसे मान्यता प्रदान की जाती है। पिछले डेढ़ दशक से कर्मचारियों की इस संविधानिक संस्था की कोई अहमियत नहीं रह गई है।
-विनोद कुमार, अध्यक्ष राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ। (विनोद गुट)
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