हिमाचल के पूर्व डिप्टी ड्रग कंट्रोलर कपिल धीमान के खिलाफ ED ने दायर की चार्जशीट, रुतबे से बनाई अपराध की कमाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश में दवा लाइसेंस जारी करने में रिश्वतखोरी के आरोप में पूर्व डिप्टी ड्रग कंट्रोलर कपिल धीमान के खिलाफ शिमला की ...और पढ़ें

ईडी ने हिमाचल के पूर्व ड्रग कंट्रोलर के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। प्रतीकात्मक फोटो
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश में प्रवर्तन निदेशालय ने दवा बनाने के लाइसेंस जारी करने और रिन्यू करने के लिए रिश्वत लेने के मामले में शिमला की स्पेशल कोर्ट में पूर्व डिप्टी ड्रग कंट्रोलर, ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय शिमला ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के प्रावधानों के तहत पूर्व डिप्टी ड्रग कंट्रोलर कपिल धीमान और अन्य के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दायर की है।
चल व अचल संपत्तियां भी की थीं कुर्क
इससे पहले उक्त अधिनियम के तहत जांच के दौरान, ईडी ने 12 जनवरी, 2022 के एक प्रोविजनल अटैचमेंट आदेश के जरिए कपिल धीमान और उनके परिवार के सदस्यों की 2.07 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को भी अस्थायी रूप से कुर्क किया था।
विजिलेंस ने शुरू की थी जांच
ईडी ने हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्टेट विजिलेंस एंड एंटी-करप्शन ब्यूरो द्वारा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 1988 और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कपिल धीमान (तत्कालीन डिप्टी ड्रग कंट्रोलर/ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी, सोलन) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी।
आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप
प्राथमिकी में दवा बनाने के लाइसेंस जारी करने और रिन्यू करने के लिए रिश्वत लेने और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया गया था। अपनी जांच के बाद, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों ने 9 मार्च, 2018 को सोलन के स्पेशल जज के सामने इस मामले में धीमान और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
पिता और भतीजे को भी ठहराया था दोषी
निर्धारित अपराध के ट्रायल के दौरान, सोलन के स्पेशल जज ने 11 दिसंबर, 2024 को दिए गए फैसले में कपिल धीमान, लक्ष्मण सिंह धीमान (कपिल धीमान के पिता) और पुनीत धीमान (कपिल धीमान के भतीजे) को अपराध में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया।
ईडी की जांच में क्या निकला
ईडी की जांच में पता चला कि कपिल धीमान ने अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करके, अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने वाली फार्मास्युटिकल फर्मों से अपराध की कमाई हासिल की और इसे अपने नाम और अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों, जिसमें उनके पिता और भतीजे शामिल हैं।
इनके नाम पर चल और अचल संपत्तियों में निवेश करके बेदाग दिखाने की कोशिश की। ईडी द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि अवैध फंड बेनामी लेनदेन, बिना समझौते के असुरक्षित लोन, नकद भुगतान और जटिल बैंकिंग व्यवस्था के जरिए ट्रांसफर किए गए थे।

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