हिमाचल प्रदेश की आपदा से उबरने में मदद करेगा विश्व बैंक, विभाग कर रहे मांग का आकलन; मिल सकती है इतनी राशि
World Bank aid for Himachalहिमाचल प्रदेश पिछले तीन सालों से प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। राज्य सरकार को विश्व बैंक से ढाई हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की सहायता मिलने की उम्मीद है। इस वर्ष मानसून में सरकारी विभागों को भारी नुकसान हुआ है जिससे राज्य को लगभग 5000 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति हुई है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। World Bank aid for Himachal, हिमाचल प्रदेश तीन वर्षाें से प्राकृतिक आपदा और बाढ़ का दंश झेल रहा है। मानसून सीजन के दौरान होने वाला जानमाल का नुकसान गहरे घाव छोड़कर जा रहा है। प्रदेश सरकार अपने सीमित संसाधनों से दोबारा खड़ा होने का प्रयास कर रहा है, जिसके लिए पर्याप्त बजट की दरकार रहेगी।
मानसून के कहर से बुरी तरह प्रभावित प्रदेश को उबरने के लिए विश्व बैंक से 2,600 करोड़ की सहायता मिल सकती है। सरकार ने लोक निर्माण, जल शक्ति व बिजली विभागों को आवश्यकतानुसार बजट आकलन करने का निर्देश दिया है। इन विभागों द्वारा प्रस्तुत प्राथमिकताओं के आधार पर ही धनराशि का निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश में इस वर्ष मानसून के दौरान सरकारी विभागों को सबसे अधिक क्षति हुई है। हाल ही में विश्व बैंक की टीम मुख्य सचिव के साथ बैठक कर चुकी है। उसके बाद लोक निर्माण, जल शक्ति, विद्युत विभाग से आवश्यकता मांगी गई है।
2025 के मानसून में राज्य को 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है। सरकार के प्रमुख विभागों के आकलन में इस तरह की तस्वीर सामने आ चुकी है।
तीन साल से प्राकृतिक आपदा के तहत बढ़ता नुकसान
वर्ष 2023 में करीब 9,000 करोड़ का नुकसान हुआ। जबकि केंद्र ने आपदा राहत के रूप में लगभग ₹2,006.40 करोड़ मंजूर किए। प्रदेश सरकार का कथन है कि केंद्र से सिर्फ 433.70 करोड़ की राहत मिली। वर्ष 2024 में राज्य ने कुछ हिस्सों में बाढ़, बादल फटने इत्यादि की घटनाओं से 5000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। केंद्रीय टीमें नुकसान का आकलन करने के लिए पहुंची मगर केंद्रीय सहायता का इंतजार है।
तीन वर्षों (2023-25) में कुल अनुमानित नुकसान लगभग 20,000 करोड़ बताया गया है। वहीं, तीन वर्षों में केंद्र सरकार ने हिमाचल को लगभग 3,247 करोड़ की आपदा राहत प्राप्ति हुई है।
विश्व बैंक को चाहिए स्पष्ट प्राथमिकता
विश्व बैंक की सहायता आमतौर पर ऋण या अनुदान के रूप में होती है, और इसके लिए कुछ शर्तें हर मामलों में लगती हैं। प्राथमिकताएं स्पष्ट हों, पुनरुद्धार योजना, आडिट और लेखा-जांच की शर्त व स्थायित्व एवं जलवायु अनुकूल उपाय करना है। विश्व बैंक सहायता तभी मंजूर होती है जब राज्य सरकार एक विस्तृत पुनरुद्धार एवं पुनर्निर्माण योजना तैयार करे जिसमें प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग, कार्यों की प्राथमिकता, पर्यावरणीय एवं भौगोलिक जोखिमों का आकलन, और दीर्घकालीन बचाव उपाय शामिल हों।
हो सकती है आडिट और लेखा-जांच की शर्त
बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि धन का उपयोग पारदर्शी हो। आडिट और लेखा-जांच की शर्त हो सकती है। कामों की गुणवत्ता, समय-बद्धता और बजट अनुपालन पर नियमित रिपोर्टिंग आवश्यक होगी। इस प्रकार की परियोजनाओं में पर्यावरण संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, नदियों और नालों की बहाली, ढलानों की स्थिरता, नदियों के किनारे निर्माणों आदि मामलों पर ध्यान होगा। भूमि अधिग्रहण, स्थानीय निकायों या पंचायती राज संस्थाओं से सहमति, स्थानीय लोगों की भागीदारी और निर्माण संबंधित अनुमति-अनुशासन आदि सुनिश्चित करना होगा। नए बने या पुनर्निर्मित बुनियादी ढांचे जल आपूर्ति, बिजली नेटवर्क की रख-रखाव की स्पष्ट व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पुनरावृत्ति भयावह नुकसान का जोखिम कम हो।
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