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    हिमाचल में गरीबी दर घटी, नौ क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन व राष्ट्रीय औसत से भी आगे, क्या कहती है मानव विकास रिपोर्ट-2025?

    By PRAKASH BHARDWAJEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 11:28 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश ने सतत विकास लक्ष्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिससे वह देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हो गया है। मानव विकास सूचकांक राष्ट्रीय औसत से अधिक है और गरीबी दर में गिरावट आई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मानव विकास रिपोर्ट-2025 जारी की, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चिंता व्यक्त की गई। रिपोर्ट में राज्य की उच्च साक्षरता दर और शिशु मृत्यु दर में कमी को भी दर्शाया गया है।

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    हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। जागरण आकाईव

    राज्य ब्यूरो, शिमला। पहाड़ी राज्य हिमाचल ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक में लंबी छलांग लगाई है। हिमाचल देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हुआ है। 2023-2024 के मूल्यांकन में हिमाचल का मानव विकास सूचकांक औसत 0.78 है, जो राष्ट्रीय औसत 0.63 से अधिक है।

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    प्रदेश में लोगों की औसत आयु बढ़कर 72 वर्ष हो गई है। हालांकि जून, 2025 में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी 2018-22 के नवीनतम नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में औसत आयु 73.6 वर्ष है।

    प्रदेश में गरीबी दर गिरकर सात प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट के मुताबिक अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में हिमाचल ने नौ लक्ष्यों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। विशेष रूप से, किफायती और स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ जल और स्वच्छता और आर्थिक विकास के क्षेत्र में राज्य का स्कोर सबसे ज्यादा है।

    शिमला में सोमवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ‘हिमाचल प्रदेश मानव विकास प्रतिवेदन (एचडीआर)-2025’ का विमोचन किया। हिमाचल ने कई क्षेत्रों में सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं जो अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बने हैं। पर्यावरण, विज्ञान तकनीकी एवं जलवायु परिवर्तन विभाग व यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के संयुक्त तत्वावधान में यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

    जलवायु परिवर्तन पर जताई चिंता

    मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने सड़कों, उद्योगों, कृषि और बागबानी में निवेश के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, वृद्धजन देखभाल और ग्रामीण विकास जैसे मूलभूत क्षेत्रों में भी ध्यान दिया है। मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यदि इसका स्थायी समाधान नहीं खोजा गया, तो इसके गंभीर परिणाम हमें और भविष्य की पीढ़ी को झेलने पड़ेंगे। 

    गरीबी दर में गिरावट

    रिपोर्ट के अनुसार लोगों की औसत आयु बढ़ना राज्य के स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की सफलता का प्रतीक है। प्रदेश में गरीबी दर में भारी गिरावट आना प्रदेश सरकार के सर्वांगीण और समावेशी विकास के निरंतर प्रयासों को प्रतिबिंबित करता है। पर्यावरण, विज्ञान तकनीकी एवं जलवायु परिवर्तन विभाग व यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के संयुक्त तत्वावधान में यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

    यूएनडीपी ने की सराहना

    यूएनडीपी की प्रतिनिधि डा. एंजेला लुसिगी ने हरित बजट, जलवायु संवेदनशील कार्यक्रमों के अलावा सतत विकास और पर्यावरण केंद्रित सुनियोजित निर्माण कार्यों पर आधारित नीतियों और भागीदारीपूर्ण शासन की दिशा में पहल के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की। 

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

    शिक्षा : अब नहीं रहा कोई निरक्षर

    राज्य ने पूर्ण साक्षर राज्य बनने का गौरव हासिल कर लिया है। प्रदेश की साक्षरता दर 99.30 प्रतिशत है। हाल ही के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में, पढ़ने और लिखने की क्षमताओं में हिमाचल प्रदेश देश में 5वें स्थान पर रहा, जो 2021 के 21वें स्थान से एक उल्लेखनीय सुधार है।

    स्वास्थ्य : जीने की उम्र बढ़ी

    शिशु मृत्यु दर घटकर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 21 रह गई है।

    गरीबी : अमीर हो रहे हिमाचली

    हिमाचल में गरीबी दर भी घटकर सात प्रतिशत से नीचे आ गई है। या यूं कहे कि यहां की आर्थिकी में सुधार हो रहा है और लोग अब गरीब नहीं रहें।

    जलवायु परिवर्तन और विकास पर ध्यान

    केंद्रीय विषय राज्य के विकास पर जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं का गहरा प्रभाव है।

    आर्थिक नुकसान : प्राकृतिक आपदा झेल रहे दंश

    रिपोर्ट का अनुमान है कि पिछले पांच वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं का दंश हिमाचल झेल रहा है। इस कारण हिमाचल को लगभग 46,000 करोड़ (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का सालाना लगभग चार प्रतिशत) का नुकसान हुआ है।

    स्वास्थ्य पर प्रभाव

    रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य परिदृश्य को भी बदल रहा है, जिससे रोग वाहक जनित बीमारियों (जैसे डेंगू और टाइफाइड) के नए पैटर्न शुरू हो रहे हैं और पशुजन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ रहा है। सबसे अधिक प्रभावित होने वाले और भेद्य समूहों में छोटे किसान, महिलाएं, आदिवासी समुदाय, बच्चे और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं।

    जलवायु-समायोजित

    रिपोर्ट ने अनुकूलन क्षमता का आकलन करने के लिए सीएएचडीआइ नामक एक नया मापदंड पेश किया। किन्नौर, लाहुल-स्पीति, और चंबा जिले में शीर्ष तीन पर उभरे, जो चुनौतीपूर्ण इलाकों में सामुदायिक लचीलेपन को दर्शाते हैं। रैंकिंग में सोलन (0.880) के साथ पहले स्थान पर रहा। इसी तरह लाहुल स्पीति (0.839), किन्नौर (0.813 पर रहा)। सबसे कम: कांगड़ा (0.695) है।

    हरित विकास की पहल को सराहा

    रिपोर्ट में हरित अर्थव्यवस्था और जलवायु-लचीलापन की योजनाओं की सराहना की है।
    राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना : 680 करोड़ के परिव्यय के साथ शुरू की गई, इसका पहला चरण ई-टैक्सी खरीदने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करता है।

    इलेक्ट्रिक वाहन नीति

    हिमाचल एक मजबूत ईवी नीति अपनाने वाला पहला पहाड़ी राज्य बन गया है, जिसका लक्ष्य 2030 तक सार्वजनिक परिवहन का पूर्ण विद्युतीकरण करना है।

    राजीव गांधी स्वरोजगार सौर ऊर्जा योजना

    100 किलोवाट से दो मेगावाट तक की रेंज में ग्राउंड-माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए ब्याज सब्सिडी (4-5 प्रतिशत) प्रदान करती है।

    हर क्षेत्र में विकास पर ध्यान, तभी हासिल होंगे लक्ष्य : सीएम

    मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने सड़कों, उद्योगों, कृषि और बागबानी में निवेश के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, वृद्धजन देखभाल और ग्रामीण विकास जैसे मूलभूत क्षेत्रों में ध्यान दिया है। मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यदि इसका स्थायी समाधान नहीं खोजा गया, तो इसके गंभीर परिणाम हमें और भविष्य की पीढ़ी को झेलने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल हमेशा पर्यावरणीय हितैषी विकास का पक्षधर रहा है और सतत विकास प्रणाली को अपनाया है। इस वर्ष बरसात में जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ा है, जिसमें भारी बारिश, भू-स्खलन और बाढ़ के कारण कई जीवन और संपत्ति का नुकसान हुआ है।

    सुक्खू ने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास को एक साथ आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना की शुरुआत की है। 2030 तक सार्वजनिक परिवहन को विद्युत चालित बनाने का लक्ष्य रखा गया है। कहा कि इस रिपोर्ट में यूएनडीपी का सर्वेक्षण शामिल है, न कि प्रदेश सरकार द्वारा करवाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बजट का प्रभाव इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसके चलते हिमाचल आज देश के पांच बड़े राज्यों में शामिल हो गया है। आपदा के दौरान सरकार ने प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पैकेज प्रदान किया है, जिसे रिपोर्ट में दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लोग जागरूक हैं और एट्रोसिटी एक्ट के मामलों की समीक्षा में यह स्पष्ट हुआ है कि प्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है। यह दर्शाता है कि हिमाचल के लोग इस विषय में कितने जागरूक हैं, क्योंकि जागरूकता ही समस्या का समाधान है।

    हिमाचल और देश के एसडीजी इंडेक्स स्कोर की तुलना

    • लक्ष्य         भारत        हिमाचल प्रदेश
    • गरीबी उन्मूलन        72        71
    • भूखमरी समाप्त करना    52        51
    • स्वास्थ्य और कल्याण    77    83
    • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा        61    77
    • लैंगिक समानता    49    62
    • स्वच्छ जल, स्वच्छता    89,    99
    • सस्ती, स्वच्छ ऊर्जा        96,    100
    •  उचित कार्य, आर्थिक विकास    68    ,88
    •  उद्योग, नवाचार, तकनीक और बुनियादी ढांचा    61,    59
    • असमानता में कमी    65,    80
    • सतत शहर एवं समुदाय     83,    77
    • जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन    78,    78
    • जलवायु कार्रवाई    67,    62
    • भूमि पर जीवन    75,    78
    • शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान    74    ,85

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

    • राज्य ने पूर्ण साक्षर राज्य बनने का गौरव हासिल कर लिया है। प्रदेश की साक्षरता दर 99.30 प्रतिशत है। 
    • शिशु मृत्यु दर घटकर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 21 रह गई है।
    • गरीबी दर भी घटकर सात प्रतिशत से नीचे आ गई है। 
    • केंद्रीय विषय राज्य के विकास पर जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं का गहरा प्रभाव है।
    • पांच वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं का दंश हिमाचल झेल रहा है। इस कारण हिमाचल को लगभग 46,000 करोड़ (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का सालाना लगभग चार प्रतिशत) का नुकसान हुआ है।
    • जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य परिदृश्य को भी बदल रहा है, जिससे रोग वाहक जनित बीमारियों (जैसे डेंगू और टाइफाइड) के नए पैटर्न शुरू हो रहे हैं और पशुजन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ रहा है। 

     

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