मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हिमाचल के सीएम वीरभद्र को ईडी ने किया तलब
मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को तलब किया है। ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अब मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने हाजिर होना पड़ेगा। ईडी ने उन्हें नोटिस भेज कर गुरुवार को जांच अधिकारी के सामने हाजिर होकर पूछताछ में सहयोग करने को कहा है। ईडी वीरभद्र की कई संपत्तियों को पहले ही जब्त कर चुका है।
ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत वीरभद्र सिंह के खिलाफ जांच कर रहा है। वह इस मामले में उनका बयान दर्ज करना चाहता है। इसलिए उन्हें एक बार फिर से समन जारी कर गुरुवार को अधिकारी के सामने हाजिर होने को कहा गया है। इससे पहले ऐसे समन के जवाब में उन्होंने अपनी आधिकारिक व्यस्तता का हवाला देकर उपलब्ध होने में असमर्थता जता दी थी। ईडी उनकी पत्नी प्रतिभा और बेटे विक्रमादित्य के बयान पहले ही ले चुका है। वीरभद्र सिंह के खिलाफ केंद्र में इस्पात मंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति हासिल करने का मामला सीबीआइ ने दर्ज किया था।
सीबीआइ आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। उसने आरोपपत्र में कहा है कि इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने दस करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बनाई जो उनकी घोषित आय के मुकाबले 192 प्रतिशत अधिक थी। इस मामले में वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी और बेटे के अलावा अन्य कई लोगों को आरोपी बनाया गया है। सीबीआइ ने इस मामले में सितंबर, 2015 में शिकायत दर्ज की थी। सीबीआइ में दर्ज शिकायत के आधार पर ही ईडी ने भी मनी लांड्रिंग कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। अब तक उनके और परिवार के लोगों की 14 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को जब्त किया जा चुका है। वीरभद्र सिंह ने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को झूठा बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियां उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही हैं।
वीरभद्र की बढ़ीं मुश्किलें, एलआइसी एजेंट को जमानत नहीं
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी उनके एलआइसी एजेंट आनंद सिंह चौहान को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने सोमवार को चौहान की जमानत याचिका खारिज कर दी।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चौहान को 8 जुलाई 2016 को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया था। इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है। वहीं, इस आदेश से वीरभद्र की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
क्योंकि हाल ही में हाई कोर्ट वीरभद्र, उनकी पत्नी व अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआइ द्वारा आय से अधिक संपत्ति के आरोप में दर्ज एफआइआर रद करने से इन्कार कर चुका है। वहीं, सीबीआइ ने इस मामले में वीरभद्र, चौहान समेत 9 लोगों के खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट भी दायर कर दी है। अदालत ने चौहान के उस तर्क को खारिज कर दिया कि सीबीआइ द्वारा दर्ज मामले के अनुसार मुख्य आरोपी वीरभद्र सिंह हैं और उन्हें अदालत ने सुरक्षा प्रदान कर रखी है। उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग के तहत मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने कोई संपत्ति अर्जित नहीं की है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाई कोर्ट ने वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को मिली अंतरिम राहत संबंधी (गिरफ्तारी से सुरक्षा) आदेश वापस ले लिया है।
वहीं, सीबीआइ ने उसके खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है।अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने 20 अगस्त 2016 को चौहान की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में उसकी संलिप्तता दिखाने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं। वर्तमान में वे इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। याची के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला नहीं है बल्कि आइपीसी की धारा 109 (साजिश के तहत सहायता) का मामला है। वर्तमान में जांच जारी है ऐसे में वे जमानत याचिका खारिज करते हैं।पेश मामले में आरोप है कि यूपीए सरकार में मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह द्वारा अर्जित किए गए काले धन को ठिकाने लगाने में आनन्द चौहान ने अहम भूमिका निभाई थी। वीरभद्र सिंह ने आनन्द चौहान के माध्यम से छह करोड़ रुपये की रकम को अपने व परिवार के सदस्यों के नाम एलआइसी में निवेश किया था।
वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सुनवाई टली
जासं, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर दर्ज आय से अधिक संपत्ति मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार को आरोपपत्र पर संज्ञान लेने की कार्यवाही नहीं हो सकी। विशेष सीबीआइ जज विरेंद्र कुमार गोयल ने सुनवाई को 24 अप्रैल तक के लिए टाल दिया।सीबीआइ द्वारा दाखिल किए गए 450 से अधिक पेज के आरोपपत्र में मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी सहित कुल नौ लोगों को आरोपी बनाया गया है।
सभी दस्तावेजों की समीक्षा पूरी होने के बाद अदालत को आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ पेशी समन जारी करने को लेकर निर्णय लेना था, जिसे अब 14 दिन के लिए टाल दिया गया है। सीबीआइ ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री के पास उनकी तय आय से 10 करोड़ अधिक संपत्ति पाई गई थी। यह राशि उनकी निर्धारित आय से 192 प्रतिशत अधिक है। यूपीए-2 के दौरान केंद्रीय मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह ने यह अवैध रकम अर्जित की थी। आइपीसी की धारा- 109 (उकसाना) , 465 (जालसाजी) व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कुल 222 लोगों को मुख्यमंत्री के खिलाफ गवाह बनाया गया है।

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