हिमाचल में अब घटनास्थल पर पहुंचेंगी अत्याधुनिक मोबाइल फॉरेंसिक वैन, बेहद खास है 65 लाख का यह वाहन
Mobile Forensic Van हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला से छह अत्याधुनिक मोबाइल फॉरेंसिक वैन को रवाना किया। इन वैनों को राज्य की विभिन्न फोरेंसिक इकाइयों और प्रयोगशालाओं में तैनात किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी लॉन्च की।

जागरण टीम, शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को अधिकारिक आवास ‘ओक ओवर’ शिमला से छह अत्याधुनिक मोबाइल फॉरेंसिक वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। पहले चरण में ये वैन तीन जिला फॉरेंसिक इकाइयों (बद्दी, नूरपुर और बिलासपुर), जुन्गा स्थित राज्य फोरेंसिक लैब और धर्मशाला व मंडी स्थित क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में तैनात की जाएंगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह, संरक्षण और भंडारण (जांच अधिकारियों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए मानक दिशा-निर्देश) नामक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को भी लॉन्च किया तथा आपराधिक घटना स्थल का निरीक्षण करने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए जैकेट का अनावरण किया।
सजा दर में सुधार होगा व न्याय प्रणाली होगी मजबूत
उन्होंने कहा कि इन अत्याधुनिक वाहनों का उपयोग जांचकर्ताओं द्वारा अपराधिक स्थल पर साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए किया जाएगा। इससे कुशल, त्वरित तथा निपुणता से साक्ष्य का संरक्षण और वैज्ञानिक रूप से प्रसंस्करण और संग्रहण किया जाएगा। फॉरेंसिक जांच को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है। इससे सजा की दर में सुधार होगा और न्याय प्रणाली मजबूत होगी।
65 लाख के वाहन की है ये खासियत
प्रत्येक वाहन की कीमत 65 लाख रुपये है और यह वैन, किट और ड्रग तथा विस्फोटक पहचान प्रणाली, फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट डवेल्पमेंट किट्स, डीएनए सैपलिंग किट्स, एरोजन किट, रेफ्रिजरेशन यूनिटस, पोर्टेबल पावर जनरेटर, साइबर फोरेंसिक सॉफ्टवेयर, उच्च रेजोल्यूशन वीडियो डॉक्यूमेंटेशन प्रणाली, माइक्रोस्कोप, जीपीएस के साथ बड़े वार्न कैमरा, डीएसएलआर कैमरा, सीसीटीवी फ्रंट एंड रियर एंड ऑफ व्हीकल और अन्य आवश्यक उपकरणों से लैस है।
साक्ष्य जुटाने में होगी आसानी
उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक विशेषज्ञ इंटेग्रेटिड किट में उपलब्ध लेटेंट फिंगरप्रिंट, जैविक तरल पदार्थ, बाल, कपड़ा फाइबर, गोली और विस्फोटक अवशेष, काटने के निशान, संदिग्ध दस्तावेज, टायर के निशान, जूते के निशान, नशीले पदार्थ और अन्य ट्रेस साक्ष्य से जांच को प्रभावशाली तरीके से कर पाएंगे। इन मोबाइल प्रयोगशालाओं का एक प्राथमिक उद्देश्य फोरेंसिक साक्ष्यों का तत्काल और दोषमुक्त संग्रह सुनिश्चित करना है, क्योंकि देरी से साक्ष्यों को एकत्रित करने से जांच प्रक्रिया बाधित होती है।
अपराध सिद्ध करने में भी होगी आसानी
उन्होंने कहा कि यह पहल सबूत इकट्ठा करने में अधिक पारदर्शिता और अपराध को साबित करने की प्रक्रिया को तेज करेगी। वर्तमान में बदलते आपराधिक मामलों के अनुरूप जांच तंत्र को भी उन्नत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल फोरेंसिक सेवाओं में तेजी लाएगी, बल्कि सटीक, विश्वसनीय साक्ष्य संग्रह सुनिश्चित करके अपराध सिद्ध करने में भी बढ़ावा देगी।
उन्होंने कहा कि फोरेंसिक सेवा निदेशालय अब न केवल राज्य जांच एजेंसियों, बल्कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच में मदद करता है।
ये रहे उपस्थित
विधायक संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार मीडिया नरेश चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत, डीजीपी अशोक तिवारी, फॉरेंसिक सेवा निदेशालय की निदेशक डॉ. मीनाक्षी महाजन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
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