'5 साल तक लिया सुविधाओं का लाभ और अब....', CPS एक्ट पर बीजेपी के रिएक्शन से भड़की कांग्रेस
हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट की बैठक में सीपीएस को हटाने पर चर्चा हुई। सरकार ने अपने लागू किए गए कानून के संरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा नेताओं ने सत्ता में रहते हुए सभी सुविधाओं का लाभ लिया और अब जनता की चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, शिमला। भाजपा नेताओं ने सत्ता में रहते पांच साल सभी सुविधाओं का लाभ लिया और अब जनता की चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए हर तरह के हथकंडे कपनाए जा रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को यदि ये लगता था कि सीपीएस और अन्य लाभ के पद उचित नहीं है तो अपने सरकार के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश की पूर्व में रही सरकार के एक्ट को समाप्त क्यों नहीं किया।
ये बात राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंत्रिमंडल की बैठक को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे सवाल के जवाब में कही। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में सीपीएस को हटाने के संबंध में चर्चा हुई है।
'सरकार गिराने के लिए अपना रहे नए हथकंडे'
इस संबंध में सरकार अपने लागू किए गए कानून के संरक्षण के लिए उच्चतत न्यायाजय में गई है। उन्होंने भाजपा विधायक और पूर्व में रहे भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को घेरते हुए कहा कि इसी कानून के तहत पांच साल तक लाभ लिया और सरकार को गिराने के लिए नए से नए हथकंडे अपना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आसाम में अलग तरह का प्रावधन किया गया था मंत्री का दर्जा दिया गया था। 1971 के कानून को रद् नहीं किया है लाभ के पद के आधार पर हटाया है।उच्चतम न्यायालय के समक्ष इस कानून को लेकर पक्ष रखा जाएगा।
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भाजपा द्वारा सीपीएस रहे विधायकों की सदस्यता रद्द करवाने को लेकर कहा कि भाजपा जो कुछ कर रही है अलोकतांत्रिक तरीके से सत्ता पाने के लिए ये सब कर रही है।
प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा सीपीएस के हटाने के बाद प्रदेश सरकार ने सभी सुविधाओं को वापिस ले लिया है और उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने रद्द की नियुक्ति
हाल ही में हाई कोर्ट ने मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। बता दें कि सीपीएस की ये नियुक्तियां राजनीतिक समायोजन के लिए होती रही है। जबकि राजनीतिक नजरिए से देखे तो इन नियुक्तियों को कैबिनेट मंत्रियों के कामकाज में निगरानी के रूप में भी देखा जाता रहा है।
एक निश्चित संख्या से अधिक मंत्री नहीं बनाए जा सकते इसलिए सरकारें सीपीएस की नियुक्तियां नाराज नेताओं को एडजस्ट करने के लिए की जाती हैं। इन्हें मंत्रियों के विभाग साथ अटैच किया जाता है, लेकिन ये फाइलों पर किसी भी प्रकार की नोटिंग नहीं कर सकते हैं।
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