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    हिमाचल: भानुपली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन निर्माण पर राज्य व केंद्र सरकार में खींचतान, CM ने भेजा पत्र; तो लटकेगा प्रोजेक्ट?

    By Parkash Bhardwaj Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 06:35 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में भानुपली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच वित्तीय हिस्सेदारी पर विवाद बढ़ गया है। राज्य सरकार ने वित्तीय स् ...और पढ़ें

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    बिलासपुर भानुपली रेल लाइन पर केंद्र व हिमाचल आमने सामने हैं। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में निर्माणाधीन भानुपली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच वित्तीय हिस्सेदारी पर खींचतान बढ़ गई है। प्रदेश सरकार ने अपनी हिस्सेदारी का भुगतान करने में असमर्थता जताई है, जिसके कारण यह परियोजना पूरी तरह केंद्र के बजट पर निर्भर हो गई है। 

    मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर प्रदेश की वित्तीय स्थिति से अवगत करवाया है। 

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    क्या है स्थिति

    अब तक प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से का केवल 847 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जबकि इस महत्वाकांक्षी रेल परियोजना के लिए राज्य की हिस्सेदारी 2,711 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी, जिसमें भूमि अधिग्रहण समेत अन्य खर्च शामिल हैं। लगभग 1,863 करोड़ रुपये अब भी राज्य सरकार द्वारा बकाया हैं।

    लागत और खर्च

    भानुपली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन परियोजना की कुल लंबाई लगभग 63 किलोमीटर है। इसकी कुल अनुमानित लागत करीब 10,500 से 11,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। अब तक विभिन्न चरणों में लगभग 5,500 से 6,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस परियोजना में कई सुरंगों, पुलों और पहाड़ी क्षेत्रों में जटिल निर्माण कार्य शामिल हैं, जिससे लागत में वृद्धि हो रही है।

    प्रदेश का तर्क, रेल परियोजना सामरिक महत्व की

    प्रदेश सरकार का तर्क है कि यह परियोजना सामरिक और राष्ट्रीय महत्व की है, इसलिए इसका वित्तीय भार पूरी तरह केंद्र सरकार को उठाना चाहिए। इसी आधार पर राज्य सरकार ने फिलहाल अपने हिस्से का भुगतान करने से इन्कार किया है। रेल परियोजना के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच तय व्यवस्था के अनुसार, राज्य सरकार को भी लागत का एक हिस्सा वहन करना था। हालांकि प्रदेश सरकार का कहना है कि राज्य की वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर है। कर्ज का बढ़ता बोझ, कर्मचारियों की देनदारियां, पेंशन भुगतान और आपदा प्रभावित क्षेत्रों पर हो रहे भारी खर्च के कारण प्रदेश सरकार के लिए इस समय रेल परियोजना में अपना अंश देना संभव नहीं है।

    केंद्र के बजट से ही चल रहा परियोजना का निर्माण

    प्रदेश की असहमति के बाद फिलहाल केंद्र सरकार के बजट से ही रेल लाइन का निर्माण कार्य जारी है। यदि यह खींचतान लंबी चली, तो भविष्य में परियोजना की गति प्रभावित होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।