हिमाचल निर्माता डा. परमार को भारत रत्न देने की पैरवी, विधायकों ने सुनाए संस्मरण; सरकारी बस में यात्रा करते थे पहले CM
Dr Yashwant Singh Parmar हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पक्ष और विपक्ष दोनों ने हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार को भारत रत्न देने का समर्थन किया। कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया जिस पर सभी विधायकों ने सहमति जताई। मुख्यमंत्री रहे डॉ. परमार की सादगी और हिमाचल के विकास में उनके योगदान को सभी ने सराहा।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Dr Yashwant Singh Parmar, हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार को भारत रत्न दिए जाने के मामले में सत्तारूढ़ कांग्रेस व विपक्षी भाजपा ने राजनीति से ऊपर उठकर भारत रत्न दिए जाने का एकमत होकर समर्थन किया।
कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी ने सदन में यह संकल्प लाया था, जिसपर दोनाें पक्षाें के विधायकाें ने अपने विचार रखे। विधायकों ने उनके संस्मरण सदन में रखे, कि वह किस तरह सादगी से रहते थे। सरकारी बस में सफर करते थे।
इसके जवाब में उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि डा. वाईएस परमार को किसी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं। वो जो इतिहास लिख गए हैं, वो हमेशा रहेगा। जब तक हिमाचल रहेगा, उनकी बात होती रहेगी। इतिहास लिखा जाता है, फिर इतिहासकार उसकी चर्चा करते हैं।
उन्हाेंने कहा कि हम सभी भाग्यशाली हैं कि इस प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे हैं और यहां पर विधायक हैं। भारत रत्न जब अन्य राज्यों में मिलने शुरू हुए तो यहां पर भी यह सोचा गया कि हिमाचल को भी ऐसा सम्मान डा. परमार के नाम पर मिलना चाहिए। पक्ष और विपक्ष का आभार जताते हुए उन्हाेंने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी ने इस प्रस्ताव को पारित किया है।
डा. परमार को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जा सकता, ये बहुत छोटी बात हो जाएगी। प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्ताव जाने का भी एक व्यवस्था है। यह भी सच है कि लोकतंत्र की आवाज जब उठती है, तो मानी जाती है। विधानसभा से यह प्रस्ताव पारित हो रहा है, तो इसका बड़ा प्रभाव होगा।
जब भी हिमाचल का नाम आएगा तो डा. परमार का नाम आएगा। पहाड़ी राज्याें की स्थापना की बात होगी तो उनका नाम आएगा। मुकेश ने कहा कि यदि डा. परमार न होते तो हिमाचल नहीं होता। हिमाचल को पंजाब में मिलाने का विरोध उन्होंने शुरू किया था, वरना हम पंजाब में होते।
पहाड़ी राज्यों के लिए परमार आदर्श
परमार पर्वतीय राज्याें के लिए आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि केवल सडकाें के लिए नहीं, बल्कि नीति निर्धारण के लिए भी परमार जाने जाएंगे। भू सुधार कानून, धारा 118 उनकी देन है। पूरा हिमाचल बिक जाता यदि डा.परमार की दूरदर्शिता नहीं होती। उनकी सोच न होती तो, यहां के लोग भूमिहीन हो जाते। अदालताें में भी चुनौती दी गई फिर भी धारा-118 यथावत रही। पहाड़ी संस्क्रति के सबसे बडे़ ध्वज वाहक डा.परमार थे।
डा. परमार को मिले भारत रत्न : सोलंकी
सदन में निजी संकल्प पेश करते हुए नाहन के विधायक अजय सोलंकी ने कहा कि डा यशवंत सिंह परमार हिमाचल के शिल्पकार थे। सरकारी नौकरी छोड़कर उन्हाेंने हिमाचल प्रांत के गठन की सोची और आजादी के लिए संघर्ष के साथ हिमाचल निर्माण के लिए संघर्ष किया।
एचआरटीसी बस में सफर करते थे परमार : हर्षवर्धन
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि डा.परमार जैसा व्यक्तित्व किसी और का नहीं हो सकता। वह मुख्यमंत्री होते हुए भी एचआरटीसी बस में सफर करते थे और विश्राम गृह में ठहरते थे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि मेरे पिता उनकी सरकार में सीपीएस के पद पर थे। उनके जैसा व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
जनजातीय लोगाें के मसीहा थे परमार : जगत नेगी
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि डा यशवंत सिंह परमार जनजातीय लोगाें के लिए भी मसीहा थे। उनका जीवन सादगी से भरा था जो सभी के लिए एक मिसाल हैं। उनकी वजह से ही हिमाचल का गठन हो सका। उन्होंने कहा कि डा. परमार के साथ उनके पिता ज्ञान सिंह नेगी ने भी काम किया। कई-कई दिनाें तक गांवाें में पैदल यात्रा करते थे। जब जगत नेगी सदन में बोल रहे थे तो विपक्ष वहां से उठकर चला गया था।
परमार जैसी पहचान किसी और की नहीं हो सकती: रोहित ठाकुर
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि डा. परमार सभी के लिए आदरणीय थे, हैं और रहेंगे। उनके जैसी पहचान किसी और नेता की नहीं हो सकती है। उनकी सरकार में पंचवर्षीय योजना 52 करोड की थी, जो आज 52 हजार करोड तक पहुंच गई है। पहाड़ी प्रदेश की संस्कृति को जिंदा रखने के लिए डा.परमार ने बडा योगदान दिया है। उन्हाेंने अपने दादा ठाकुर राम लाल का भी नाम लेते कहा कि वह भी डा. परमार के सहयोगी थे।
महापुरूषाें से भी बनता है इतिहास: सुखराम चौधरी
भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि इतिहास केवल घटनाओं से नहीं बनता। बल्कि महापुरूष भी इतिहास बनाते हैं और ऐसे ही महापुरूष डा.यशवंत सिंह परमार थे। उनको हिमाचल की पहचान, अस्मिता दिलाने का श्रेय जाता है। उन्हाेंने कहा कि हिमाचल के स्कूलाें में बच्चाें के लिए डा. परमार पर एक विशेष पाठ होना चाहिए, जिसमें उनके बारे में बच्चाें का बताया जा सके। आज बच्चे उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते।
बड़े पैमाने पर मनाई जाए परमार की पुण्यतिथि : डा. हंसराज
भाजपा विधायक डा. हंसराज ने कहा कि डा परमार को भारत रत्न दिए जाने की वकालत बहुत पहले हो जानी चाहिए थी, जिसमें हमने काफी देरी कर दी है। डा परमार हिमाचल के शिल्पी थे। उनका हिमाचल के लिए सहयोग बहुत ज्यादा है, जिसकी गिनती नहीं की जा सकती।
मुख्यमंत्री रहते भी बड़े भाई का हुक्का करते थे साफ : विनोद सुल्तानपुरी
कांग्रेस विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि डा परमार ने राजनीति को कभी सत्ता का साधन नहीं बनाया बल्कि आम जनता की मदद का साधन बनाया। हिमाचल को फल राज्य बनाने में उनका बडा योगदान रहा। उनकी दूरवर्ती सोच से ही हिमाचल आज विकास के पथ पर आगे बढ रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी को डा. परमार के साथ काम करने का मौका मिला था। वह रिवाज के अनुसार बडे भाई के हुक्के को साफ करते थे जबकि वो मुख्यमंत्री थे।
स्व. परमार की पंचायत में किया जाए विकास : रीना कश्यप
भाजपा विधायक रीना कश्यप ने कहा कि मैं डा. परमार के विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व कर रही हूं, जो मेरे लिए गर्व की बात है। उन्हाेंने कहा कि जिस पंचायत से परमार ताल्लुक रखते हैं, उसे आदर्श पंचायत घोषित किया जाना चाहिए, क्याेंकि अभी कोई सुविधाएं वहां नहीं। जिस स्कूल से वो पढे हैं उस स्कूल को आदर्श विद्यालय घोषित किया जाना चाहिए ताकि वहां सभी सुविधाएं मिलें। सूचना है कि उनके स्कूल में टीचर ही नहीं है। उप स्वास्थ्य केंद्र भी बंद पडा हुआ है जिनपर ताले लटके हुए हैं।
लाहौर में कहते थे, हिमाचल बनाएंगे: नीरज नैय्यर
कांग्रेस विधायक नीरज नैय्यर ने कहा कि मेरे पिता उनके साथ जुडे थे और अभी भी घर के भीतर करीब 100 फोटोग्राफ हैं। मेरे पिता को भी डा. परमार ने जबरन राजनीति में लाया था। जब वो लाहौर पढ़ने गए थे तो वहां उनसे मुलाकात हुई थी। जिन्ना की रैली चल रही थी तो वहां पर मिले। तब देश आजाद नहीं था। उस समय डा. परमार ने पहाडी राज्य बनाने की सोच को जाहिर किया था और कहा था कि जब देश आजाद होगा तो हम अपना पहाडी राज्य बनाएंगे।
भारत रत्न मिले, विपक्ष पूरी तरह से साथ: जयराम
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने इस संकल्प पर कहा कि इस मांग को लेकर काफी विलंब हो गया है। यह सोचना चाहिए कि सही मायने में क्या यहां पर इस मामले को लेकर चर्चा होनी चाहिए। भारत रत्न प्रदान करने की एक प्रणाली है, फार्मूला है उसके मुताबिक ही दिया जाता है। प्रदेश सरकार को ऐसा लगता है कि किसी को मिलना चाहिए, तो सीएम यह प्रस्ताव सरकार की ओर से भेज सकते हैं। मगर फिर भी प्राइवेट मेंबर डे में संकल्प लाए हैं तो यह सम्मानीय बात है कि डा. परमार को यह सम्मान मिले। देश का सबसे सवोच्च सम्मान है।
चूल्हे के पास बैठकर खाते थे खाना: विनय कुमार
विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि डा. यशवंत सिंह परमार को भारत रत्न प्रदान करने का विषय बेहद महत्वपूर्ण है। काफी समय पहले यह मांग उठ जानी चाहिए थी, जिसमें थोडी देरी हुई, लेकिन अब हिमाचल मांग कर रहा है जो पूरी होनी चाहिए। अपने समय में वह मेसेंजर के हाथ से उस गांव में मेसेज भेजते थे, जहां उन्हें जाना होता था। चार दिन पहले गांव में सूचना दी जाती थी।
कुलदीप पठानिया ने जताया विधायकाें का आभार
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि नियम 101 के तहत गैर सरकारी सदस्य दिवस पर कोई भी सदस्य संकल्प ला सकता है। मत से उन संकल्पाें की प्राथमिकता तय की जाती है। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी समय तय करती है। मत में यह संकल्प लाया गया कि डा. परमार को भारत रत्न दिया जाए। सभी ने राजनीति से ऊपर उठकर अपनी बात रखने का प्रयास किया। यह वही माननीय सदन है, केवल कुर्सियां बदली हैं पहले बैंच होते थे, जिसमें काउंसिल लगती थी। उन्होंने कहा कि डा. परमार को भारत रत्न देने में देरी बेशक है मगर देर आए दुरूस्त आए। आज हमने इस बारे में सोचा है तो यह बड़ी बात है।
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