हिमाचल में बिना प्रधानाचार्य के 900 स्कूल, कांप्लेक्स प्रणाली पर उठे सवाल; तबादला व पदोन्नति अवधि पर भी बिफरे शिक्षक
हिमाचल प्रदेश में राजकीय अध्यापक संघ ने कांप्लेक्स स्कूल प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि लगभग 900 स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद खाली हैं। संघ ने प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को भरने और लंबित डीए व एरियर जारी करने की मांग की है। तबादला और पदोन्नति के लिए पांच दिन की अवधि को अव्यावहारिक बताते हुए, इसे रद्द करने की मांग की गई है।

हिमाचल प्रदेश में कांप्लेक्स प्रणाली लागू करने से पूर्व शिक्षक कमियां सुधारने की मांग कर रहे हैं। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार की कांप्लेक्स स्कूल प्रणाली पर राजकीय अध्यापक संघ ने गंभीर सवाल उठाए हैं। संघ का कहना है कि प्रदेश के 900 स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं। ऐसे में जब प्रधानाचार्य का पद ही रिक्त है, तो इस प्रणाली की सफलता कैसे संभव है?
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की राज्य कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक प्रदेश अध्यक्ष नरोतम वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
इस बैठक में मुख्य संरक्षक नरेश महाजन, कैलाश ठाकुर, महासचिव संजीव ठाकुर, वरिष्ठ उप प्रधान सुरेश नरयाल, पंकज जिला हमीरपुर प्रधान राज कुमार, चंबा प्रधान परस राम, कांगड़ा प्रधान नरेश धीमान, मंडी प्रधान अश्वनी गुलेरिया, शिमला प्रधान महावीर कैंथला, सिरमौर प्रधान हरदेव ठाकुर सहित कुल 25 अध्यापकों ने भाग लिया।
कांप्लेक्स प्रणाली का सारा दारोमदार प्रधानाचार्य पर
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि कांप्लेक्स प्रणाली में स्कूलों का सारा दारोमदार प्रधानाचार्य के कंधों पर आ गया है, जबकि प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त पड़े हैं। इससे शिक्षा के क्षेत्र में गिरावट आने की आशंका है। उन्होंने मांग की कि प्रधानाचार्य, मुख्याध्यापक, टीजीटी, स्कूल प्रवक्ता, न्यू और जेबीटी तथा सीएंडवी वर्ग से संबंधित सभी पदोन्नतियों को तुरंत लागू किया जाए।
खाली पदों को तुरंत भरे सरकार
सभी पदाधिकारियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यदि कांप्लेक्स प्रणाली को सही तरीके से लागू करना है, तो स्कूलों में प्रधानाचार्यों के खाली पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत लागू किए गए इस सिस्टम में प्रधानाचार्यों के कंधों पर क्लस्टर की देखरेख की जिम्मेदारी होने की बात भी उठाई। इसके साथ ही कर्मचारियों के लंबित डीए और एरियर की बकाया राशि को तुरंत जारी करने की मांग की गई।
तबादला और पदोन्नति के लिए पांच दिन की अवधि तय करना अव्यवहारिक
संगठन ने तबादला और पदोन्नति के लिए केवल पांच दिनों की अवधि तय करने को अव्यवहारिक बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने पहले की तरह जारी व्यवस्था को बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। संघ ने कहा कि यह फैसला कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है और सरकार को कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।