हिमाचल पंचायत चुनाव: सरकार और निर्वाचन आयोग आमने-सामने, बैठक में नहीं पहुंचा कोई अधिकारी; क्या राज्यपाल के पास जाएगा मामला?
हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर सरकार और निर्वाचन आयोग के बीच विवाद गहरा गया है। निर्वाचन आयोग ने सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया है, क्योंकि बैठक में कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा। आयोग अब इस मामले को राज्यपाल के पास ले जाने की सोच रहा है, ताकि संवैधानिक संकट से बचा जा सके।

हिमाचल निर्वाचन आयोग के आयुक्त अनिल खाची और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर घमासान तेज हो गया है। राज्य सरकार डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू होने का तर्क दे रही है। दूसरी तरफ आयोग का कहना है कि चुनाव के लिए उनकी तरफ से तैयारी पूरी है। इस मामले पर राज्य चुनाव आयुक्त राजभवन जाने की तैयारी में हैं। वह राज्यपाल को इस पूरे मामले की रिपोर्ट देंगे।
आयोग ने चुनाव के लिए बैलेट पेपर प्रिंट करवा दिए हैं। जिलास्तर पर डीसी को चुनाव सामग्री, बैलेट उठाने को कहा था, लेकिन डीसी ने ये बैलेट पेपर नहीं उठाए।
उन्होंने बताया कि उन्हें आदेश दिए हैं कि जब तक डिजास्टर एक्ट लागू है, तब तक उन्हें इंतजार करने को कहा गया है।
चुनाव आयुक्त की बैठक में नहीं शामिल हुआ कोई अधिकारी
दूसरी तरफ राज्य चुनाव आयुक्त ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की तैयारियों के संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई थी। मुख्य सचिव, वित्त, राजस्व, सचिव शहरी विकास, सचिव पंचायती राज, सचिव गृह की बैठक बुलाई थी। बैठक में कोई अधिकारी शामिल नहीं हुआ। वहीं जिलाधीशों की ओर से भी चुनाव को लेकर कुछ एक औपचारिकता पूरी करनी चाहिए थी वह पूरी नहीं की गई थी। इनमें आरक्षण रोस्टर जारी करना प्रमुख है, जो ज्यादातर जिलों में जारी नहीं हुआ है।
पिछले साल शुरू कर दी थी प्रक्रिया
राज्य चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया पिछले साल ही शुरू कर दी थी। पंचायतों व शहरी निकायों के पूर्न: सीमांकन, नई पंचायतों के गठन को कहा गया था। इसके अलावा मतदाता सूची भी तैयार कर दी है। इस पूरी प्रक्रिया में 4 से 5 माह का समय लगता है। आयोग ने 3 करोड़ बेलेट पेपर प्रिंट करवा दिया है। अन्य सामग्री का भी प्रकाशन कर दिया है। आज की तारीख में आयोग ने चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं।
23 प्रस्ताव मिले हैं पुनर्गठन के
पंचायतों के पुनर्गठन (री-ऑर्गेनाइज) के लिए पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग को 23 प्रस्ताव मिले हैं। जिलों से ये प्रस्ताव पंचायती राज विभाग को आए हैं। शिमला, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिला के डीसी की तरफ से ये प्रस्ताव भेजे गए हैं। विभाग ने इन प्रस्तावों को सरकार को भेजा है। चूंकि आयोग अब पुनर्गठन की प्रक्रिया पर रोक लगा चुका है।
आचार संहिता एक क्लॉज लागू
राज्य चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता के एक क्लॉज को लागू कर चुका है। इसके तहत पंचायतों और नगर निकायों की सीमाएं फ्रीज कर दी है। इससे, सरकार चाहकर भी पंचायतों का पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन (डिलिमिटेशन) नहीं कर पाएगी। लेकिन राज्य सरकार चुनाव आयोग के फैसले को पलटने के लिए कानूनी सलाह ले रही है। आयोग का तर्क है कि यदि अब पुनर्गठन व पुनः: सीमांकन किया जाता है तो वाेटर लिस्ट नए सिरे से बनानी पड़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सीमाएं बदल जाती है।
आयोग की वेबसाइट व सारथी एप पर देखें अपना नाम
राज्य चुनाव आयोग ने वोटरों से अपील की है कि हालांकि वोटर लिस्ट का प्रकाशन नहीं किया गया है, लेकिन वोटर लिस्ट आयोग की वेबसाइट और सारथी एप पर है। वह वहां पर अपना नाम देख सकते हैं। यदि उनका नाम इस सूची में नहीं है तो वह दो रुपये के फार्म के साथ नाम दर्ज करने के लिए आवेदन दे सकते हैं।

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