हिमाचल पंचायत चुनाव: जिला अधिकारियों ने मतदाता सूचियां नहीं की अधिसूचित, निर्वाचन आयोग ने बुलाई बैठक; क्या होगा अगला कदम?
हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को अधिसूचित न करने पर निर्वाचन आयोग ने चिंता जताई है। आयोग ने जिला अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। निर्वाचन आयोग कल हिमाचल प्रदेश का दौरा करेगा और चुनाव की तैयारियों का जायजा लेगा।

हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव पर माहौला गरमाया हुआ है। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायती रज संस्थाओं के चुनाव को लेकर ताजा घटनाक्रम मंत्रिमंडल द्वारा पंचायतों के पुनर्सीमांकन को मंजूरी के बाद निर्वाचन सामग्री जिलों ने शेड्यूल के तहत उठा ली है। हालांकि आपदा प्रबंध अधिनियम के लागू होने की बात कर जिला उपायुक्तों ने मतदाता सूचियों को अभी भी अधिसूचित नहीं किया है।
हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त अनिल खाची बुधवार को अपने दिल्ली दौरे से लैाटेंगे। निर्वाचन आयोग उनके लौटने के बाद ही आगे की रणनीति तय करेगा।
आयोग ने बैठक में किया गया मंथन
हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव सुरजीत सिंह ने आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मंगलवार को बैठक की। इस दौरान ताजा घटनाक्रम को लेकर मंथन किया गया।
चुनाव आचार संहिता की धारा 12.1 को ठहराया था गलत
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं की सीमाओं में किसी भी प्रकार के बदलाव को लेकर आदर्श चुनाव आचार संहिता की धारा 12.1 को लागू किया है। सरकार ने इस धारा पर आपत्ति जताई है और सचिव पंचायती राज सी पालरासु ने लिखित तौर पर कहा था कि इस धारा को गलत लगाया गया है। यह निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है।
मंत्री नेगी ने भी उठाए थे सवाल
यही नहीं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी भी इस पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा है कि जब तक आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू हैं तब तक चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं।
22 दिसंबर को न्यायालय में जवाब देने की तैयारी
उधर पंचायत चुनावों को समय पर करवाने के लिए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में 22 दिसंबर को सुनवाई होनी हैं। इसके लिए सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जवाब दायर करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
शिमला लौटने के बाद ही सारी स्थिति का आकलन करेंगे और इस संबंध कानूनी पहलुओं को देखा जाएगा। अभी तक लिखित में कुछ नहीं आया है। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-अनिल खाची, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग।
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