हिमाचल में 6,297 पदों पर एनटीटी भर्ती लटकी, ब्रिज कोर्स करवाने से केंद्र का इन्कार, अब क्या होगा प्रदेश सरकार के पास विकल्प
हिमाचल प्रदेश में एनटीटी शिक्षकों की भर्ती में केंद्र सरकार ने एक वर्षीय डिप्लोमा धारकों के लिए ब्रिज कोर्स की मांग को अस्वीकार कर दिया है, जिससे भर्ती प्रक्रिया फिर से अटक सकती है। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि एनटीटी डिप्लोमा दो वर्ष का होना अनिवार्य है। अब देखना है कि प्रदेश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।

हिमाचल प्रदेश एनटीटी भर्ती प्रक्रिया रुक गई है। प्रतीकात्मक फोटो
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षक (एनटीटी) भर्ती मामले में हिमाचल को केंद्र से कोई राहत नहीं मिली है। केंद्र ने एक वर्षीय डिप्लोमा धारकों के लिए ब्रिज कोर्स की स्वीकृति देने से इन्कार कर दिया है।
केंद्र ने स्पष्ट किया है कि एनटीटी डिप्लोमा दो वर्ष का है। किसी भी संस्थान को एक वर्षीय डिप्लोमा करवाने की स्वीकृति नहीं दी गई है। अब केंद्र एनटीटी भर्ती के लिए नियमों में बदलाव भी कर रहा है। जल्द ही इस पर निर्णय होगा। केंद्र ने इसको लेकर राज्य सरकार को पत्र भेजा है। ऐसे में ये भर्तियां फिर लटकती नजर आ रही हैं।
10 हजार में से 14 ही निकले पात्र
सरकार ने राज्य इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। कुल 6,297 पदों को भरने का जिम्मा 14 अलग-अलग कंपनियों को सौंपा गया था। इसके लिए 10 हजार आवेदन आए। इनमें से महज 14 ही अभ्यर्थी पात्र पाए गए थे।
ज्यादातर के पास एक साल का ही डिप्लोमा
एनसीटीई (नेशनल काउंसिल आफ टीचर एजुकेशन) नियमों के तहत दो वर्ष का डिप्लोमा होना अनिवार्य है। डिप्लोमा भी मान्यता प्राप्त संस्थानों से किया होना चाहिए। दस हजार में से 14 ही पात्र उम्मीदवार मिले। प्रदेश में ज्यादातर अभ्यर्थियों के पास एनटीटी का एक साल का ही डिप्लोमा है, जबकि कुछ अभ्यर्थियों के डिप्लोमा ऐसे संस्थानों से हैं जो एनसीटीई से मान्यता प्राप्त ही नहीं हैं।
शिकायतों के बाद दिए थे डिप्लोमा जांच के निर्देश
पहले राज्य इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन ने चयन किया था और नियुक्ति के आदेश दे दिए थे। शिकायतें आने के बाद शिक्षा मंत्री ने कारपोरेशन को निर्देश दिए थे कि वह पहले सभी डिप्लोमा की जांच करे, उसके बाद ही प्रक्रिया को आगे बढ़ाए।
निदेशक ने दिल्ली में अधिकारियों से की थी बैठक
समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने इस मामले को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें राज्य का पक्ष रखते हुए नियमों में छूट व ब्रिज कोर्स की मांग उठाई थी। यह ब्रिज कोर्स विभाग डाइट केंद्रों में करवाने का प्रस्ताव हिमाचल ने दिया था, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया है।
केंद्र करेगा फंडिंग
इन शिक्षकों की नियुक्ति होने के बाद मानदेय का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। ऐसे में राज्य सरकार अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं ले सकती। पूर्व में जब भाजपा सरकार सत्ता में थी तब भी इसकी प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ी थी। सुक्खू सरकार ने सत्ता में आते ही इसके लिए नियमों में बदलाव कर प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद अब यह नया विवाद सामने आया है।
क्या था विवाद
कई संस्थान नेशनल काउंसिल आफ टीचर ट्रेनिंग (एनसीटीई) से बिना मंजूरी लिए एक साल का एनटीटी सर्टिफिकेट व दो साल का डिप्लोमा करवा रहे थे। इसमें हिमाचल सहित पंजाब, दिल्ली व अन्य राज्यों के संस्थान भी थे। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने 2023 में प्रदेश के आठ नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) संस्थानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। इनके कोर्स बंद कर छात्रों को फीस लौटने के आदेश दिए थे। कुछ संस्थान एमएसएमई टेक्नोलाजी सेंटर मेरठ से एमओयू साइन करने के चल रहे थे, जबकि कुछ पंजाब व अन्य राज्यों से एमएसएमई से करार के तहत चल रहे थे। हिमाचल नियामक आयोग ने जब इसकी जांच की तो मामला पकड़ में आया था।
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क्या है नियम
नियमों के तहत एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान ही ये कोर्स करवा सकते हैं। दो साल का ये कोर्स ही मान्य है।

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