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    ऑपरेशन सिंदूर में IIT मंडी के ड्रोन ने निकाली दुश्मनों की हेकड़ी, संस्थान के दीक्षा समारोह में निदेशक ने किया खुलासा

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 13 Nov 2025 11:38 AM (IST)

    आईआईटी मंडी देश की रक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता में योगदान दे रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' में आईआईटी मंडी के ड्रोन का इस्तेमाल हुआ। संस्थान 7 नैनोमीटर तक के सेमीकंडक्टर चिप बनाने पर काम कर रहा है और टाटा समूह से भूकंप रोधी पुलों का प्रोजेक्ट मिला है। आईआईटी स्वदेशी ग्लूकोमीटर और पेसमेकर जैसे उपकरण बनाने पर भी ध्यान दे रहा है, जिसका उद्देश्य तकनीक को समाज की भलाई में लाना है।

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    आईआईटी मंडी के दीक्षा समारोह में मेधावी विद्यार्थी को सम्मानित करते मुख्य अतिथि व संस्थान के निदेशक। जागरण

    जागरण संवाददाता, मंडी। देश की रक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता में हिमाचल प्रदेश का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी भी अपना उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने बताया कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इस्तेमाल किए गए कुछ ड्रोन आईआईटी मंडी से भी भेजे गए थे, जिनका संचालन और तकनीकी सहयोग संस्थान के विशेषज्ञों ने किया। 

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    इस उपलब्धि ने न केवल प्रदेश का मान बढ़ाया, बल्कि यह भी साबित किया कि हिमाचल की धरती से निकली तकनीक अब राष्ट्रीय सुरक्षा अभियानों में भी उपयोगी हो रही है। वह वीरवार कोआईआईटी के 13वें दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे।

    7 नैनोमीटर तक की सेमीकंडक्टर चिप बनाने पर जोर

    प्रो. बेहरा ने बताया कि आईआईटी मंडी अब सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी कदम रख चुका है। संस्थान के वैज्ञानिक और शोधकर्ता फिलहाल 7 नैनोमीटर तक के सेमीकंडक्टर चिप बनाने पर काम कर रहे हैं। यह प्रयास भारत को इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 

    उन्होंने कहा कि इस तकनीक से भविष्य में मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल और रक्षा उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले उच्च गुणवत्ता वाले चिप्स देश में ही बनाए जा सकेंगे।

    टाटा समूह से लिया 20 करोड़ का प्रोजेक्ट

    आईआईटी मंडी ने हाल ही में टाटा समूह से 20 करोड़ रुपये का एक बड़ा प्रोजेक्ट भी हासिल किया है। यह परियोजना भूकंप रोधी पुलों के निर्माण और भूस्खलन रोकने की तकनीक विकसित करने से जुड़ी है। प्रो. बेहरा ने बताया कि मंडी जैसे पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड और भूकंप एक गंभीर समस्या हैं, इसलिए यह प्रोजेक्ट न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि सामाजिक उपयोगिता की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइसेज पर भी काम कर रहा संस्थान

    इसके साथ ही संस्थान माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइसेज पर भी विशेष शोध कर रहा है। प्रो. बेहरा ने बताया कि आईआईटी मंडी स्वदेशी ग्लूकोमीटर और पेसमेकर जैसी जीवन रक्षक उपकरणों के निर्माण पर काम कर रहा है ताकि आने वाले वर्षों में इन उपकरणों के लिए चीन जैसे देशों से आयात पर निर्भरता खत्म की जा सके।

    अग्रणी टेक्नोलॉजी केंद्रों में शामिल होगा संस्थान

    उन्होंने कहा कि संस्थान की टीम स्वास्थ्य, इलेक्ट्रॉनिक्स, पर्यावरण और रक्षा-चारों क्षेत्रों में संतुलित रूप से काम कर रही है। जल्द ही आईआईटी मंडी देश के अग्रणी टेक्नोलॉजी केंद्रों में शामिल होगा, जहां न केवल अनुसंधान बल्कि सामाजिक जरूरतों से जुड़े समाधान भी तैयार किए जाएंगे।

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    तकनीक अब जमीन पर उतर चुकी

    प्रो. बेहरा के अनुसार, “हमारा लक्ष्य तकनीक को केवल लैब तक सीमित नहीं रखना है, बल्कि उसे समाज की भलाई में उतारना है। ऑपरेशन सिंदूर में हमारी भूमिका इस बात का प्रमाण है कि आईआईटी मंडी की तकनीक अब जमीन पर उतर चुकी है।


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