Himachal News: रॉयल डिलीशियस व गाला सेब को 50 से 180 रुपये किलो मिले दाम, नाशपाती बाहरी राज्यों में बिकने के लिए रवाना
Himachal News रॉयल डिलीशियस सेब को 50 से 180 रेड गोल्ड सेब को 30 से 75 स्पर सेब को 50 से 185 गाला सेब को 50 से 180 गोल्डन सेब को 20 से 50 रुपए प्रति किलो के दाम प्राप्त हुए। मंडी में मोटी डंडी को 20 से 85 रुपये प्रति किलो के भाव मिले। सवा दो लाख पेटी का कारोबार हो चुका है।

सुनील ग्रोवर, ठियोग। ऊपरी शिमला में इस वर्ष बारिश कम होने और प्रतिकूल मौसम के कारण सेब की फसल पर विपरीत असर पड़ा है। कम और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब की पैदावार कम आंकी जा रही है। बागवानों का कहना है कि इस वर्ष के शुरुआती महीनों में बेमौसमी बारिश और ठंड से सेब के फूलों के परागण पर विपरीत असर देखा गया था।
इस बार सेब सीजन लगभग 15 दिन देरी से शुरू हुआ है। पराला मंडी में सीजन की रफ्तार पिछले साल से काफी सुस्त चल रही है। हालांकि, मंडी में पिछले सप्ताह की तुलना में इस सप्ताह होने वाली आमद लगभग दो गुना हुई है। पिछले वर्ष प्रदेश में हुई प्राकृतिक आपदा से मुख्य सड़कों के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों के क्षतिग्रस्त होने से मंडी में अधिकतम 15 हजार पेटी की आमद बनी रही थी।
18 हजार पेटी पहुंची मंडी
अधिकतर बागवानों की सेब फसल बागीचों व सड़कों में ही बर्बाद हो गई थी, जबकि फसल की पैदावार काफी अच्छी हुई थी। वहीं, पिछले वर्ष युनिवर्सल कार्टन के साथ टेलीस्कोप कार्टन में भी सेब मंडियों में पहुंचा जबकि इस साल 20 किलो के युनिवर्सल कार्टन में ही सेब बिकने के लिए पहुंच रहा है। सोमवार को मंडी में 18 हजार पेटी खरीद फरोख्त के लिए पहुंची।
नाशपाती बाहरी राज्यों में बिकने के लिए रवाना
रॉयल डिलीशियस सेब को 50 से 180, रेड गोल्ड सेब को 30 से 75, स्पर सेब को 50 से 185, गाला सेब को 50 से 180, गोल्डन सेब को 20 से 50 रुपए प्रति किलो के दाम प्राप्त हुए। मंडी में मोटी डंडी को 20 से 85 रुपये प्रति किलो के भाव मिले।
पराला में सेब सीजन शुरू होने से आज तक सवा दो लाख पेटी का कारोबार हो चुका है। जबकि दो लाख पेटी नाशपाती बाहरी राज्यों की मंडी में बिकने के लिए रवाना की गई है।
सेब नियंत्रण कक्षों से साढ़े सात लाख पेटियां रवाना
बागवान अपनी सेब की फसल को बेहतर दाम में बेचने के लिए देश की विभिन्न मंडियों के लिए भेजते हैं। ऊपरी शिमला में सेब की पैदावार की गणना करने के लिए ठियोग के फागू और बलग के नैना में सेब नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं।
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इन कक्षों में सेब ढुलाई के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों का पंजीकरण, वाहन चालकों के पहचान पत्र और वाहनों के कागजों की पूरी जांच की जाती है। इन कक्षों से बाहरी राज्यों को भेजी जाने वाली सेब की पेटियों की संख्या दर्ज की जाती है।
साढ़े सात लाख पेटियों का पंजीकरण
15 जुलाई से स्थापित हुए इन कक्षों से साढ़े सात लाख पेटियों को ले जाने वाले वाहनों का पंजीकरण हुआ है। ठियोग के फागू से 2 लाख 15 हजार जबकि बलग के नैना से साढ़े पांच लाख पेटियां का पंजीकरण हुआ है।
नैना कक्ष से भेजी गई पेटियों से यह अनुमान लगाना आसान है कि बागवान और अन्य वाहन चालक शिमला में लगने वाले जाम के कारण सोलन पहुंचाने के लिए छैला सोलन मार्ग का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।
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