Himachal News: हिमालयन नेचर पार्क कुफरी में नीली भेड़ का बढ़ा कुनबा, पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण
शिमला के कुफरी स्थित हिमालयन नेचर पार्क में नीली भेड़ों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। वन्य जीव संरक्षण में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 2023 में दार्जिलिंग से तीन नीली भेड़ें लाई गई थीं जिन्हें स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया। नीली भेड़ हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हिम तेंदुओं का मुख्य शिकार है। पार्क अब अन्य प्रजातियों के संरक्षण पर भी ध्यान देगा।

जागरण संवाददाता, शिमला। शिमला जिले के कुफरी स्थित हिमालयन नेचर पार्क में नीली भेड़ का कुनबा बढ़ा है। अब इनकी संख्या चार हो गई है। इससे पहले नेचर पार्क में तीन नीली भेड़ थीं। नीली भेड़ का यहां पर सफल प्रजनन वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यहां पर दुर्लभ नीली भेड़ को स्थानीय भाषा में भरल कहा जाता है।
नीली भेड़ पश्चिमी हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में मजबूत कदम मानी जा रही है। वर्ष 2023 में पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान दार्जिलिंग के सहयोग से एक वन्यजीव आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत पार्क को तीन नीली भेड़ें मिली थीं। इन्हें शुरुआत में क्वारंटीन कर स्थानीय पर्यावरण के अनुसार अनुकूल किया गया। इसके बाद इन्हें निर्धारित बाड़ों में छोड़ा गया।
भरल हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण कड़ी है। यह संकटग्रस्त हिम तेंदुए का मुख्य शिकार है। इस प्रजाति की स्वस्थ आबादी हिम तेंदुओं के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है। नीली भेड़ के प्रजनन की सफलता के बाद यहां पर अब अन्य प्रजातियों के संरक्षण और शैक्षिक जागरुकता अभियानों को भी विस्तारित करने की योजना बनाई जा रही है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संगठनों के साथ मिलकर यह पार्क पश्चिमी हिमालय की अनूठी जैव विविधता को संरक्षित करने में अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है। 13.73 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है पार्क 2,600 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित यह पार्क 13.73 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और देवदार, फर, स्प्रूस के घने जंगलों से आच्छादित है।
यह वातावरण नीली भेड़ जैसे ऊंचाई पर पाए जाने वाले वन्यजीवों के लिए आदर्श प्राकृतिक आवास प्रदान करता है। ईको टूरिज्म को भी मिलेगा बढ़ावा नीली भेड़ की मौजूदगी से हिमालयन नेचर पार्क की आकर्षण शक्ति और बढ़ गई है। पर्यटक अब इन दुर्लभ प्रजातियों को उनके प्राकृतिक जैसे परिवेश में देखने का अनुभव ले सकते हैं। यह पहल न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए रोमांचकारी है, बल्कि क्षेत्रीय सतत पर्यटन को भी प्रोत्साहित करती है।
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