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    Himachal: राज्यसभा चुनाव पर हिमाचल हाई कोर्ट का हर्ष महाजन को बड़ा आदेश, अभिषेक मनु सिंघवी ने दी है चुनाव को चुनौती

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 01:23 PM (IST)

    Himachal Rajya Sabha Chunav हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में हर्ष महाजन को अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा उठाए गए कानूनी मुद्दों पर जवाब देने का आदेश दिया है। सिंघवी ने चुनाव को चुनौती दी है जिसमें दोनों उम्मीदवारों को बराबर मत मिलने पर लाटरी से फैसला हुआ था।

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    भाजपा नेता हर्ष महाजन और कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार रहे अभिषेक मनु सिंघवी।

    विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Rajya Sabha Chunav, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में राज्यसभा सदस्य हर्ष महाजन को याचिकाकर्ता अभिषेक मनु सिंघवी के उठाए कानूनी मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के आदेश जारी किए हैं। सिंघवी ने हर्ष के चुनाव को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

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    न्यायाधीश बीसी नेगी के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान सिंघवी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जब दोनों उम्मीदवारों को बराबर मत प्राप्त हुए थे तो वास्तव में जो नियम उस समय लागू किए थे, उनके स्थान पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के कुछ अन्य प्रविधानों को लागू करना आवश्यक था।

    याचिकाकर्ता के अनुसार रिटर्निंग आफिसर को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 65 के प्रविधानों के अनुसार परिणाम निर्धारित कर सिंघवी को सफल उम्मीदवार घोषित करना चाहिए था।

    सिंघवी के अनुसार, निर्वाचन अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 65 का पालन न करने और नियम 75(4) और नियम 81(3) के त्रुटिपूर्ण प्रयोग के कारण चुनाव परिणाम भौतिक रूप से प्रभावित हुआ है।

    इस मामले में विचारणीय मुद्दा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सही प्रविधानों को लागू करने से संबंधित है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 65 लागू होनी चाहिए थी और नियम 75(4) और नियम 81(3) का प्रयोग गलत है। सबसे पहले अदालत द्वारा इस पर प्रारंभिक विचार किया जाना चाहिए क्योंकि यह पूर्णतः कानून का प्रश्न है। 

    सिंघवी का तर्क है कि इस मामले में कानून के गलत प्रविधानों का हवाला देकर अवैधता की गई है जिसमें दोनों पक्षों ने भाग लिया। ऐसे मामले में जनहित के अनुरूप न्यायालय को किसी पक्षकार के पक्ष में कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे ऐसा करने से किसी ऐसे कार्य की पुष्टि हो, जो कानून के विपरीत हो। तर्क दिया कि कानून के विरुद्ध की किसी कार्यवाही का विरोध करने पर प्रभावित पक्ष को कोई रोक नहीं सकता।

    पक्षकारों का कानून से बाहर गैरकानूनी कार्य को करने की सहमति देने से कानून का प्रभाव कम नहीं हो जाता। चुनाव अधिकारी को भी कानून के विपरीत कार्य नहीं करना चाहिए था। हर्ष का यह कहना कि याचिकाकर्ता ने विवादित प्रक्रिया के लिए सहमति दी थी, यह महत्वहीन है। सुनवाई के दौरान कोर्ट का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 86(7) की ओर ध्यान आकर्षित किया गया, जिसमें चुनाव याचिका के शीघ्र निपटारे के लिए कहा है। कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए हर्ष को प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी।

    यह है मामला

    वर्ष 2024 में हिमाचल की एक राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में हर्ष महाजन व अभिषेक मनु सिंघवी को 34-34 मत प्राप्त हुए थे। इस कारण लाटरी से परिणाम निकाला गया। लाटरी में अभिषेक मनु सिंघवी का नाम निकला और चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 75(4) और नियम 81(3) का उपयोग करते हुए हर्ष महाजन को विजयी घोषित किया गया। सिंघवी ने इस चुनाव को चुनौती दी है।