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    हिमाचल: राशन डिपो में वितरित किए गए चावल और आटा नहीं थे स्तरीय, कैग रिपोर्ट में सामने आए तथ्य

    By Rajesh SharmaEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sat, 06 Dec 2025 01:37 PM (IST)

    कैग रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में राशन डिपो से वितरित फोर्टिफाइड चावल और आटे की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं थी। कृषि विभाग ने ट्रैक्टर खरीद ...और पढ़ें

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    हिमाचल विधानसभा में सीएम सुक्खू ने कैग रिपोर्ट के आंकड़े रखे।

    राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। हिमाचल के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए सरकार ने खास ध्यान नहीं दिया। 19 लाख राशनकार्ड धारक परिवारों को डिपो में जो फोर्टिफाइड चावल व फोर्टिफाइड गेहूं का आटा मिलता था वह स्तरीय नहीं था। कैग रिपोर्ट में सामने आया है कि सुक्षम पोषक तत्वों का स्तर मानकों के अनुरूप नहीं था। इसके अतिरिक्त फोर्टिफाइड नमक के नमूने भी सूक्षम पोषक तत्वों के निर्धारितस्तर के अनुरूप नहीं पाए गए।

    शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कैग रिपोर्ट की संयुक्त लेखा रिपोर्ट-2 रखी। रिपोर्ट में बताया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2015 के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रीय अधिकारियों के निरीक्षण लक्ष्य निर्धारित करना व लक्ष्यों की समय पर प्राप्ति करना सुनिश्चित था, लेकिन पूर्व भाजपा सरकार के समय ऐसा नहीं हुआ।

    विभिन्न स्तर पर सतर्कता समितियों का गठन और उनकी नियमित बेठकें होनी चाहिए थीं। मानकों के स्तर से नीचे खाद्य सामग्री का वितरण करने के लिए राज्य में जवाबदेही व पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पाई। रिपोर्ट ने कहा है कि राज्य में फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम चलना चाहिए। 

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    ट्रैक्टर खरीद पर 4.61 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान

    केंद्रीय प्रायोजित योजना कृषि यंत्रीकरण उपमिशन के तहत ट्रैक्टर खरीद पर किसानों को अनुदान दिए जाने की व्यवस्था थी। कृषि विभाग ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में 1005 लाभार्थियों को 4.61 करोड़ रपये का अधिक भुगतान कर दिया। इस संबंध में ट्रैक्टरों के हार्स पावर का ध्यान नहीं रखा गया। कृषि मशीनरी किसानों को आवंटित करने की योजना के तहत ऐसा मामला सामने आया है। 

    लोक निर्माण विभाग की ठेकेदारों पर दिखी मेहरबानी

    कैग ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। अधिकारियों ने विभागीय कार्यप्रणाली में लापरवाही बरत कर ठेकेदारों पर मेहरबानी दिखाई। रिपोर्ट कहती है कि गलत डिजाइन के साथ पुलों के निर्माण पर कार्रवाई न करते ठेकेदारों को 10.60 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। इसके अतिरिक्त क्षतिग्रस्त पुल पर 2.15 करोड़ वैकल्पिक बहु स्पैन वैली पुल के निर्माण पर दो करोड़ का अनावश्यक खर्चा किया। प्रदेश के विभिन्न भागों में इस तरह के गलत डिजाइन के पुल निर्माण के मामले सामने आए।  

    ट्रांसमिशन लाइन तो बिछाई, लेकिन किसी काम नहीं आई

    कम वोल्टेज की समस्या दूर करने के लिए बिना किसी व्यवस्था के 400 केवी सिंगल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन बिछाई गई। सोलन जिला के कुनिहार क्षेत्र में के इस ट्रांसमिशन लाइन में दो 33 केवी लाइन की त्रूटिपूर्ण योजना से 76.26 करोड़ का नुकसान हुआ है। जिस उद्देश्य के लिए यह ट्रांसमिशन लाइन बिछाई गई वह उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पाया। 

    बिना डीपीआर के ही दे दिया काम

    कैग ने पर्यटन विभाग के कार्य पर सवाल खड़े किए हैं। स्वदेश दर्शन योजना के माध्यम से हिमाचल में थीम आधारित पर्यटन सर्किट स्थापित किया जाना था। जिसके तहत स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान होना था, लेकिन इस योजना का स्थानीय अर्थ व्यवस्था को सशक्त करने का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सका। प्रस्तावित पर्यटक सर्किट की डीपीआर तैयार करने के लिए निविदा प्रणाली का पालन किए बिना कंसल्टेंट नियुक्त किए गए। संपूर्ण सर्किट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने एवं अंतिम रूप देने में काफी समय लगा। जिसके तहत 1.57 करोड़ का ठेकेदार को अनुचित लाभ प्रदान किया गया। 

    कामगारों को 407.74 से 315.42 करोड़ ही वितरित

    भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में मार्च 2022 तक 2267 पंजीकृत फर्मों में 373513 कामगार कार्यरत थे, जिनमें से 290929 कामगारों का सक्रिय पंजीकरण हुआ था। 2021-22 के दौरान बोर्ड ने 262988 लाभार्थियों को पंजीकृत कर 407.74 करोड़ रुपये की उपकर राशि निधि में जमा करवाई। यह राशि इन कामगारों के कल्याण पर खर्च होनी थी, लेकिन लाभार्थियों को 315.42 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए।

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