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    Himachal Cloud Burst: क्यों फटता है बादल, कैसे आती है तबाही? क्या हैं इसके कारण; पढ़ें सबकुछ

    Himachal Cloud Burst हिमाचल में हर साल बारिश से भारी तबाही आती है। साथ ही बादल फटने के भी मामले हर साल आते हैं। बादल फटने के क्या कारण हैं? क्यों फटते हैं बादल? तबाही कैसे आती है? हिमाचल में हर साल औसतन एक हजार करोड़ का नुकसान होता है। इसको लेकर मौसम वैज्ञानिक क्या कहते हैं। जानिए सबकुछ डिटेल में...

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 01 Aug 2024 04:00 PM (IST)
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    Himachal Cloud Burst: बादल फटने के पीछे क्या है साइंस, कैसे आती है तबाही?

    डिजिटल डेस्क, शिमला। पिछले साल की तबाही को हिमाचल प्रदेश अब तक भूला नहीं पाया कि आज फिर कुदरत ने कहर बरपाया है। शिमला, कुल्लू और मंडी में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। तीन लोगों की जानें चली गई हैं। 50 से अधिक लोग लापता हैं। एनडीआरएफ की 14 टीमें लोगों को बचाने में जुटी हैं।

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    मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तबाही के बीच आपातकालीन बैठक बुलाई। साथ ही केंद्र सरकार से मदद की अपील की है। गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया है। हिमाचल में बारिश हर साल कहर बरपाती है। जिससे हर साल औसतन 1000 (एक हजार) करोड़ का नुकसान होता है। बादल फटने की घटनाओं से ही 300 से 400 करोड़ का नुकसान होता है। सवाल यह है कि आखिर बादल क्यों फटता है? इसके क्या कारण हैं?

    कैसे फटता है बादल

    बादलों को अपने रास्ते में गर्म हवा और पर्वत पसंद नहीं है। रास्ते में जब कोई बाधा आती है तो ये फट जाते हैं। चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और गर्म होती हवा इसका बड़ा कारण है। पहाड़ी क्षेत्र में स्थापित किए जा रहे जल विद्युत परियोजनाओं का भी असर पड़ रहा है।

    हिमाचल में हर साल मानसून के समय आर्द्रता के साथ बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं। लिहाजा हिमालय पर्वत बड़े अवरोधक के रूप में सामने पड़ता है। जब कोई गर्म हवा का झोंका ऐसे बादल से टकराता है, तब उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है। कुल्लू, शिमला, मंडी व किन्नौर व कांगड़ा जिला में ऐसी घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं।

    कैसे आती ही भीषण बाढ़

    मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जब बादल भारी मात्रा में आद्रता यानी पानी लेकर चलता है और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है तब वे अचानक फट पड़ता है। एक ही स्थान पर कई लाख लीटर पानी एक साथ जमीन पर गिर पड़ता है। जिसके बाद अचानक बाढ़ आ जाती है।

    बादल फटने के प्रमुख कारण

    1. बादलों के रास्ते में अवरोध पहाड़ और गर्म हवा।
    2. हरित पट्टी के लगातार घटना।
    3. जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए पेड़ों का कटान।
    4. शहरीकरण का बढ़ना, जिससे तापमान बढ़ रहा है।
    5. ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के लिए जंगलों पर दबाव।
    6. बरसात के दौरान गर्म हवा क्षेत्र विशेष में बादल फटने का कारण बनती है।

    अर्ली अलार्म सिस्‍टम की जरूरत

    मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि पहाड़ पर बादल इसलिए ज्यादा फटते हैं, क्योंकि बादलों को रास्ता नहीं मिलता और टकरा जाते हैं। अर्ली अलार्म सिस्टम की आवश्यकता है। अगर ये सिस्टम आ जाएगा तो लाखों करोड़ रुपये बचेंगे।

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    आपस में टकरा जाते हैं बादल

    जलवायु परिवर्तन केंद्र राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रधान विज्ञानी एसएस रंधावा का कहना है जलवायु परिवर्तन का असर और भौगोलिक स्थितियों के कारण इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। जब बादलों को रास्ता नहीं मिलता या कई बादल आपस में टकरा जाते हैं तब भी ऐसी घटना होती है।

    नदी नालों से बनाएं दूरी

    राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक सुदेश मोख्‍टा का कहना है कि इस नुकसान को टालने के लिए लोगों को ढलान वाली कच्‍ची जगह पर मकान बनाने से परहेज करना चाहिए। ढलान वाली जगह मजबूत होने पर ही निर्माण किया जाना चाहिए। इसके अलावा नदी नालों से दूरी बनानी चा‍हिए।

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