हिमाचल में बढ़ा बसों का किराया तो विरोध में उतरीं पार्टियां, यूनियन ने दिखाई सख्ती, कहा- रैली के लिए नहीं देंगे बसें
हिमाचल में निजी बस ऑपरेटर संघ ने न्यूनतम बस किराया (Minimum Fare Increase in Himachal) बढ़ोतरी का राजनीतिक दलों द्वारा किए जा रहे विरोध पर कहा कि विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को रैलियों के लिए बसें नहीं दी जाएंगी। संघ के महासचिव रमेश कमल ने दलील दी कि जनता महंगाई को समझती है और जानती है कि किराया वृद्धि जरूरी थी।
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ ने कहा कि न्यूनतम बस किराए की गई बढ़ोतरी का विरोध राजनीतिक दलों के लोग ही कर रहे हैं।
यह विरोध महज महज राजनीति के लिए किया जा रहा है। संघ ने चेतावनी दी है कि जो भी राजनीतिक दल किराए वृद्धि का विरोध करेगा, उस राजनैतिक दल को रैली में निजी बस ऑपरेटर बसें नहीं दी जाएगी।
प्रेस को जारी बयान में हिमाचल प्रदेश रानिजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल ने कहा कि राजनीतिक लोग ही यह विरोध कर रहे हैं। जनता जानती है कि प्रदेश में महंगाई के साथ साथ न्यूनतम किराए में आंशिक वृद्धि करना कोई बड़ी बात नहीं है।
न्यूनतम किराये में क्यों हुई बढ़ोतरी
उन्होंने कहा कि कहा कि न्यूनतम किराया पांच उस समय से है जब चैसी की कीमत 500000 थी और बॉडी की कीमत 300000 थी। डीजल प्रति लीटर 40 था और अन्य कल पुर्जे भी बहुत कम मूल्य में मिल जाते थे। अब महंगाई चार गुना बढ़ चुकी है इसलिए न्यूनतम किराए में वृद्धि करना है कोई बड़ी बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में न्यूनतम किराया पूरे भारतवर्ष में सबसे कम है। मौजूदा समय में 5 किसी भी वस्तु की कीमत नहीं है। सुलभ शौचालय से लेकर के एक सिगरेट तक भी 10 में उपलब्ध होती है। जो लोग राजनैतिक रोटियां सेकने के लिए इसका विरोध कर रहे है उनको वस्तु स्थिति का ज्ञान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों से डीजल में 7 रुपये की बढ़ोतरी हो गयी है और निजी बस ऑपरेटर ने कोई भी मांग नहीं की है। अब जबकि बढ़ती महंगाई में बसे चलाना मुश्किल हो गया है तो किराए में वृद्धि करना भी तर्कसंगत है।
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