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    हिमाचल में 390 रूटों पर नहीं चलेंगी सरकारी बसें, सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 10:21 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी दूर करने के लिए 390 घाटे वाले रूट निजी बस ऑपरेटरों को देने का फैसला किया है। राजीव गांधी स्वर ...और पढ़ें

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    घाटे के 390 रूटों पर दौड़ेगी निजी बसें, बस खरीद पर 30 प्रतिशत अनुदान।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बसों की कमी नहीं खलेगी। राज्य सरकार ने 390 रूटों के परमिट निजी बस आपटरों को देने का निर्णय लिया है। आप्रेटरों को बस खरीद के लिए सरकार राहत देने जा रही है। बस खरीद पर 30 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा।

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    मंगलवार को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत स्टेज कैरिज सेवाओं के रूप में संचालन के लिए 18 से 42 सीटर बसों की खरीद पर अनुदान मिलेगा। बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा की गई।

    परिवहन विभाग ने बताया कि एचआरटीसी ने पहले भी घाटे के रूट सरेंडर किए थे। उसे निजी आप्रेटरों को देने के लिए निविदाएं मांगी थी। आप्रेटर घाटे का तर्क देकर आवेदन ही नहीं करते। इसलिए सरकार ने खरीद पर अनुदान देने का निर्णय लिया है। इन रूटों पर 18 से 42 सीटर यानि टैंपो ट्रेवलर व छोटी बसें चलेगी।

    एचआरटीसी ने 422 रूट सरेंडर किए थे। परिवहन विभाग ने जब इसकी छंटनी की तो इसमें 390 ही रूट सही पाए गए। सरकार की इस नीति से न तो ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी आड़े आएगी, न ही घाटे का तर्क देकर रूट लेने से आनाकानी करेंगे। टैंपो ट्रैवलर चलाना उनके लिए फायदे का सौदा साबित होगा। बड़ी बसों को चलाने से जो घाटा होता है वह भी नहीं होगा।

    एचआरटीसी का कुल घाटा 2200 करोड़ है। हर महीने 70 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। सरकार निगम को साल में 780 करोड़ का अनुदान देती है। निगम को घाटे से उबारने के लिए सरकार यहां पर भी व्यवस्था परिवर्तन करने जा रही है।