जंगल में नहीं हुआ अवैध कटान, बादल फटने से जंगल से बहकर आई थी लकड़ियां; वन विभाग ने सरकार को भेजी जांच रिपोर्ट
वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कुल्लू जिले के जंगल में कोई अवैध कटान नहीं हुआ है। पंडोह डैम में एकत्रित लकड़ियां बारिश और बादल फटने से गिरी हुई थीं। जांच टीम को अवैध कटान का कोई निशान नहीं मिला है। वन विभाग ने वीडियो और फोटो को सबूत के तौर पर शामिल किया है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। कुल्लू जिला के जंगल में कोई अवैध कटान नहीं हुआ है। पंडोह डैम में बारिश के बाद बहकर जो लकड़ियां इक्ट्ठा हुई थी, वह सब बालन की लकड़ी थी, जो जंगलों में गिरी हुई थी। भारी बारिश के बाद वह बहकर आई थी। इसके अलावा बादल फटने से भी कई पेड़ गिरे जो बहकर एक जगह इक्ट्ठा हुए थे।
अवैध कटान का कोई निशान जांच टीम को नहीं मिला है। वन बल प्रमुख (पीसीसीएफ हाफ) समीर रस्तोगी ने मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेज दी है। वन विभाग ने जांच रिपोर्ट में वीडियो और फोटो को भी साक्ष्य के तौर पर शामिल किया है। रिपोर्ट में बताया गया है "शिलागढ़ में जिस जगह बादल फटा है, उससे करीब 20 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है।
6,000 हेक्टेयर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के वन क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में जो पेड़ गिर जाते हैं उसे उठाया भी नहीं जाता। वह पेड़ वहीं सड़ जाते हैं। ऐसे में विभाग दावा कर रहा है कि काफी पेड़ वहां से बहकर आए हैं जो पुराने पेड़ थे। बादल फटने से कुल्लू के पार्वती वन मंडल में भी भारी नुकसान हुआ है।
विभाग की टीम अभी भी ड्रोन के जरिए जंगल की मैपिंग करवा रही है। वन विभाग ने लारजी, पंडोह, पार्वती मंडी सहित कई अन्य स्थानों से भी साक्ष्य जुटाए गए हैं। जिला कुल्लू की गड़सा घाटी के शिलागढ़ जंगल में भी मैपिंग की गई है। यहां पर भी अवैध कटान का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। 25 जून को बादल फटने से हुरला नाले में आई बाढ़ में लकड़ियां बहकर आई थी और ये लकड़ियां पंडोह डैम में इक्ट्ठा हो गई थी। जिसकी फोटो व वीडियो इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। राज्य सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे।
कांग्रेस विधायक ने उठाए थे सवाल
कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने ही इसको लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित फोटो के आधार पर सरकार से मामले की जांच का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विभाग को इसकी जांच के आदेश दिए थे।
2023 में भी ऐसा ही वीडियो हुआ था प्रसारित
वन विभाग का कहना है कि अगस्त 2023 में मंडी जिले के थुनाग का भी इसी तरह का वीडियो प्रसारित हुआ था। इसमें बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठे बाढ़ के पानी में और बाद में खड्ड में तैरते हुए देखे गए थे। कई कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दा उठा था। मामले की जांच में भी बादल फटने की घटना से ही पेड़ों के गिरने व बहकर आने का मामला सामने आया था।
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