Himachal News: नशा के खिलाफ बड़ी चोट, तस्करों को मिलेगी फांसी की सजा; सुक्खू सरकार लाई नया कानून
हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठे। विमल नेगी मौत मामले ने गुड़िया हत्याकांड की याद दिलाई और भाजपा ने सीबीआई जांच की मांग की। नशा तस्करी पर लगाम लगाने के लिए मृत्यु दंड का कानून लाया गया। बजट में 3873.61 करोड़ की वृद्धि करके इसे 62387.61 करोड़ किया गया। सरकार ने अगले वित्त वर्ष में 25 हजार नौकरियां देने का वादा किया।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र में विमल नेगी मौत मामला गूंजा और भाजपा द्वारा सीबीआई जांच की मांग पर तकरार हुई। राज्य ऊर्जा निगम में मुख्य महाप्रबंधक विमल नेगी मौत मामले ने गुड़िया हत्याकांड की याद ताजा कर दी। पहली बार सत्र के दौरान सत्ता व विपक्ष एक सुर में सुर मिलाते दिखे।
मामला था प्रदेश के गांव तक फैलता चिट्टा यानि सिनथेटिक ड्रग को समाप्त करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता। ये प्रतिबद्धता पार्टी लाइन से उपर उठकर थी। बजट सत्र पिछले वर्षों की अपेक्षा छोटा था, लेकिन कम दिनों की बैठकों में अधिक सार्थक काम हुआ।
जमीन पर पर्यावरण सेस लगाने का खोजा रास्ता
प्रदेश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ कि पेश किए गए बजट में 3873.61 करोड़ की वृद्धि करके बजट का आकार 62387.61 करोड़ पारित किया। सरकार ने अगले वित्त वर्ष में 25 हजार नौकरियां देने का वादा किया।
प्रदेश सरकार ने राज्य के खजाने को भरने के लिए किराए पर ली जाने वाली जमीन पर पर्यावरण सेस लगाने का रास्ता खोजा है। इसी तरह की व्यवस्था बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली भूमि पर स्टांप ड्यूटी बढ़ाई है।
बजट सत्र के दौरान जहां आर्थिक तंगहाली से गुजर रहे प्रदेश को बाहर निकालने के लिए साहसिक कदम उठाए हैं। वहीं, प्रदेश का विकास बाधित न हो, इसके लिए सरकार ने खजाने को भरपूर बताया।
प्रदेश की युवा पीढ़ी को समाप्त कर रहे नशा तस्करों पर लगाम लगाने के लिए मृत्यु दंड का कानून लाया गया। इसके अतिरिक्त नशा तस्कर व पीड़ित की परिभाषा निर्धारित की गई।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने चिरपरिचित अंदाज में आक्रामक ही दिखे। कुल मिलाकर सुक्खू सरकार ने चतुराई से भाजपा को विरोध के स्वर बुलंद नहीं करने दिए।
रामस्वरूप शर्मा की याद दिलाई
भाजपा द्वारा विमल नेगी मौत मामले की सीबीआई जांच मांग की जा रही थी। सीबीआई की जांच होनी भी चाहिए, लेकिन सरकार ने याद दिलाया, जब भाजपा के सांसद रामस्वरूप शर्मा की मृत्यु रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी तो उस समय भाजपा सरकार ने सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाई।
तीन साल पहले सलापड़ जहरीली शराब कांड में सात युवाओं की मौत हुई थी और तब भी सीबीआई जांच नहीं हुई।
भाजपाइयों में विपक्ष की धार कुंध दिखी
भाजपाइयों को सत्ता में रहने की आदत नहीं है और इसीलिए भाजपाइयों की पहचान तर्कसंगत और हंगामेदार विपक्षी भूमिका निभाने की रही है। लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा तीसरा बजट पेश किया गया। मुद्दे होने के बावजूद सदन में भाजपा हर मामले पर बिखरी हुई नजर आई।
विपक्ष की पहली पंक्ति में बैठे दिग्गज नेताओं से विरोध प्रकट करने के लिए उठते नहीं बन पा रहा था। ऐसे मौके एक नहीं, कई बार देखने को मिले। सरकार की जनविरोधी नीतियों का हवाला देकर भले की भाजपा ने चौड़ा मैदान में एकजुटता दिखाने का परिचय अवश्य दिया।
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