'प्रदेश में नशे का इस्तेमाल घटा या बढ़ा?', हाईकोर्ट के इस सवाल पर हिमाचल सरकार ने क्या दिया जवाब?
हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या राज्य में नशीले पदार्थों का सेवन कम हो रहा है या बढ़ रहा है। अदालत ने भांग की खेती को वैध करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को पिछले पांच वर्षों के एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों का चार्ट पेश करने का आदेश दिया है। ड्रग फ्री हिमाचल ऐप के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या प्रदेश में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल कम हो रहा है या बढ़ रहा है। भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने की मांग से जुड़ी याचिका की सुनवाई के पश्चात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पिछले पांच वर्षों में जनवरी से दिसंबर तक जिलावार एनडीपीएस अधिनियम के तहत पंजीकृत मामलों का चार्ट दाखिल करने के आदेश जारी किए।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह भी बताने के आदेश दिए कि क्या मुख्य सचिव के दिनांक 20 अप्रैल 2019 के हलफनामे के अनुसार सरकार स्तर पर विचाराधीन नशे के आदी व्यक्तियों के पुनर्वास पर राज्य नीति का मसौदा अधिसूचित किया गया है या नहीं।
2024 तक दर्ज किए गए थे 878 मामले
इस मामले में पुलिस महानिदेशक द्वारा 26 जुलाई 2024 को दाखिल स्टेट्स रिपोर्ट में बताया गया था कि एनडीएंडपीएस अधिनियम के तहत जून, 2024 तक 878 मामले दर्ज किए गए थे और 1212 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। 878 मामलों में नशीली दवाओं को जब्त करने का विवरण भी दिया गया है।
अवैध अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ 77 मामले दर्ज किए गए हैं और अवैध भांग की खेती करने वालों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है। जिस क्षेत्र में जंगली भांग के पौधे नष्ट किए गए हैं, वह क्षेत्र 30 जून, 2024 तक 27.05 बीघा तक था। पंचकूला में नशीली दवाओं की रोकथाम पर अंतर-राज्यीय समन्वय खोला गया है, जहां हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों को भी नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने के लिए तैनात किया गया है।
ड्रग फ्री हिमाचल ऐप क्या है?
स्टेट्स रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल फोन एप्लीकेशन 'ड्रग फ्री हिमाचल' लॉन्च किया गया है और लोग इस ऐप पर बिना अपनी पहचान बताए नशीली दवाओं के तस्करों के खिलाफ सूचना दे सकते हैं। जून 2024 तक इस एप्लीकेशन के माध्यम से 172 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं, जबकि राज्य सीआईडी खुफिया इकाइयों के माध्यम से 147 इनपुट एकत्र किए गए हैं।
प्रार्थी ने याचिका दायर कर भांग की खेती पर लगाई गई रोक को हटा कर इसे कानूनी मान्यता देने की गुहार लगाई है। इसके अलावा प्रार्थी ने भांग को उद्योगों तथा वैज्ञानिक अनुसंधान में उपयोग में लाने बाबत राज्य सरकार को दिशा निर्देश बनाने के आदेशों की मांग भी की है।
प्रार्थी का कहना है कि ड्रग माफिया किसानों से मुफ्त में भांग जैसे मादक पदार्थों को एकत्रित कर तस्करी के लिए इस्तेमाल करते हैं। जबकि इन पदार्थों को किसानों से कच्चे माल के तौर पर उद्योगों व दवाई के उद्देश्य से एकत्रित किया जा सकता है और किसानों को उचित मूल्य दिलवाया जा सकता है। इससे अवैध तरीके से हो रहे कारोबार पर भी रोक लगेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।