आईजीएमसी डॉक्टर मामले में CM सुक्खू का बड़ा फैसला, गठित की नई जांच समिति
मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आईजीएमसी शिमला में डॉक्टर-मरीज मारपीट मामले की पुनः जांच के लिए नई समिति गठित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने ...और पढ़ें
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सीएम ने दिया डॉक्टर राघव मामले में नई जांच समिति गठित करने का निर्देश।
जागरण टीम, शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला में डॉक्टर व मरीज मारपीट मामले में मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने पुनः जांच के लिए नई समिति गठित करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि मरीजों से दुर्व्यवहार सहन नहीं किया जाएगा। चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता को बनाए रखने को चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। चिकित्सकों के लिए मानव व्यवहार व जन प्रबंधन (ह्यूमन बिहेवियर और मैन-मैनेजमेंट) कोर्स अनिवार्य किया जाएगा।
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसका मतलब यह नहीं कि मरीजों के सम्मान और अधिकारों की अनदेखी की जाए।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों का मरीजों के प्रति व्यवहार भविष्य में उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) का भी हिस्सा बनाया जा सकता है। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल, स्वास्थ्य सचिव संदीप कदम, चिकित्सा शिक्षा निदेशक राकेश शर्मा, स्वास्थ्य सेवा निदेशक गोपाल बेरी, विशेष सचिव अश्वनी शर्मा और जितेंद्र सांजटा मौजूद रहे। इससे पहले रिज मैदान पर पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों ने उनके आग्रह को मानते हुए हड़ताल खत्म की।
इसकी खुशी है, सरकार भी उनकी भावनाओं को ध्यान में रखकर सहानुभूतिपूर्वक फैसला लेगी। डॉक्टर ने भी इस घटना पर पश्चाताप किया है। सरकार किसी का करियर बर्बाद करने नहीं आई है। सजा का एक समय होता है, अब इस पर पुनर्विचार विचार किया जाएगा। डॉ. राघव की बर्खास्तगी के दो पहलू हैं। आईजीएमसी के डॉक्टरों की कमेटी के आधार पर उन्हें एसआरशिप से बर्खास्त किया था, जबकि मरीज से अनुचित व्यवहार के आधार पर स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक ने नौकरी से बर्खास्त किया। तीन जनवरी को डॉक्टरों की बैठक पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए उन्हें किसी ने नहीं रोका है। बैठक करना उनका अधिकार है।
गुटों में बंटी भाजपा, एक धड़ा डॉक्टर तो दूसरा मरीज के साथ
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा पांच गुटों में बंटी है, इनके कोई सिद्धांत नहीं है। एक धड़ा डॉक्टर के साथ था तो दूसरा मरीज के साथ। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार हिमाचल से लगातार अन्याय कर रही है। वर्ष 2023 में आई आपदा से राहत का पैसा दो साल बाद किस्तों में दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने 1500 करोड़ रुपये की घोषणा की मगर अभी तक एक पैसा भी नहीं आया। प्रदेश भाजपा के नेता केंद्र के पास जाकर हिमाचल का पैसा रुकवाने का काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में जो पैसा मंजूर हुआ है उसे भी रोकने की कोशिश की जा रही है। केंद्र के समक्ष उठाएंगे सेब आयात शुल्क का मामलामुख्यमंत्री ने कहा कि न्यूजीलैंड से सेब आयात शुल्क को कम करके हिमाचल के बागवानों के साथ अन्याय किया गया है। भाजपा की सरकार यहां के बागवानों के साथ अन्याय कर रही है। वह इस मामले को केंद्र सरकार से उठाएंगे क्योंकि केंद्र के फैसले से हिमाचल के बागवान प्रभावित होंगे।
कब-कब क्या हुआ
24 दिसंबर को आईजीएमसी में डॉक्टर व मरीज में मारपीट का वीडियो सामने आया। अस्पताल प्रशासन ने डॉ. राघव निरूला को निलंबित कर दिया। 25 दिसंबर को डॉ. राघव को बर्खास्त कर दिया। सीएम के पुन: जांच के आश्वासन के बाद भी 26 दिसंबर को बर्खास्तगी के विरोध में सामूहिक अवकाश किया। हिमाचल प्रदेश मेडिकल आफिसर एसोसिएशन (एचपीएमओए) से जुड़े डॉक्टर भी सामूहिक अवकाश पर रहे। 27 दिसंबर को आरडीए, एचपीएमओए और स्टेट एसोसिएशन आफ मेडिकल एंड डेंटल कालेज टीचर्स (सेमडिकोट) हड़ताल पर चले गए। रूटीन की सेवाएं बंद रखीं। इससे आईजीएमसी सहित प्रदेश के कई अस्पतालों में ओपीडी, वैकल्पिक आपरेशन और नियमित सेवाएं बाधित रहीं। आपात सेवाएं जारी रहीं। 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ली। 29 को अस्पतालों में सेवाएं सामान्य रहीं।

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