'केंद्र दे वन भूमि पर आपदा प्रभावितों को बसाने की मंजूरी', CM सुक्खू की मांग, बोले- किसी परिवार को नहीं उजड़ने देंगे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार आपदा प्रभावित परिवारों को उजड़ने नहीं देगी और सभी को बसाने का कार्य करेगी। उन्होंने वन भूमि पर घर बनाने के मामले में केंद्र से सहयोग मांगा है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं और सड़कों के पुनर्निर्माण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार विशेष राहत पैकेज भी तैयार कर रही है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के पास आर्थिक संसाधन सीमित होने के बावजूद उनकी सरकार एक भी प्रभावित परिवार को उजड़ने नहीं देगी। सभी को बसाने का कार्य करेगी।
उन्होंने विशेष रूप से वन भूमि पर घर बनाने के मामले को उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार वन भूमि पर बसाने के प्रस्ताव को केवल अनुमोदित कर सकती है, लेकिन अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के चार लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसदों से अपील की कि वे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलकर इस मामले में हिमाचल के आपदा प्रभावित परिवारों को वन भूमि पर बसाने की अनुमति दिलाने में सहयोग करें।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार वन भूमि पर मकान बनाने की अनुमति देती है, तो प्रदेश सरकार तुरंत प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का काम करेगी।
मंडी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों से लाैटते ही शिमला पहुंचते ही सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही मैं स्वयं मंडी जिला के धर्मपुर क्षेत्र के प्रभावित लोगों से मिलने गया।
राशन की कमी को देखते हुए पहले ही दिन हेलीकाप्टर सेवा के माध्यम से थुनाग क्षेत्र में राशन पहुंचाया गया। इसके अगले दिन उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को प्रभावित इलाकों का निरीक्षण करने भेजा गया, जिन्होंने बंद पड़ी पेयजल योजनाओं को जल्द चालू करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर सड़कों को खोलने के लिए 100 से ज्यादा जेसीबी मशीनें तैनात की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सड़कें खुलीं, तब पूरा नेतृत्व प्रभावित क्षेत्रों में गया और स्थानीय लोगों ने भी सड़कों को सुचारू करने में मदद की। उन्होंने बताया कि मंडी जिले के बाढ़ग्रस्त सराज, धर्मपुर और करसोग क्षेत्रों में सड़कों के पुनर्निर्माण और मलबा हटाने के कार्य को गति देने के लिए पांच लाख रुपये के आफलाइन टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
हालांकि सड़कों को पूरी तरह ठीक करने में अभी लंबा समय और पर्याप्त धनराशि की जरूरत होगी। आपदा में जान गंवाने वालों के परिजनों और प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने विशेष राहत पैकेज तैयार किया है, जिसे कैबिनेट बैठक में लाने के निर्देश राजस्व मंत्री को दिए हैं।
इस पैकेज के तहत टूटे घरों के पुनर्निर्माण, घरेलू सामान की क्षति और पशुधन के नुकसान पर भी मुआवजा दिया जाएगा।
विधानसभा पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी
विधानसभा में इस संबंध में प्रस्ताव पहले ही पारित किया जा चुका है और सभी सांसदों से अनुरोध है कि वे वन अधिनियम के तहत प्रभावित परिवारों को वन भूमि पर बसाने के लिए केंद्र सरकार से बात करें। नदियों के किनारे निर्माण कार्य को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी पक्षों से चर्चा कर नया कानून बनाना चाहती है।
पहले लोग उस समय की परिस्थिति के अनुसार घर बनाते थे जब जलवायु परिवर्तन का असर कम था, लेकिन अब आपदाओं की तीव्रता बढ़ गई है। इसी कारण पिछली आपदा के बाद राज्य सरकार ने नदी-नालों से 50 मीटर की दूरी पर निर्माण की बाध्यता का कानून भी बनाया है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए और कहा कि अब तक हिमाचल को आई आपदाओं के लिए कोई विशेष राहत पैकेज नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि वे जल्द ही दिल्ली जाकर इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से उठाएंगे ताकि प्रदेश के आपदा प्रभावित लोगों को न्याय मिल सके और उनका पुनर्वास शीघ्र हो सके।
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