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    Himachal Apple: किन्नौर में भूस्खलन से सड़कें हुईं जाम, सेब-मटर को मंडी तक पहुंचाने के लिए अब रोपवे का सहारा

    किन्नौर में भूस्खलन के कारण सड़कें कई दिनों से जाम हैं। इस कारण सेब मटर और अन्य फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए रोपवे का सहारा लिया जा रहा है। वहीं भूस्खलन प्रभावित सड़कों को साफ करने का काम चल रहा है। मंत्री जगत सिंह नेगी ने बोले कि फसलों को रोपवे के माध्यम से मुफ्त में ले जाया जाएगा।

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 12 Sep 2023 04:39 PM (IST)
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    रोपवे के सहारे मंडी तक पहुंच रहा सेब

     शिमला, पीटीआई। हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में भूस्खलन की वजह से कई दिनों से सड़कें पूरी तरह से जाम हैं। रोजमर्रा के कामकाज करने वालों से लेकर किसानों तक को इससे परेशानी हो रही है। सड़कों की स्थिति को देखते हुए किन्नौर में सेब, मटर और अन्य फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए अब रोपवे का सहारा लिया जा रहा है।

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    रोपवे से मुफ्त में होगी फसलों की ढुलाई

    किन्नौर को शिमला से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध है। जिसके बाद अब फसलों का मंडी तक रोपवे के जरिए पहुंचाया जाएगा। राज्य के राजस्व और बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंगलवार को कहा कि सेब, मटर और अन्य फसलों को नेगुलसारी में रोपवे के माध्यम से मुफ्त में ले जाया जाएगा ताकि उपज बाजारों तक पहुंच सके और किसानों को कोई नुकसान न हो।

    उन्होंने कहा कि रोपवे से फसलों को ले जाने का परीक्षण कर लिया गया है। आगे जगत सिंह नेगी ने कहा कि सेब से लदे 20 ट्रकों को काजा-कुंजुम रोड से डायवर्ट कर दिया गया है और चौरा-रूपी लिंक रोड पर नेगुलसारी के क्रम्पा से धूमती तक रोपवे स्थापित किया गया है।

    भूस्खलन अभी भी जारी

    मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भूस्खलन प्रभावित सड़क के दोनों किनारों पर काम चल रहा है और अधिकांश हिस्से को साफ किया जा चुका है लेकिन 70 मीटर पथरीला रास्ता समस्या पैदा कर रहा है क्योंकि वहां भूस्खलन जारी है। आगे उन्होंने बताया कि अधिकारियों को सभी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया ताकि किन्नौर के लोगों को कोई असुविधा न हो।

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    सेब की फसल पर पड़ी मौसम की मार

    इस साल सेब की फसल पर मौसम की काफी मार पड़ी है जिससे सेब के उत्पादन में गिरावट आई है। किन्नौर के निचले इलाकों में सेब की ढुलाई अगस्त में शुरू होती थी जबकि ऊपरी इलाकों से सेब नवंबर के अंत तक आते हैं। वहीं, भूस्खलन के मद्देनजर फंसे हुए लोगों की मदद के लिए स्थानीय लोग भी आगे आए हैं।