ग्लेशियर पिघलने से स्पीति में बनी 273 झीलें
ग्लोबल वार्मिग का असर हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति के स्पीति बेसिन में नजर आने लगा है। यहां ग्लेशियरो के पिघलने से 273 झीलें बन गई है।
शिमला [जेएनएन]: ग्लोबल वार्मिग का असर हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति के स्पीति बेसिन में ज्यादा हुआ है। यहां ग्लेशियरो के पिघलने से 273 झीलें बन गई है। राज्य विज्ञान एव प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा किए जा रहे शोध में ये तथ्य सामने आए हैं। इन झीलों पर सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। वर्ष 2000 में सतलुज नदी में तबाही लाने वाली पारछू झील से हिमाचल को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। इस पर लगातार नजर रखी जा रही है और कुछ-कुछ अंतराल पर सेटेलाइट से चित्र लिए जा रहे है।
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30 साल के दौरान स्पीति बेसिन में 273 कृतिम झीले बन गई है और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। स्पीति घाटी में हर साल झीलें बन रही है। लाहुल-स्पीति प्रदेश का एक दुर्गम जिला है। यहां चिनाब का उद्गम मानी जाने वाली चद्रभागा के अलावा पिन व स्पीति नदियां है। खतरनाक झीलों के टूटने की स्थिति में मनाली-लेह सड़क के अलावा पावर प्रोजेक्ट भी इसकी जद मे आ सकते है। 1880 मे चिनाब में ग्लेशियर की वजह से बाढ़ आई थी। प्रदेश में करीब 250 ग्लेशियर है। इनमें से 10 को खतरनाक माना जाता है।
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लाहुल-स्पीति के स्पीति बेसिन में ग्लेशियरो के पिघलने से करीब 273 कृत्रिम झीले बन गई है। हर वर्ष इनमे इजाफा हो रहा है। पारछू सहित इन झीलो पर नजर रखी जा रही है। इनमे से कोई भी झील अभी किसी भी तरह से खतरनाक नही है।-कुनाल सत्यार्थी, संयुक्त सदस्य सचिव, विज्ञान, पर्यावरण एव तकनीकी परिषद।
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