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    'आधी रोटी खा लेंगे पर जिगर के टुकड़े को दोबारा नहीं भेजूंगी', 17 दिन बाद सिलक्यारा सुरंग से बाहर निकला विशाल; भावुक हुए परिजन

    By Jagran NewsEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Wed, 29 Nov 2023 09:57 AM (IST)

    Uttarkashi tunnel collapse उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग (silkyara tunnel) में फंसे विशाल (Himachals Vishal) के सकुशल बाहर निकलने पर स्वजनों ने 17 दिन बाद दीवाली मनाई गई। एक दूसरे को मिठाई बांटी और पटाखे फोड़े। मंडी जिले के बल्ह हलके के डहणू का रहने वाला विशाल 12 नवंबर को दीवाली की सुबह 40 अन्य मजदूरों के साथ सिलक्यारा की सुरंग में फंस गया था।

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    17 दिन बाद सिलक्यारा सुरंग से बाहर निकला विशाल

    देवेंद्र ठाकुर, मंडी। Uttarkashi tunnel collapse: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग (silkyara tunnel) में फंसे विशाल (Himachal's Vishal) के सकुशल बाहर निकलने पर स्वजनों ने 17 दिन बाद दीवाली मनाई गई। एक दूसरे को मिठाई बांटी और पटाखे फोड़े।

    ग्रामीण भी उनकी खुशी में शामिल हुए। बल्ह हलके के विधायक इंद्र सिंह गांधी,एपीएमसी मंडी के अध्यक्ष संजीव गुलेरिया व बल्ह उपमंडल के कार्यकारी एसडीएम अमर नेगी भी मिठाई लेकर बधाई देने विशाल के घर पहुंचे।

    सिलक्यारा सुरंग में फंस गया था विशाल

    विशाल के स्वजनों के साथ करीब चार घंटे बिताए। मंडी जिले के बल्ह हलके के डहणू का रहने वाला विशाल 12 नवंबर को दीवाली की सुबह 40 अन्य मजदूरों के साथ सिलक्यारा की सुरंग में फंस गया था।

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    स्वजनों को जब उसके सुरंग में फंसने की सूचना मिली थी तो घर में दीवाली मनाने की तैयारियां चल रही थी। उसका पिता धर्म सिंह व बड़ा भाई योगेश घर पर था। चाचा परस राम भी घर छुट्टी आया था।

    चाचा और भाई सप्ताह भर सिलक्यारा में डाले रहे डेरा

    विशाल के सुरंग में फंसने की सूचना मिलते ही दीवाली की तैयारियां बीच में छोड़ पिता धर्म सिंह व भाई योगेश सिलक्यारा के लिए रवाना हो गए थे। अगले दिन चाचा परस राम ने भी सिलक्यारा की राह पकड़ ली थी।

    योगेश व परस राम पहले सिलक्यारा सुरंग में काम कर चुके थे। घर में विशाल की मां उर्मिला, दादी गोवर्धनू देवी व चाची कंचन अकेली रह गए। योगेश व परस राम ने सप्ताह भर सिलक्यारा में डेरा डाल रखा।

    परिजनों के लिए 17 दिन 17 साल से कम नहीं

    इंतजार की घड़ी लंबी हुई तो दोनों वहां से घर वापस आ गए। मगर पिता धर्म सिंह अंत तक वहीं डटे रहे। विशाल के स्वजनों के लिए 17 दिन 17 साल से कम नहीं थे।

    17 दिन में कई बार उम्मीद बंधी तो ऑगर मशीन में तकनीकी खामी व बाद में क्षतिग्रस्त होने से विशाल के जल्द बाहर निकलने की उम्मीदें टूटी भी। खुद पहाड़ जैसा दिल रख धर्म सिंह खुद व अपने स्वजनों का हौसला बढ़ाते रहे।

    'आधी रोटी खा लेंगे ,लाडले को दोबारा सुरंग में काम करने नहीं भेजूंगी'

    विशाल के सकुशल सुरंग से बाहर निकलने के बाद मां उर्मिला अपने लाडले का चेहरा देखने के लिए बेताब हो गई है। दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि भले ही विशाल सुरंग से बाहर आ गया है।

    मगर असल में सुकून उसका चेहरा देखने पर ही मिलेगा। बस एक बार विशाल घर आ जाए। सबसे पहले उसे अपने सीने से लगाऊंगी और दोबारा उसे सुरंग के काम में भेजूंगी। स्वजन आधी रोटी खा लेंगे। मगर दोबारा उसकी जान जोखिम में नहीं डालेंगे।

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    खुश हुए परिजनों के चेहरे

    दादी गोवर्धनू का कहना है कि एक हादसे में उसका बड़ा पोता योगेश पहले ही अपाहिज हो चुका है। अब विशाल के सुरंग में फंसने से उसके प्राण 17 दिन से बीच में अटके हुए थे। विशाल के सलामती के लिए मां उर्मिला ने रंधाडा स्थित अपने कुल देवता बाढू बाड़ा से मन्नत मांगी थी। वह अब विशाल को लेकर कुल देवता के मंदिर जाएगी।

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